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शीला के जान की दुश्मन बनी सांप, 19 वर्षो में 50 बार काटा

​मीनापुर के बहवल बाजार निवासी एक महिला के पीछे पड़ी सांप

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर । मुजफ्फरपुर जिले के मीनापुर थाना क्षेत्र के बहवल बाजार गांव की कृष्णदेव प्रसाद की पत्नी शीला देवी मंगलवार को अपना जख्म दिखा रही थी। दुसरी ओर उसे डर भी सता रहा था कि कही फिर उसे सांप ना डंस ले। इसी बीच आंगन से बेटी दौड़ती आयी कि मम्मी सांप घूम रहा है। पति के जाने के बाद सांप भाग गया। शीला देवी को एक बार नही दो बार नही बल्कि सांप ने पचास बार डसा है। वह चालिस बार भगवानपुर के प्रभात तारा हॉस्पीटल मे इलाज करा चुकी है। बात 1998 की है.शीला की पुत्री रानी 22 दिन की हो गयी थी। शीला ने पुत्री को दूध पिलाकर जमीन पर सुला दिया। रात अंधेरा हो चुका था.जब वह घर से बाहर निकलने लगी तो पैर सांप के शरीर पर पड़ गया। सांप ने फुफकारते हुए पलट कर उसको काट लिया। लोगो ने उसको प्रभात तारा अस्पताल मे भर्ती कराया। बड़ी मुशकिल से उसे बचाया जा सका। सातंवा रोज सांप ने काट लिया। इसके बाद सांप डसते ही रहा.22 बार उस साल सांप ने डंसा। इसके बाद शीला ने ओझागुणी से लेकर कई जगहो पर पूजा पाठ कराया। इसके बाद सिलसिला थम गया। 14 फरवरी 2014 को पुत्री की शादी का मुर्हुत निकलते ही उसके घर मे परेशानी शुरू हो गयी। शीला के साथ साथ परिवार के अन्य लोगो को भी सांप ने डंसना शुरू कर दिया। पुत्री रानी को दो बार डंसा। पुत्र राजाबाबू को तीन बार सांप ने डंसा। राजाबाबू को प्रभात तारा अस्पताल मे भर्ती कराया गया। मां घर आकर बेटे के अस्पताल ले जाने के लिए खाना बनाने लगी। चावल चुगने के वक्त ही विषधर ने फुफकारते हुए मां को भी डंस लिया। खाना छोड़ कर मां को अस्पताल ले जाना पड़ा। इतना ही नही देखभाल के लिए शीला की बहन को भी नागराज ने अपना शिकार बनाया। तंत्र मंत्र व साधना कराने के बाद यह सिलसिला कुछ दिनो के लिए थम गया। किंतु छह मई से शीला के घर मे फिर से तुफान आ गया है। अब तो वह स्वपन व बिछावन पर भी कांप उठती है। शीला को सांप ने छह,सात,आठ,17,24,27 मई  को भी डसा। जून मे तो सिलसिला थम नही रहा है। घर के लोगो ने शीला को कुछ दिनो के लिए मायके बैरिया भेज दिया। किंतु वहां भी सांप ने डंस लिया। अब शीला जाये तो कहां जाये। घर मे भी अनेक लोगो की उपस्थिति मे भी उसे ही डसती है। शीला कहती है कि वह अब क्या करे,समझ मे नही आता। सांप ने कहां कहां जख्म नही दिया। चारो तरफ पत्थर लगाने का दाग है।वह जख्म दिखाते हुए रो पड़ती है। हालांकि विज्ञान के इस दौर मे शीला को शंका गांव के ही कुछ लोगो पर है। किंतु शिकायत कहां करे। कोई सबूत है नही। कानून इसको मानता नही है। लेकिन इस दैविय प्रकोप के लिए वह कहां कहां ओझाओ का दरवाजा नही खटखटाया। वह कहती है गर्दन व हाथ से जंतर खुद से गायब हो गया। आंचल से बंधा पांच लौंग भी खुद लुप्त हो गया। ओझागुणी बोलते है चवनिया पूजा कराने के लिए। जबकि इस पूजा पर लाखो खर्च आयेंगे। कहां से आयेगा इतना पैसा। गेरूआ व बतासा चढाने के बाद भी घर मे तबाही है। शीला के दामाद अजय भी दिल्ली से यहां आ गये है। उनका कहना है कि कुछ लोग दुश्मनी का खुन्नस निकाल रहे है। वह पहले भी बर्बाद करने की धमकी दे चुका है। गांव मे ऐसी घटना चर्चा का विषय है।


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