कश्मीर, अतीत के आईने में

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कश्मीर की छोटी बड़ी सभी खबरे इन दिनो मीडिया की सुर्खियां बटोर रही है। अन्तर्राष्ट्रीय मीडिया पत्थरबाजो की तलाश कर रही है। वहीं, राष्ट्रीय मीडिया घाटी में अमन और चैन की तस्वीर दिखा रही है। आलम ये है कि आम लोगो के जेहन में कश्मीर को ठीक से जानने और समझने की उत्सुकता चरम पर है। ऐसे में कश्मीर के इतिहास पर एक नजर डाल लेना जरुरी हो जाता है। इन्हीं सवालो की तलाश करते हुए मेरी नजर राजतरंगणी पर पड़ा। दरअसल, 12वीं शताब्दी में कल्हण ने इस पुस्तक की रचना की थीं और इसको कश्मीर का सबसे प्रमाणिक पुस्तक माना जाता है। इसी प्रकार नीलम संहिता में भी कश्मीर का इतिहास पढ़ने को मिल जाता है। क्या है इस पुस्तक में, देखिए इस रिपोर्ट में…


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