टेस्ट क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ा बदलाव आने की संभावना है। ड्यूक्स बॉल के निर्माताओं ने हाल ही में टेस्ट क्रिकेट के एक पुराने नियम को बदलने की वकालत की है। उनका कहना है कि अब 80 ओवर नहीं, बल्कि 60 ओवर के बाद नई गेंद लेने की अनुमति मिलनी चाहिए। यह मांग हाल के कुछ टेस्ट मैचों में गेंद की खराब गुणवत्ता और खिलाड़ियों की शिकायतों के बाद उठी है।
इस प्रस्ताव ने क्रिकेट जगत में हलचल मचा दी है क्योंकि यह नियम लगभग 45 साल पुराना है और इसे बदलना टेस्ट क्रिकेट की रणनीति को पूरी तरह बदल सकता है।
ड्यूक्स बॉल का इस्तेमाल मुख्य रूप से इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में टेस्ट मैचों के दौरान किया जाता है। यह गेंद लंबे समय तक स्विंग और सीम मूवमेंट के लिए जानी जाती रही है। लेकिन हाल के महीनों में, इस गेंद की गुणवत्ता को लेकर कई खिलाड़ियों और अंपायर्स ने सवाल उठाए हैं।
इंग्लैंड की मौजूदा घरेलू सीरीज़ में कई बार गेंद को 30-40 ओवर के भीतर ही बदलना पड़ा है क्योंकि वह अपनी आकार और सीम खो देती थी। गेंदबाजों ने शिकायत की है कि अब ड्यूक्स बॉल पहले जैसी स्विंग और बाउंस नहीं दे रही है।
बल्लेबाजों की भी शिकायत है कि गेंद के बर्ताव में अनियमितता खेल के संतुलन को बिगाड़ रही है।
ड्यूक्स बॉल बनाने वाली ब्रिटिश क्रिकेट बॉल्स लिमिटेड ने आधिकारिक तौर पर यह सुझाव दिया है कि आईसीसी को नियम बदलने पर विचार करना चाहिए और 60 ओवर के बाद नई गेंद का विकल्प देना चाहिए।
अभी तक नियम यह है कि टेस्ट क्रिकेट में कोई भी टीम 80 ओवर के बाद ही नई गेंद ले सकती है। यह नियम 1970 के दशक के अंत में लागू हुआ था और तब से चला आ रहा है।
निर्माताओं का मानना है कि आज के समय में बल्लेबाजों का दबदबा, फ्लैट पिचों और तेज़ रनरेट के चलते गेंदबाजों के पास ज़्यादा विकल्प नहीं बचे हैं। ऐसे में 60 ओवर के बाद नई गेंद मिलने से मैच में संतुलन बना रह सकता है।
“ड्यूक्स बॉल की प्रतिष्ठा हम सब जानते हैं, लेकिन हमें खिलाड़ियों की राय को भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। अगर गेंद 60 ओवर के बाद खराब हो रही है, तो नई गेंद का विकल्प जरूरी है,” कंपनी के प्रवक्ता ने कहा।
इस सुझाव पर क्रिकेट विशेषज्ञों और पूर्व खिलाड़ियों की राय बंटी हुई है। तेज़ गेंदबाजों ने इस प्रस्ताव का स्वागत किया है, वहीं कुछ पारंपरिक सोच वाले खिलाड़ियों को लगता है कि इससे टेस्ट क्रिकेट की आत्मा प्रभावित हो सकती है।
इंग्लैंड के पूर्व तेज गेंदबाज स्टुअर्ट ब्रॉड ने हाल ही में कहा था,
“अगर गेंद 30 ओवर में ही डेड हो जाती है, तो टेस्ट क्रिकेट सिर्फ बैटिंग प्रैक्टिस बनकर रह जाएगा। अगर निर्माता गुणवत्ता नहीं सुधार सकते, तो 60 ओवर पर नई गेंद देना ही एकमात्र रास्ता है।”
हालांकि कुछ क्रिकेट विशेषज्ञों का मानना है कि इससे रिवर्स स्विंग पर असर पड़ेगा, जो गेंद की पुरानी हालत में ही प्रभावी होती है। खासकर भारतीय और पाकिस्तानी गेंदबाजों के लिए यह एक अहम हथियार है।
ड्यूक्स बॉल, टेस्ट क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली तीन प्रमुख गेंदों में से एक है। बाकी दो हैं: कूकाबुरा (ऑस्ट्रेलिया, साउथ अफ्रीका आदि में उपयोग) और SG बॉल (भारत में उपयोग)।
कूकाबुरा बॉल – सीम जल्दी घिस जाती है, स्विंग कम होती है
SG बॉल – हाथ से सिली जाती है, सीम लंबी चलती है
ड्यूक्स बॉल – पहले तक सबसे संतुलित मानी जाती थी लेकिन अब आलोचना हो रही है
अब जब ड्यूक्स बॉल की गुणवत्ता पर सवाल उठ रहे हैं, तो ICC को यह निर्णय लेना होगा कि क्या नियम में बदलाव किया जाए या निर्माताओं को गेंद की गुणवत्ता सुधारने की जिम्मेदारी दी जाए।
1970 के दशक में MCC (मैरीलेबोन क्रिकेट क्लब) ने टेस्ट क्रिकेट के लिए कई नियम बनाए थे, जिनमें से एक था – 80 ओवर के बाद नई गेंद का विकल्प। इससे पहले गेंद कब बदली जाएगी, इसका कोई स्थायी नियम नहीं था।
यह नियम वर्षों से कप्तानों की रणनीति का हिस्सा बन गया है। नई गेंद के समय का चयन मैच की दिशा बदल सकता है, खासकर आखिरी सत्रों में।
अब अगर 60 ओवर के बाद नई गेंद का विकल्प मिलता है, तो इससे स्पिन और तेज़ गेंदबाजी के संतुलन, गेंदबाजों की फिटनेस और फील्डिंग रणनीति पर असर पड़ेगा।
अब जब ड्यूक्स बॉल निर्माताओं ने यह प्रस्ताव सार्वजनिक रूप से रख दिया है, तो माना जा रहा है कि ICC (अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद) अपनी अगली क्रिकेट समिति की बैठक में इस मुद्दे को शामिल करेगी।
हो सकता है कि यह बदलाव शुरुआत में ट्रायल के रूप में कुछ द्विपक्षीय सीरीज़ में लागू किया जाए, और फिर इसे वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप जैसी बड़ी प्रतियोगिताओं में लाया जाए।
वहीं इंग्लैंड एंड वेल्स क्रिकेट बोर्ड (ECB) भी इसे अपनी घरेलू प्रतियोगिताओं जैसे काउंटी चैंपियनशिप में लागू करने की सोच सकता है।
60 ओवर के बाद नई गेंद देने का प्रस्ताव भले ही एक तकनीकी सुझाव हो, लेकिन यह टेस्ट क्रिकेट की मूल संरचना को बदल सकता है। ड्यूक्स बॉल की गुणवत्ता को लेकर उठे सवालों ने इस बहस को जन्म दिया है कि क्या समय आ गया है कि पुराने नियमों की समीक्षा की जाए।
अगर यह बदलाव लागू होता है, तो इससे गेंदबाजी रणनीतियों, खिलाड़ियों की फिटनेस, और मैच के परिणामों पर बड़ा असर पड़ेगा। क्रिकेट के पारंपरिक प्रेमी इसे बदलाव के खिलाफ मान सकते हैं, लेकिन आज के प्रतिस्पर्धी दौर में खेल को संतुलित और दर्शकों के लिए रोमांचक बनाए रखना भी जरूरी है।
This post was published on जुलाई 9, 2025 16:05
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