KKN गुरुग्राम डेस्क | पटना के प्रसिद्ध सरकारी अस्पताल पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में एक बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया, जहां चर्चित यूट्यूबर और पूर्व भाजपा नेता मनीष कश्यप के साथ जूनियर डॉक्टरों ने कथित रूप से मारपीट की और उन्हें तीन घंटे तक बंधक बनाकर रखा।
इस पूरी घटना ने सोशल मीडिया और स्थानीय मीडिया में तहलका मचा दिया है, जहां दोनों पक्षों की तरफ से आरोप-प्रत्यारोप सामने आ रहे हैं।
क्या हुआ था अस्पताल में?
सूत्रों के अनुसार, मनीष कश्यप एक मरीज के हित में PMCH पहुंचे थे। इसी दौरान उनकी एक महिला जूनियर डॉक्टर से कहासुनी हो गई। बताया जा रहा है कि मनीष कश्यप अस्पताल परिसर में वीडियो रिकॉर्डिंग कर रहे थे, जिससे अस्पताल के कर्मचारी नाराज हो गए।
हालात इतने बिगड़ गए कि कुछ जूनियर डॉक्टरों ने मनीष को एक कमरे में बंद कर दिया और तीन घंटे तक बंधक बनाए रखा। इस दौरान उन पर शारीरिक हमला किए जाने के आरोप भी लगे हैं।
मनीष कश्यप का पक्ष
इस मामले में मनीष कश्यप ने खुद वीडियो जारी कर कहा कि,
“मैं एक मरीज के हक में बोल रहा था, लेकिन मुझे बिना किसी वजह के पीटा गया। मुझे बंधक बनाया गया और मेरी कोई गलती नहीं थी।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने किसी महिला डॉक्टर से दुर्व्यवहार नहीं किया और यह आरोप पूरी तरह झूठा है। मनीष ने सोशल मीडिया पर अपनी अस्पताल के बेड पर पड़ी हुई तस्वीरें भी साझा की हैं, जिसमें वह ऑक्सीजन मास्क लगाए हुए नजर आ रहे हैं।
डॉक्टरों का पक्ष
जूनियर डॉक्टरों की ओर से जो पक्ष सामने आया है, उसके मुताबिक मनीष कश्यप ने महिला डॉक्टर के साथ गलत व्यवहार किया और अस्पताल की गरिमा को ठेस पहुंचाई। डॉक्टरों का कहना है कि उन्होंने मनीष को नियमों के उल्लंघन और दुर्व्यवहार के चलते रोका।
हालांकि, अभी तक कोई स्पष्ट वीडियो सबूत या तीसरे पक्ष की पुष्टि नहीं हुई है जिससे यह साफ हो सके कि शुरुआत किसकी तरफ से हुई।
पुलिस हस्तक्षेप और वर्तमान स्थिति
PMCH थाना क्षेत्र अंतर्गत पीरबहोर थाने की पुलिस को जब इस मामले की जानकारी मिली, तो मौके पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रण में लिया। थानाध्यक्ष अब्दुल हलीम ने बताया कि:
“दोनों पक्षों ने आपसी समझौते का दावा किया है और किसी ने भी अब तक औपचारिक शिकायत दर्ज नहीं कराई है।”
हालांकि पुलिस ने यह भी कहा है कि यदि भविष्य में किसी पक्ष की ओर से कोई एफआईआर दर्ज कराई जाती है, तो आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।
मनीष कश्यप का पुराना विवादित इतिहास
मनीष कश्यप सोशल मीडिया पर अपने यूट्यूब चैनल “Sach Tak News” के लिए जाने जाते हैं। वे पहले भी कई बार विवादों और गिरफ्तारी की खबरों में आ चुके हैं। उन पर फेक वीडियो बनाने, सांप्रदायिक उकसावे और सरकारी अधिकारियों के काम में हस्तक्षेप जैसे आरोप लगते रहे हैं।
उनकी लोकप्रियता जितनी अधिक है, विवाद भी उतने ही अधिक हैं। इसलिए यह नया मामला भी उतनी ही तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो गया।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
घटना के बाद ट्विटर (अब X), फेसबुक और यूट्यूब पर #ManishKashyap ट्रेंड करने लगा।
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कुछ लोग डॉक्टरों की कार्रवाई को सही बता रहे हैं और मनीष कश्यप पर “हॉस्पिटल में अराजकता फैलाने” का आरोप लगा रहे हैं।
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वहीं, कई लोग मनीष के समर्थन में उतर आए हैं और डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
यह मामला अब जनता की राय से बंटा हुआ नजर आ रहा है, जो इसे और जटिल बना रहा है।
कानूनी दृष्टिकोण से मामला
किसी को बिना कानूनी प्रक्रिया के तीन घंटे तक बंधक बनाना और मारपीट करना, कानूनन एक गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है। वहीं, अस्पताल में वीडियो रिकॉर्डिंग करना भी कई संस्थानों में नियम के खिलाफ होता है।
इसलिए यदि दोनों पक्षों की ओर से उचित कानूनी कार्रवाई की जाती है, तो IPC की विभिन्न धाराएं जैसे कि 341 (बंधक बनाना), 323 (मारपीट), 506 (धमकी) और 354 (महिला से दुर्व्यवहार) जैसी धाराएं लग सकती हैं।
फिलहाल इस मामले में कोई औपचारिक एफआईआर दर्ज नहीं की गई है, लेकिन मीडिया कवरेज और सोशल मीडिया बहसों के चलते यह मामला जल्द ही किसी निर्णायक मोड़ पर पहुंच सकता है।
PMCH जैसे बड़े अस्पताल में हुई यह घटना स्वास्थ्य सेवा और पत्रकारिता के बीच की दूरी और संवादहीनता को दर्शाती है। मनीष कश्यप और डॉक्टरों के बीच हुआ यह टकराव एक बड़ा सवाल उठाता है कि सार्वजनिक स्थानों पर वीडियो बनाना और आपसी सम्मान की सीमाएं क्या हैं?
यह घटना केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं, बल्कि एक बड़ा सामाजिक और संस्थागत सवाल भी है — “सार्वजनिक संस्थानों में क्या जिम्मेदार व्यवहार होना चाहिए?” और “मीडिया और चिकित्सा जगत के बीच संतुलन कैसे कायम रखा जाए?”
आगे देखना होगा कि इस मामले में कानून और व्यवस्था कैसी भूमिका निभाती है और क्या यह विवाद न्यायिक प्रणाली तक पहुंचता है।
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