Home KKN Special बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत

बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत

क्वारेंटाइन सेंटर

सेंटर पर पसरा है सन्नाटा

प्रवासी मजदूर

KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार के गांवो में क्वारेंटाइन सेंटर की हकीकत चौकाने वाला है। सरकारी आदेश के बाद प्रत्येक पंचायत के एक सरकारी स्कूल को आइसोलेट करके क्वारेंटाइन सेंटर बना दिया गया है। पर, यहां कोई रहने को तैयार नहीं है। दूसरे प्रदेश से बिहार आये प्रवासी मजदूर सीधे अपने घर जाते है और परिवार वालो के साथ खुलेआम रहते है। यह सच है कि स्वास्थ्य विभाग की टीम इनमें से अधिकांश मजदूरो की मॉनिटरिंग करके उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने का सुझाव दे चुकी है। पर, यह भी सच है कि इस तरह के सभी सुझाव कागजो पर है और गांव में अमूमन इसका पालन नहीं हो रहा है।

कोइली का क्वारेंटाइन सेंटर

मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत मीनापुर थाना के कोइली क्वारेंटाइन सेंटर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। बाहर से लौटने वालों के रहने के लिए यहां सारी व्यवस्थाएं की गई हैं। पंचायत की ओर से कोइली स्कूल में साफ-सफाई कराकर यहां दरी बिछा दी गई थी। पेयजल और शौचालय की व्यवस्था पहले से है। हाथ धोने के लिए साबुन उपलब्ध है। बावजूद इसके यहां एक भी प्रवासी नहीं दिखा और यहां पूरी तरह सन्नाटा पसरा हुआ है। पंचायत के मुखिया अजय कुमार ने बताया कि कोइली पंचायत में दूसरे प्रदेश से आने वाले 45 मजदूरों की पहचान हो गई है। स्वास्थ्य विभाग ने पंचायत के चैनपुर गांव में 27 मार्च, 29 मार्च और एक अप्रैल को शिविर लगाकर सभी प्रवासी मजदूरों की मॉनिटरिंग करने के बाद उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने को कहा था। किंतु, सभी अपने-अपने घरों में रह रहे हैं और क्वारेंटाइन सेंटर में जाने को कोई कोई तैयार नहीं है।

क्वारेंटाइन सेंटर पर रहने से इनकार

सैनिटाइजर

कमोवेश यही हाल जिले के अन्य क्वारेंटाइन सेंटर की है। ग्रामीण इलाके में रहने वाले कई लोग अभी भी कोरोना वायरस के खतरे को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है। मीनापुर के बीडीओ अमरेंद्र कुमार बतातें है कि अकेले मीनापुर में 902 प्रवासी मजदूरों की पहचान की गई है। इनमें से करीब 400 की मॉनिटरिंग करके उन्हें क्वारेंटाइन सेंटर में रहने को कहा गया है। प्रशासन की सख्ती के बाद 31 मार्च को मधुबन कांटी के मध्य विद्यालय में आठ और हरका हाई स्कूल के क्वारेंटाइन सेंटर में एक प्रवासी मजदूर को भर्ती कर लिया गया। किंतु, चंद घंटो बाद रात होते ही सभी भाग कर अपने घर चले गये और अब वहीं रह रहें हैं।

सरकारी फरमान बना मुखिया के गले की फांस

बिहार सरकार की तुगलगी फरमान अब पंचायत के मुखिया के गले की फांस बनने लगा है। पंचम वित्त आयोग की राशि से सैनिटाइजर, मास्क और डीडीटी पाउडर की खरीद करने का सरकार ने पंचायत को आदेश जारी कर दिया है। इधर, मुखिया ने बताया कि बाजार में इस वक्त डीडीटी के 25 किलो का बैग 1,250 रुपये में बिक रहा है। जबकि, इसका सरकारी रेट मात्र 850 रुपये है। इसी प्रकार 7 रुपये का मास्क 70 रुपये में और 60 रुपये का सैनिटाइजर 600 रुपये में भी उपलब्ध नहीं है। इधर, सरकारी ऐलान के बाद गांव के लोग मास्क और सैनिटाइजर के लिए मुखिया पर दबाव बना रहें हैं। नतीजा, गांव में विधि व्यवस्था की समस्या उत्पन्न होने का खतरा मंडराने लगा है।


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