जब देश का प्रधानमंत्री खुद एक साधारण कार्यकर्ता या गृहिणी से मिलकर उनकी समस्याओं पर चर्चा करता है, तो इससे न केवल उस व्यक्ति का मनोबल बढ़ता है, बल्कि समाज में एक नई उम्मीद भी जगती है। यह लेख उन नेताओं के लिए एक सबक है, जो चुनाव में हार के बाद बहाने बनाते हैं। जानिए, कार्यकर्ताओं से केवल जुड़ना ही नहीं, बल्कि जुड़े रहना कितना आवश्यक है।
अगस्त क्रांति का महानायक KKN न्यूज ब्यूरो। बिहार में मुजफ्फरपुर जिला का एक कस्बा है-मीनापुर...।… Read More
जब भी हम स्वतंत्रता संग्राम की बात करते हैं, तो दिल्ली, बंगाल और पंजाब की… Read More
आजकल हमारी आंखों पर दबाव इतना बढ़ चुका है कि इन्हें स्वस्थ रखना और उनकी… Read More
आईबीपीएस (इंस्टीट्यूट ऑफ बैंकिंग पर्सनल सेलेक्शन) ने अपनी आईबीपीएस क्लर्क भर्ती 2025 के लिए कई… Read More
मारुति सुजुकी इंडिया ने अगस्त 2025 में अपनी सबसे लोकप्रिय और स्टाइलिश हैचबैक स्विफ्ट पर… Read More
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