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पहलगाम आतंकी हमले के बाद बड़ा फैसला: जम्मू-कश्मीर में 48 पर्यटन स्थल और रिसॉर्ट बंद

Jammu and Kashmir Government Shuts Down 48 Tourist Resorts Following Pahalgam Terror Attack

KKN गुरुग्राम डेस्क | जम्मू-कश्मीर सरकार ने हाल ही में हुए पहलगाम आतंकी हमले के बाद एक बड़ा और कड़ा कदम उठाया है। सुरक्षा एजेंसियों की सलाह पर सरकार ने 48 पर्यटन स्थल और रिसॉर्ट को तत्काल प्रभाव से बंद कर दिया है।

इस निर्णय का सीधा असर कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाला है, जो हाल के वर्षों में धीरे-धीरे उभर रही थी।

किन स्थानों को किया गया बंद?

बंद किए गए स्थानों में कश्मीर के कई प्रमुख और लोकप्रिय पर्यटन स्थल शामिल हैं, जैसे:

  • दूधपथरी

  • वेरीनाग

  • गुलमार्ग 

  • सोनमार्ग 

  • डल झील

इन सभी क्षेत्रों में स्थित रिसॉर्ट्स, होटल्स और टूरिस्ट फैसिलिटीज को आम नागरिकों और पर्यटकों के लिए बंद कर दिया गया है।

सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में मौजूद 87 महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों में से 48 को फिलहाल बंद कर दिया गया है।

क्यों लिया गया यह फैसला?

यह फैसला उस वक्त आया है जब पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई।

खुफिया एजेंसियों की जानकारी के अनुसार:

  • इस हमले के बाद आतंकी संगठन TRF (The Resistance Front) सक्रिय हो गए हैं।

  • कुछ स्लीपर सेल को घाटी में टारगेट किलिंग और बड़े हमलों का निर्देश मिला है।

  • पहलगाम के बाद अन्य पर्यटन स्थलों पर भी हमले की आशंका जताई गई है।

इस वजह से सुरक्षा बलों की तैनाती बढ़ाई गई है और विशेष एंटी-फिदायीन दस्ते को संवेदनशील क्षेत्रों में लगाया गया है।

पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर क्या असर पड़ेगा?

जम्मू-कश्मीर की अर्थव्यवस्था का एक बड़ा हिस्सा पर्यटन पर निर्भर करता है।

  • होटल इंडस्ट्री

  • टैक्सी सेवाएं

  • हाउस बोट

  • हस्तशिल्प और फल व्यापार

ये सभी क्षेत्र अब प्रभावित होंगे।
जो लोग कश्मीर में होटल खोलने, नया व्यवसाय शुरू करने या निवेश करने की सोच रहे थे, उनके लिए अब यह माहौल असहज बन गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह बंदी लंबे समय तक जारी रही, तो घाटी को सैकड़ों करोड़ का नुकसान हो सकता है।

स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया

स्थानीय व्यापारियों, टैक्सी चालकों, होटल मालिकों और हस्तशिल्प विक्रेताओं में:

  • भय है कि हालात और न बिगड़ जाएं।

  • गुस्सा है आतंकियों के खिलाफ, जो शांति की कोशिशों को बार-बार तोड़ देते हैं।

  • उम्मीद है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां स्थिति को जल्द काबू में लेंगी।

स्थानीय लोग सरकार से अपील कर रहे हैं कि सुरक्षा सुनिश्चित कर पर्यटन को फिर से बहाल किया जाए।

आतंकियों की नई रणनीति?

विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार आतंकी संगठनों का उद्देश्य सिर्फ सुरक्षा बलों को निशाना बनाना नहीं है, बल्कि कश्मीर की अर्थव्यवस्था और छवि को भी नुकसान पहुंचाना है।

  • पर्यटन केंद्रों को टारगेट करना

  • व्यापारिक गतिविधियों को रोकना

  • विदेशी और घरेलू निवेशकों को डराना

यह सब घाटी की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता को तोड़ने की रणनीति का हिस्सा हो सकता है।

सरकार की तैयारियाँ और अगला कदम

सरकार ने कई कदम उठाए हैं:

  • संवेदनशील क्षेत्रों में विशेष बलों की तैनाती

  • सभी टूर ऑपरेटर्स और होटलों को चेतावनी और दिशानिर्देश

  • क्षेत्रीय इंटेलिजेंस नेटवर्क को सक्रिय किया गया

  • ट्रेवल एडवाइजरी जारी की गई

सुरक्षा हालात सामान्य होने के बाद बंद किए गए रिसॉर्ट्स को धीरे-धीरे पुनः खोला जा सकता है, लेकिन फिलहाल सरकार “सुरक्षा पहले” की नीति पर काम कर रही है।

क्या इतिहास खुद को दोहरा रहा है?

यह पहली बार नहीं है जब आतंकवाद ने कश्मीर के पर्यटन को प्रभावित किया है:

  • 1990 के दशक में उग्रवाद के कारण पूरी टूरिज्म इंडस्ट्री खत्म हो गई थी।

  • 2016 में बुरहान वानी की मौत के बाद अशांति फैली और टूरिज्म प्रभावित हुआ।

  • 2019 में अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद कुछ समय के लिए पर्यटन ठप हो गया।

हर बार घाटी को सामान्य स्थिति में लौटने में लंबा वक्त और भारी मेहनत लगी है।

पहलगाम हमले के बाद 48 पर्यटन स्थलों का बंद होना एक गंभीर चेतावनी है कि आतंकवाद अब भी कश्मीर की अर्थव्यवस्था और सामाजिक तानेबाने के लिए बड़ा खतरा बना हुआ है।

शांति, सुरक्षा और निरंतर सतर्कता के बिना कोई भी क्षेत्र, चाहे वह कितना ही खूबसूरत क्यों न हो, विकास नहीं कर सकता।

सरकार, सुरक्षा एजेंसियाँ और स्थानीय जनता — सभी को मिलकर इस संकट का सामना करना होगा ताकि घाटी की शांति, रोजगार और आत्मनिर्भरता सुरक्षित रह सके।


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