KKN गुरुग्राम डेस्क | राजधानी पटना के वीवीआईपी इलाके में सोमवार सुबह उस वक्त तनाव पैदा हो गया जब BPSC TRE-3 शिक्षक अभ्यर्थी मुख्यमंत्री आवास की ओर सप्लीमेंट्री रिजल्ट की मांग को लेकर मार्च करने निकले। जैसे ही प्रदर्शनकारी CM हाउस के पास पहुंचे, पुलिस ने उन्हें रोकने की कोशिश की। जब अभ्यर्थी पीछे नहीं हटे तो पुलिस ने हल्का लाठीचार्ज किया और उन्हें इलाके से हटाया गया।
यह घटना उस समय हुई जब बिहार में बेरोजगारी और सरकारी नौकरियों में अनियमितता जैसे मुद्दे युवाओं के बीच प्रमुख चर्चा का विषय बने हुए हैं।
TRE-3 परीक्षा क्या है और विवाद क्यों?
TRE-3 यानी टीचर रिक्रूटमेंट एग्जाम का तीसरा चरण, बीपीएससी द्वारा राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षक पदों की भर्ती के लिए आयोजित किया गया था। हाल ही में जारी परिणामों में कई योग्य अभ्यर्थियों का नाम नहीं आने पर सवाल खड़े हो गए हैं।
अभ्यर्थियों का आरोप है कि:
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चयन प्रक्रिया पारदर्शी नहीं रही
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कई योग्य उम्मीदवारों को बिना कारण बाहर कर दिया गया
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मेरिट लिस्ट में त्रुटियां और विसंगतियां हैं
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पिछली भर्तियों की तरह पूरक परिणाम (Supplementary Result) जारी किया जाना चाहिए
प्रदर्शन के दौरान लगे नारे
अभ्यर्थी हाथों में पोस्टर और बैनर लेकर मुख्यमंत्री आवास की ओर बढ़े। उनके नारों में शामिल थे:
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“BPSC TRE-3 सप्लीमेंट्री नहीं तो वोट नहीं”
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“न्याय चाहिए, नौकरी चाहिए”
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“सप्लीमेंट्री दो या फांसी दो”
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“युवाओं का हक मारने वालों को वोट नहीं”
इन नारों से स्पष्ट है कि अभ्यर्थी अब सिर्फ प्रशासनिक नहीं बल्कि राजनीतिक जवाबदेही भी मांग रहे हैं।
पुलिस की कार्रवाई: हल्का लाठीचार्ज और प्रदर्शनकारियों को हटाया गया
घटना की जानकारी मिलते ही पटना पुलिस ने CM हाउस के पास सुरक्षा बढ़ा दी। प्रदर्शनकारियों की संख्या ज्यादा नहीं थी, लेकिन उनका स्थान संवेदनशील होने के कारण पुलिस ने पहले मौखिक रूप से हटने को कहा।
जब वे नहीं माने और आगे बढ़ने लगे, तब हल्का लाठीचार्ज किया गया। इस दौरान किसी के घायल होने की सूचना नहीं है, लेकिन घटना को लेकर युवा संगठनों में रोष देखा गया।
पुलिस ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए कार्रवाई जरूरी थी, वहीं अभ्यर्थियों ने आरोप लगाया कि यह उनके लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन है।
“सप्लीमेंट्री नहीं तो वोट नहीं”: एक नया राजनीतिक नारा
यह नारा अब केवल विरोध का साधन नहीं बल्कि राजनीतिक चेतना का प्रतीक बनता जा रहा है। बिहार जैसे राज्य में, जहां सरकारी नौकरी युवाओं के लिए बड़ा सपना होती है, वहां इस तरह के नारे विधानसभा और लोकसभा चुनावों में असर डाल सकते हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि सरकार ने जल्द समाधान नहीं निकाला तो इसका सीधा असर वोट बैंक पर पड़ सकता है।
घटना का समय और स्थान
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दिनांक: 6 मई 2025
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समय: सुबह करीब 10 बजे
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स्थान: मुख्यमंत्री आवास, वीवीआईपी जोन, पटना
अभ्यर्थी शांतिपूर्वक मार्च कर रहे थे, लेकिन मुख्यमंत्री आवास के नजदीक पहुंचते ही पुलिस ने घेराबंदी शुरू कर दी।
अभ्यर्थियों की मुख्य मांगे
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TRE-3 का पूरक परिणाम जल्द से जल्द जारी किया जाए
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चयन प्रक्रिया में पारदर्शिता लाई जाए
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अपात्र घोषित किए गए अभ्यर्थियों को पुनर्विचार का अवसर मिले
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TRE-4 तब तक शुरू न हो जब तक TRE-3 विवाद का समाधान न हो
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BPSC या शिक्षा विभाग के उच्च अधिकारियों से सीधी वार्ता की जाए
BPSC पर पहले भी उठ चुके हैं सवाल
BPSC की कार्यप्रणाली पर पहले भी विवाद हुए हैं:
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कई परीक्षाएं विलंब से आयोजित होती हैं
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परिणामों में भूल, पुनर्मूल्यांकन की मांग
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अभ्यर्थियों को न्यायिक कार्रवाई का सहारा लेना पड़ा है
अब तक BPSC ने TRE-3 पूरक परिणाम पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया है। इस चुप्पी से अभ्यर्थियों में असंतोष और बढ़ रहा है।
सोशल मीडिया पर वायरल हुआ प्रदर्शन
घटना के बाद #TRE3SupplementaryResult ट्रेंड करने लगा। अभ्यर्थियों ने ट्विटर (X), इंस्टाग्राम और फेसबुक पर वीडियो और फोटो शेयर किए। कई राजनीतिक दलों और छात्र संगठनों ने भी समर्थन में पोस्ट किए।
युवा संगठनों ने कहा कि यह केवल एक परीक्षा का मुद्दा नहीं बल्कि बिहार के युवाओं के भविष्य का सवाल है
पटना में हुए इस विरोध प्रदर्शन ने यह स्पष्ट कर दिया है कि बेरोजगारी और भर्ती प्रक्रिया में अनियमितता अब सिर्फ प्रशासनिक चिंता नहीं रह गई है। यह अब राजनीतिक और सामाजिक चेतना का विषय बन गया है।
सरकार और BPSC को चाहिए कि वे जल्द से जल्द इस मुद्दे पर स्पष्ट और न्यायपूर्ण कार्रवाई करें, ताकि विश्वास बहाल किया जा सके और युवाओं को यह संदेश मिले कि उनकी मेहनत व्यर्थ नहीं जाएगी।
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