KKN ब्यूरो। 2 जून 2025। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद कोई नया विषय नहीं है, लेकिन 2020 के गलवान संघर्ष के बाद जो गतिरोध शुरू हुआ, वह अब भी पूरी तरह समाप्त नहीं हो पाया है। 2025 में यह विवाद फिर चर्चा में है क्योंकि मई के आखिरी सप्ताह में अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में चीनी ड्रोन गतिविधियों और भारतीय वायुसेना की जवाबी तैनाती ने चिंता बढ़ा दी है।
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क्या हो रहा है तवांग और लद्दाख में?
- तवांग सेक्टर (अरुणाचल) में मई 2025 के दौरान PLA (चीनी सेना) के सर्वे ड्रोन देखे गए।
- भारतीय वायुसेना ने सुखोई-30 और राफेल विमानों को एलर्ट मोड में तैनात किया।
- लद्दाख में डेमचोक और डेपसांग इलाके में पेट्रोलिंग पॉइंट्स तक भारतीय सैनिकों की पहुंच अब भी बाधित है।
- पैंगोंग झील के उत्तर और दक्षिण किनारे पर चीनी निर्माण फिर से तेज हुआ है।
21वें दौर की सैन्य वार्ता: समाधान या औपचारिकता?
2025 में भारत और चीन के बीच 21वें दौर की कॉर्प्स कमांडर स्तर की वार्ता हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका।
चीन का रुख:
- यथास्थिति बनाए रखने पर जोर
- भारत के ‘ऑपरेशनल मोबिलाइजेशन’ पर आपत्ति
भारत का रुख:
- अप्रैल 2020 की स्थिति बहाल करने की मांग
- डेपसांग और डेमचोक से पीछे हटने पर जोर
सलामी स्लाइसिंग और ग्रे ज़ोन वारफेयर
- ग्रे ज़ोन टैक्टिक्स: सीधे युद्ध से बचते हुए दबाव बनाने की नीति।
- साइबर हमले, प्रोपेगैंडा, और सीमावर्ती क्षेत्रों में स्थायी इन्फ्रास्ट्रक्चर का निर्माण।
- सीमा पर बार-बार घुसपैठ की कोशिशें भारत को “एक्टिव रिएक्शन मोड” में रखती हैं।
जवाबी रणनीति और अंतरराष्ट्रीय सहयोग
- LAC पर ISRO और DRDO के सहयोग से सैटेलाइट सर्विलांस मजबूत।
- वायुसेना की नियमित निगरानी उड़ानें पूर्वोत्तर क्षेत्र में।
- QUAD और भारत-अमेरिका रक्षा समझौते से रणनीतिक सहयोग बढ़ा।
- अरुणाचल में सीमावर्ती गांवों में विकास योजनाएं तेज़, जिसे चीन ‘उकसाने वाली नीति’ कह रहा है।
तुलनात्मक विश्लेषण: सैन्य ताकत और कूटनीति
पहलू | भारत | चीन |
सैनिक तैनाती (LAC) | ~70,000 जवान (गहरी तैनाती) | ~90,000 PLA सैनिक + सशस्त्र मिलिशिया |
हवाई ताकत | राफेल, सुखोई, तेजस, ड्रोन | J-20, J-16, TB001 ड्रोन |
कूटनीति | सीमा विवाद का शांतिपूर्ण समाधान | सामरिक लाभ हेतु समय खींचना |
वैश्विक सहयोग | अमेरिका, QUAD, फ्रांस, जापान | रूस, पाकिस्तान, आंतरिक उत्पादन |
वैश्विक शक्ति संतुलन की नई दिशा?
भारत और चीन के रिश्ते सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं हैं — यह एक एशियाई नेतृत्व के संघर्ष की गाथा भी है। चीन दक्षिण चीन सागर, ताइवान और ब्रिक्स विस्तार पर आक्रामक है, जबकि भारत वैश्विक मंच पर लोकतांत्रिक ताकत के रूप में उभर रहा है।
टकराव टल सकता है, लेकिन तनाव बना रहेगा
वर्तमान हालात युद्ध की ओर नहीं बढ़ रहे, लेकिन ‘तनावपूर्ण शांति’ (tense peace) का माहौल कायम है। जब तक चीन अप्रैल 2020 की यथास्थिति बहाल नहीं करता, तब तक सीमाओं पर स्थायी शांति असंभव है। भारत की जवाबी रणनीति अब कहीं अधिक स्पष्ट और समन्वित दिख रही है।
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