KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते सैन्य तनाव के बीच रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह आज चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक महत्वपूर्ण सुरक्षा समीक्षा बैठक करने वाले हैं। यह बैठक ऐसे समय पर हो रही है जब हाल ही में पाकिस्तान द्वारा भारतीय सैन्य ठिकानों पर असफल हवाई हमला किया गया और भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जवाबी कार्रवाई की।
बैठक में मौजूदा खतरों का मूल्यांकन, भारत की रणनीतिक तैयारियों की समीक्षा और भविष्य में संभावित किसी भी आक्रामक कार्रवाई से निपटने की रूपरेखा तय की जाएगी।
तनाव का कारण: ऑपरेशन सिंदूर और आतंकवाद पर करारा प्रहार
भारत ने 7 मई 2025 को ऑपरेशन सिंदूर के तहत सीमा पार आतंकवादी ठिकानों पर सटीक हमले किए। यह अभियान पहलगाम आतंकी हमले के बाद किया गया, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान गई थी। भारत की इस कार्रवाई में जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकी संगठनों के प्रशिक्षण शिविर और लॉजिस्टिक बेस को निशाना बनाया गया।
इस ऑपरेशन को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जरूरी और रणनीतिक माना गया, लेकिन पाकिस्तान ने इसे लेकर बौखलाहट में हवाई और ड्रोन हमलों की नाकाम कोशिश की।
पाकिस्तान का जवाब: विफल सैन्य कार्रवाई
8 मई की रात 8 से 10 बजे के बीच पाकिस्तान ने जम्मू, पठानकोट, फिरोजपुर, कपूरथला, जालंधर और जैसलमेर स्थित भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाने की कोशिश की।
इस हमले में पाकिस्तान ने F-16 और JF-17 लड़ाकू विमान, ड्रोन और रॉकेट लॉन्चर तैनात किए। लेकिन भारत की वायु रक्षा प्रणाली जिसमें S-400 मिसाइल सिस्टम, आकाश बैटरियां, और उन्नत रडार नेटवर्क शामिल हैं, ने सभी हमलों को हवा में ही निष्क्रिय कर दिया।
भारतीय वायुसेना ने दो F-16 और दो JF-17 फाइटर जेट्स को मार गिराया। साथ ही पाकिस्तान के ड्रोन को भी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सिस्टम और एंटी-ड्रोन हथियारों से ध्वस्त किया गया।
भारत की सैन्य तत्परता और तेज कार्रवाई
भारत की इस सटीक और तेज प्रतिक्रिया ने उसकी सैन्य ताकत को फिर एक बार साबित कर दिया। तैयारी के प्रमुख बिंदु रहे:
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सेटेलाइट और रडार के जरिए रियल टाइम निगरानी
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सीमा पर तैनात त्वरित प्रतिक्रिया एयर स्क्वाड्रन
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सेना, वायुसेना और खुफिया एजेंसियों के बीच समन्वय
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सीमावर्ती नागरिक क्षेत्रों में सुरक्षा उपायों की सक्रियता
भारत का एकीकृत कमांड ढांचा इस संकट की घड़ी में बेहद कारगर साबित हुआ।
राजनाथ सिंह की बैठक: रणनीतिक समीक्षा के अहम मुद्दे
रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में होने वाली इस बैठक में निम्नलिखित मुद्दों पर चर्चा होगी:
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खतरे का आकलन: पाकिस्तान की संभावित अगली कार्रवाई पर खुफिया समीक्षा
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संचालन की समीक्षा: रक्षा और आक्रमण क्षमताओं का मूल्यांकन
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सीमा सुरक्षा की योजना: LOC और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर संवेदनशील क्षेत्रों की सुरक्षा
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नागरिक-सैन्य समन्वय: सीमावर्ती क्षेत्रों के लिए आपदा प्रबंधन तैयारी
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कूटनीतिक रणनीति: वैश्विक मंच पर भारत का सटीक संदेश
सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और राजस्थान क्षेत्रों में भारतीय सेना को उच्चतम अलर्ट पर रखा गया है।
कूटनीतिक और रणनीतिक संतुलन
भारत ने इस पूरे घटनाक्रम को लेकर संयमित लेकिन दृढ़ रुख अपनाया है। जहां पहले उकसावे पर भारत अक्सर कूटनीतिक रूप से जवाब देता था, अब उसकी रणनीति सक्रिय रक्षा और आक्रामक रणनीति की हो गई है।
भारत के प्रमुख उद्देश्य हैं:
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सीमा पार आतंकवाद को रोकना
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राष्ट्रीय सैन्य और नागरिक संरचना की रक्षा करना
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पाकिस्तान की अंदरूनी अस्थिरता को उजागर करना
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वैश्विक मंच पर भारत की जिम्मेदार शक्ति की छवि को मजबूत करना
सैन्य और नागरिक स्तर पर प्रभाव
भारत सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में हाई अलर्ट जारी कर दिया है। उठाए गए कदमों में शामिल हैं:
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हवाई हमलों से सुरक्षा की पूर्व तैयारी
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आपातकालीन सेवाओं की तैनाती
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संवेदनशील हवाई क्षेत्रों में नागरिक उड़ानों पर अस्थायी रोक
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राज्य स्तरीय आपदा प्रबंधन बल को सक्रिय करना
साथ ही भारत की सैन्य लॉजिस्टिक सप्लाई चेन, ईंधन भंडार, और मरम्मत इकाइयों को सक्रिय कर दिया गया है।
अंतरराष्ट्रीय नजरें और प्रतिक्रिया
यह पूरा घटनाक्रम संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) और कई विदेशी दूतावासों की नजर में है। नई दिल्ली स्थित विदेशी मिशनों ने ट्रैवल एडवाइजरी जारी की है।
जहां भारत ने पारदर्शी रूप से जानकारी साझा की, वहीं पाकिस्तान के असफल प्रयासों ने उसकी रणनीतिक क्षमता पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
पाकिस्तान की चुप्पी और आंतरिक संकट
पाकिस्तान ने अब तक अपने फाइटर जेट्स की क्षति या हमलों की विफलता को स्वीकार नहीं किया है। हालांकि, ओपन-सोर्स इंटेलिजेंस (OSINT) और सेटेलाइट तस्वीरों से भारत के दावे की पुष्टि हो चुकी है।
यह चुप्पी पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और आर्थिक संकट के कारण मानी जा रही है, जिसने देश में पहले से ही सामाजिक अशांति फैला दी है।
भारत में जन समर्थन और एकजुटता
देश में आम नागरिकों ने इस पूरी स्थिति में सशस्त्र बलों और सरकार का खुलकर समर्थन किया है। सोशल मीडिया पर जवानों के समर्थन में अभियान चल रहे हैं, जबकि कई स्वयंसेवी संगठनों ने सीमा क्षेत्रों और सेना परिवारों के लिए सहायता कार्यक्रम शुरू किए हैं।
आगे की राह: रणनीतिक धैर्य और सामरिक शक्ति
आज की बैठक जहां तात्कालिक निर्णय तय करेगी, वहीं दीर्घकालीन रणनीति पहले ही स्पष्ट है — भारत किसी भी आक्रामकता को बर्दाश्त नहीं करेगा और हर खतरे का जवाब देगा।
रक्षा मंत्रालय की दीर्घकालिक योजनाएं:
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LOC पर इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड
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स्वदेशी हथियार निर्माण में तेजी
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साइबर सुरक्षा को मजबूत करना
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अंतरिक्ष आधारित निगरानी प्रणाली का विस्तार
जैसे ही रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक शुरू होती है, संदेश स्पष्ट है — भारत अपनी संप्रभुता की रक्षा करेगा, क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखेगा और किसी भी खतरे का सटीक जवाब देगा।
कूटनीति अभी भी विकल्प है, लेकिन राष्ट्रीय रक्षा भारत के लिए गैर-परक्राम्य है। आने वाले कुछ दिन दक्षिण एशिया की सुरक्षा दिशा को तय करेंगे।
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