KKN गुरुग्राम डेस्क | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 29 मई को बिहार के दो दिवसीय दौरे पर आ रहे हैं। इस दौरे का मुख्य आकर्षण होगा 30 मई को रोहतास के बिक्रमगंज में 2400 मेगावाट क्षमता वाले नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्लांट (NSTPS) स्टेज-2 का शिलान्यास। यह परियोजना ₹29,947.91 करोड़ की लागत से बनाई जाएगी और इसके पूरा होने पर यह देश का दूसरा सबसे बड़ा विद्युत संयंत्र बन जाएगा।
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इस परियोजना से न सिर्फ बिहार को बिजली आपूर्ति में मजबूती मिलेगी, बल्कि यह राज्य के औद्योगिक विकास की दिशा में भी एक बड़ा कदम होगा।
नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्लांट: प्रमुख बिंदु
विवरण | जानकारी |
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परियोजना का नाम | नबीनगर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (NSTPS) स्टेज-2 |
स्थान | नबीनगर, औरंगाबाद जिला, बिहार |
कुल लागत | ₹29,947.91 करोड़ |
विद्युत उत्पादन क्षमता | 2400 मेगावाट |
संचालन एजेंसी | एनटीपीसी (NTPC) |
उद्देश्य | बिहार और आस-पास के राज्यों को बिजली आपूर्ति |
बिहार को मिलेगी 2400 मेगावाट अतिरिक्त बिजली
इस थर्मल पावर प्लांट के चालू होने के बाद बिहार को 2400 मेगावाट बिजली की आपूर्ति होगी। वर्तमान में राज्य की ऊर्जा मांग तेजी से बढ़ रही है, विशेषकर शहरीकरण, औद्योगीकरण और कृषि क्षेत्रों में। यह परियोजना बिहार को ऊर्जा आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में निर्णायक कदम है।
यह संयंत्र एनटीपीसी की उन योजनाओं में से एक है, जो भारत के ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाकर 24×7 बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है।
बिहार में अब तक की सबसे बड़ी ऊर्जा परियोजना
केंद्र सरकार ने बिहार की ऊर्जा ज़रूरतों को ध्यान में रखते हुए NSTPS स्टेज-2 को मंजूरी दी है। यह संयंत्र देश का दूसरा सबसे बड़ा थर्मल पावर प्लांट होगा और इससे बिहार का बिजली संकट समाप्त होने की उम्मीद है।
एनटीपीसी द्वारा संचालित यह प्लांट आधुनिक तकनीकों से लैस होगा और पर्यावरण को कम से कम नुकसान पहुंचे, इसके लिए फ्लू गैस डीसल्फराइजेशन (FGD) और इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रीसिपिटेटर (ESP) जैसी तकनीकों का इस्तेमाल किया जाएगा।
रोजगार और औद्योगिक विकास को मिलेगा बढ़ावा
इस मेगा पावर प्रोजेक्ट से हजारों लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। इसके अलावा, यह संयंत्र राज्य में उद्योगों को बिजली की स्थायी आपूर्ति सुनिश्चित करेगा, जिससे नई फैक्ट्रियों, स्टार्टअप्स और निवेश के रास्ते खुलेंगे।
गांवों तक बिजली पहुंचने से कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में भी सुधार होगा।
राजनीतिक संदेश: विधानसभा चुनाव से पहले बड़ा ऐलान
बिहार में साल के अंत में संभावित विधानसभा चुनावों को देखते हुए, पीएम मोदी का यह दौरा और शिलान्यास एक बड़ा राजनीतिक संदेश भी माना जा रहा है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने प्रधानमंत्री मोदी को इस परियोजना के लिए धन्यवाद देते हुए कहा:
“प्रधानमंत्री ने बिहार को एक ऐतिहासिक तोहफा दिया है। यह परियोजना रोजगार, बिजली और औद्योगीकरण के रास्ते खोलेगी।”
इस ऐलान को केंद्र सरकार द्वारा पूर्वी भारत के विकास की प्रतिबद्धता के रूप में देखा जा रहा है।
बिहार का बिजली परिदृश्य: अतीत से भविष्य की ओर
बिहार ने हाल के वर्षों में बिजली वितरण में उल्लेखनीय सुधार किया है, लेकिन अब भी ग्रामीण इलाकों में बिजली कटौती और ट्रांसमिशन लॉस एक चुनौती बनी हुई है। ‘सौभाग्य योजना’, ‘दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना’ और ‘उदय योजना’ जैसी केंद्रीय योजनाओं से सुधार हुआ है, लेकिन इस परियोजना से लंबे समय के समाधान की उम्मीद है।
विकास का रोडमैप: अगले चार साल में पूरा हो सकता है काम
एनटीपीसी ने परियोजना के लिए प्रारंभिक टाइमलाइन जारी की है:
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2025 की तीसरी तिमाही: भूमि अधिग्रहण और टेंडर प्रक्रिया
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2026 की पहली तिमाही: निर्माण कार्य प्रारंभ
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2028 तक: पहला यूनिट (800 मेगावाट) चालू
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2029 तक: सभी यूनिट चालू होकर 2400 मेगावाट की पूर्ण क्षमता पर कार्यरत
बशर्ते पर्यावरणीय स्वीकृति, ज़मीन अधिग्रहण और तकनीकी प्रक्रिया समय से पूरी हो जाए।
जनता की उम्मीदें और स्थानीय प्रतिक्रिया
नबीनगर, औरंगाबाद, रोहतास और आसपास के जिलों में इस परियोजना को लेकर भारी उत्साह देखा जा रहा है। स्थानीय लोग उम्मीद कर रहे हैं कि यह परियोजना जल्द शुरू हो और बिना किसी देरी के पूर्ण हो, ताकि बिजली की समस्या का स्थायी समाधान हो सके।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बिहार दौरा और नबीनगर सुपर थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास राज्य के लिए ऐतिहासिक मोड़ है। ₹29,947.91 करोड़ की लागत और 2400 मेगावाट की उत्पादन क्षमता वाली यह परियोजना बिहार के विकास पथ को ऊर्जा देगी।
यह सिर्फ एक पावर प्लांट नहीं, बल्कि बिहार की नई पहचान, नई संभावना और आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम है।
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