KKN गुरुग्राम डेस्क | मध्य प्रदेश सरकार के मंत्री विजय शाह द्वारा भारतीय सेना की अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर दिए गए विवादास्पद बयान ने देशभर में राजनीतिक तूफान खड़ा कर दिया है। माना जा रहा है कि विजय शाह ने कर्नल कुरैशी की धर्म और पद को लेकर संवेदनशील और आपत्तिजनक टिप्पणी की है, जिसे लेकर विपक्ष, महिला संगठनों और सेना के पूर्व अधिकारियों ने कड़ी आपत्ति जताई है।
हालांकि मंत्री ने अब तक इस विषय पर कोई औपचारिक माफ़ी नहीं मांगी है, लेकिन विपक्षी नेताओं द्वारा तीखी प्रतिक्रिया जारी है।
कौन हैं कर्नल सोफिया कुरैशी?
कर्नल सोफिया कुरैशी भारतीय सेना की एक गौरवशाली अधिकारी हैं, जिन्होंने 2016 में अंतरराष्ट्रीय सैन्य अभ्यास “Force 18” में भारत की सैन्य टुकड़ी का नेतृत्व कर इतिहास रचा था। वह ऐसा करने वाली पहली महिला अधिकारी बनी थीं।
उन्होंने सेना में अपने कार्यकाल के दौरान कई प्रशंसनीय उपलब्धियां हासिल की हैं और महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनकर उभरी हैं। उनके कार्य को देशभर में सराहा गया है और वह युवतियों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं।
विवादित बयान: किस बात पर मचा है बवाल?
यद्यपि विजय शाह के बयान का पूरा वीडियो या ट्रांस्क्रिप्शन अभी तक सार्वजनिक नहीं हुआ है, लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने कर्नल सोफिया के धार्मिक पहचान और महिला होने को लेकर आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया।
बताया जा रहा है कि विजय शाह ने एक राजनीतिक कार्यक्रम के दौरान यह बयान दिया, जो अब सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रहा है। बयान को लेकर राजनीतिक और सामाजिक संगठनों में रोष देखा जा रहा है।
श्रीनिवास बीवी का तीखा हमला: “यह शर्मनाक और खतरनाक है”
कांग्रेस के युवा नेता श्रीनिवास बीवी ने इस पूरे विवाद पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने बयान में कहा:
“किसी भी महिला अधिकारी पर इस तरह की टिप्पणी करना केवल व्यक्तिगत नहीं बल्कि भारतीय सेना की गरिमा का अपमान है। विजय शाह को बिना शर्त माफी मांगनी चाहिए।”
उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय और रक्षा मंत्रालय से इस मामले में तत्काल संज्ञान लेने और मंत्री के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है।
कांग्रेस का आधिकारिक रुख: भारतीय सेना का अपमान बर्दाश्त नहीं
कांग्रेस पार्टी ने विजय शाह के बयान को लेकर तीखी आलोचना करते हुए इसे सेना की धर्मनिरपेक्ष छवि पर हमला बताया है। पार्टी की प्रवक्ता सुप्रिया ने कहा:
“यह केवल कर्नल सोफिया की बात नहीं है, यह हर उस महिला अधिकारी की बात है जो देश के लिए वर्दी पहनती है। यह बयान महिलाओं, सेना और भारत की एकता के खिलाफ है।”
कांग्रेस ने भाजपा से स्पष्टीकरण मांगते हुए सवाल किया कि क्या विजय शाह की सोच पार्टी की आधिकारिक विचारधारा को दर्शाती है?
भाजपा की चुप्पी: रणनीति या असहमति?
इस मामले पर अभी तक भाजपा की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि पार्टी विवाद को और भड़कने से बचाना चाहती है, इसलिए फिलहाल चुप्पी साधी गई है।
सूत्रों की मानें तो भाजपा नेतृत्व मंत्री विजय शाह को आगे सार्वजनिक मंचों पर बयान देने से रोक सकता है और उनसे सफाई भी मांग सकता है।
सेना के पूर्व अधिकारियों और समाज का रुख
यह विवाद केवल राजनीतिक दायरे में सीमित नहीं है। सेना के पूर्व अधिकारी, महिला संगठन और नागरिक समाज ने भी मंत्री के बयान की आलोचना की है।
सेना के रिटायर्ड मेजर जनरल अशोक मेहता ने ट्वीट किया:
“कर्नल सोफिया ने देश की सेवा की है। उनकी निष्ठा पर सवाल उठाना देश की रक्षा प्रणाली पर प्रश्नचिन्ह है।”
महिला संगठनों ने भी शांतिपूर्ण प्रदर्शन और ऑनलाइन याचिकाओं के जरिए न्याय की मांग शुरू कर दी है।
कानूनी पहलू: क्या मंत्री के खिलाफ कार्रवाई संभव है?
कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि यदि विजय शाह का बयान धार्मिक, लिंग-भेदपूर्ण या मानहानिपूर्ण सिद्ध होता है, तो भारतीय दंड संहिता की धारा 153A (द्वेष फैलाना), 505 (अफवाह फैलाना), और 500 (मानहानि) के तहत कार्रवाई संभव है।
इसके अलावा राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) या चुनाव आयोग में शिकायत दर्ज कर कानूनी प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सकता है।
महिला अधिकारी और वर्दी का सम्मान: राजनीति से परे ज़रूरी बहस
यह विवाद एक बार फिर यह प्रश्न उठाता है कि क्या राजनीतिक नेताओं को सेना के मामलों पर टिप्पणी करते समय संयम नहीं बरतना चाहिए?
भारत में महिला अधिकारियों की भूमिका लगातार बढ़ रही है। कर्नल सोफिया जैसी महिलाएं सेना में नेतृत्व, सम्मान और दृढ़ता की मिसाल हैं। ऐसे में उनके खिलाफ टिप्पणी न केवल नैतिक रूप से गलत है बल्कि समाज को भी गलत संदेश देती है।
मीडिया की भूमिका: जिम्मेदार रिपोर्टिंग की ज़रूरत
कुछ मीडिया संस्थानों ने मंत्री के बयान को कवर किया, वहीं कई प्रमुख प्लेटफॉर्म्स ने इसे प्रसारित नहीं करने का फैसला लिया। इससे मीडिया की निष्पक्षता और पत्रकारिता की नैतिकता पर भी बहस शुरू हो गई है।
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने एक बयान में मीडिया से अपील की है कि सेना से जुड़े मामलों को राजनीति से दूर रखा जाए और जिम्मेदारी के साथ रिपोर्टिंग की जाए।
विजय शाह और कर्नल सोफिया कुरैशी विवाद अब केवल बयानबाजी तक सीमित नहीं रहा। यह एक लोकतांत्रिक मूल्यों की परीक्षा है, जिसमें यह देखा जाएगा कि क्या राजनीति वर्दी के सम्मान से ऊपर हो सकती है?
सवाल यह भी है कि क्या राजनेताओं को सेना जैसे सम्मानित संस्थानों पर बयान देने की छूट होनी चाहिए, जब वह किसी के धर्म, लिंग या पहचान पर हमला करते हैं?
जनता अब देख रही है कि क्या न्याय मिलेगा, और क्या राजनीति गरिमा और संविधान की सीमा में रहेगी।
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