KKN गुरुग्राम डेस्क | 22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव को और हवा दी है। इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हो गई, और इसके बाद दोनों देशों के बीच रिश्ते और भी कड़े हो गए हैं। इस घटना के बाद पाकिस्तान के सूचना मंत्री, अताउल्लाह तरार ने एक बड़ा दावा किया है, जिसमें उन्होंने कहा कि पाकिस्तान के पास विश्वसनीय खुफिया जानकारी है कि भारत अगले 24-36 घंटों में पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई कर सकता है।
पाकिस्तान का दावा: भारत कर सकता है सैन्य हमला
पाकिस्तान के सूचना मंत्री अताउल्लाह तरार ने 29 अप्रैल 2025 को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर एक बयान जारी करते हुए दावा किया कि पाकिस्तान के पास यह जानकारी है कि भारत अगले कुछ घंटों में पाकिस्तान पर हमला कर सकता है। तरार का कहना था कि भारत ने किसी निष्पक्ष जांच की बजाय सीधे सैन्य कार्रवाई की योजना बनाई है, जो क्षेत्रीय शांति के लिए खतरनाक साबित हो सकती है।
उन्होंने कहा कि भारत पाकिस्तान को दोषी ठहराते हुए मामले में बिना किसी ठोस प्रमाण के सैन्य कार्रवाई की तैयारी कर रहा है। पाकिस्तान ने इसके विपरीत, इस हमले की निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय जांच की पेशकश की थी, जिसे भारत ने नकारते हुए अपने आक्रमक रवैये को चुना है।
पाकिस्तान का हाई अलर्ट और परमाणु खतरा
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा मोहम्मद आसिफ ने इस स्थिति पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि पाकिस्तान इस समय हाई अलर्ट पर है और यदि भारत हमला करता है, तो पाकिस्तान अपनी सुरक्षा के लिए जवाबी कार्रवाई करेगा। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान परमाणु हथियारों का उपयोग केवल अपने अस्तित्व को खतरे में महसूस करने की स्थिति में करेगा।
आसिफ के बयान से साफ है कि पाकिस्तान भारत के संभावित हमले से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार है, और यदि हालात बिगड़ते हैं, तो यह क्षेत्रीय और वैश्विक सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा बन सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी का कड़ा संदेश: सेना को पूरी स्वतंत्रता
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस मामले में अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि भारतीय सशस्त्र बलों को आतंकवादियों के खिलाफ पूरी स्वतंत्रता दी गई है। प्रधानमंत्री मोदी का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर है। मोदी का कहना था कि भारतीय सेना को आतंकवादियों का पूरी तरह से सफाया करने के लिए पूरी आज़ादी है।
इसके साथ ही भारत ने पाकिस्तान से और भी कठोर कदम उठाए हैं। भारत ने सिंधु जल संधि को रद्द कर दिया है, पाकिस्तान के अधिकारियों को निष्कासित कर दिया है और उनके वीजा भी रद्द कर दिए हैं। इन कदमों ने पाकिस्तान में हड़कंप मचा दिया है और दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ा दिया है।
22 अप्रैल को हुआ पहलगाम आतंकी हमला
22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के पहलगाम में एक भीषण आतंकी हमला हुआ, जिसमें 26 निर्दोष नागरिकों की जान चली गई। इस हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों को जिम्मेदार ठहराया और आरोप लगाया कि पाकिस्तान आतंकवादियों को प्रायोजित कर रहा है। भारत का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान द्वारा की जा रही सीमा पार आतंकवाद का हिस्सा है।
पाकिस्तान ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें बेबुनियाद बताया और कहा कि भारत ने बिना किसी ठोस प्रमाण के पाकिस्तान को दोषी ठहराया है। दोनों देशों के बीच इस घटना को लेकर अब तक कोई सुलह नहीं हो पाई है और स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है।
भारत की कड़ी प्रतिक्रिया: सैन्य कार्रवाई की स्वतंत्रता
भारत ने पहलगाम आतंकी हमले के बाद कड़े कदम उठाए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय सेना को आतंकवादियों के खिलाफ पूरी स्वतंत्रता दे दी है। इसके साथ ही, भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ अन्य कठोर कदम उठाए हैं, जैसे कि सिंधु जल संधि को रद्द करना और पाकिस्तान के अधिकारियों को निष्कासित करना। इन कदमों से पाकिस्तान में भारी घबराहट का माहौल है, और यह कदम दोनों देशों के बीच युद्ध के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
अंतरराष्ट्रीय समुदाय की भूमिका और संभावनाएं
भारत और पाकिस्तान के बीच इस बढ़ते तनाव के बीच, अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने शांति और संयम बनाए रखने की अपील की है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और अन्य वैश्विक शक्तियों ने दोनों देशों से अपील की है कि वे सैन्य संघर्ष से बचें और बातचीत के जरिए मसलों का समाधान निकालें। दोनों देशों के पास परमाणु हथियार हैं, और इस स्थिति में किसी भी सैन्य संघर्ष का परिणाम पूरी दुनिया के लिए विनाशकारी हो सकता है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते एक गंभीर मोड़ पर खड़े हैं। पाकिस्तान का दावा कि भारत अगले कुछ घंटों में हमला कर सकता है, और भारत की तरफ से आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई के लिए सेना को स्वतंत्रता देने का बयान, दोनों देशों के बीच युद्ध की संभावना को बढ़ाते हैं। ऐसे में, दोनों देशों के लिए यह समय बहुत संवेदनशील है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय की कोशिशें महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि इस स्थिति का प्रभाव न सिर्फ दक्षिण एशिया, बल्कि पूरे विश्व पर पड़ सकता है।
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