KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में मार्च 2024 के बाद से अब तक कोई बदलाव नहीं हुआ है। 5 मई 2025 को भी देश की प्रमुख तेल विपणन कंपनियों (OMCs) — इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम और हिंदुस्तान पेट्रोलियम — ने ईंधन दरों में किसी तरह की कटौती या बढ़ोतरी नहीं की है।
बाजार में लगातार बदलते क्रूड ऑयल के दाम और डॉलर-रुपया विनिमय दर के बावजूद उपभोक्ताओं को कोई अतिरिक्त राहत नहीं मिली है।
पिछली बार कब घटे थे पेट्रोल और डीजल के दाम?
अंतिम बार 5 मार्च 2024 को:
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पेट्रोल की कीमत में ₹2 प्रति लीटर की कटौती की गई थी।
-
डीजल की दर भी ₹2 प्रति लीटर कम की गई थी।
यह छोटी सी राहत उस समय चुनावी मौसम से जुड़ी मानी गई थी। लेकिन तब से लेकर अब तक सरकार या तेल कंपनियों द्वारा कोई नया बदलाव नहीं किया गया है।
5 मई 2025 को शहरवार पेट्रोल और डीजल के दाम
शहर | पेट्रोल (₹/लीटर) | डीजल (₹/लीटर) |
---|---|---|
दिल्ली | ₹94.72 | ₹87.62 |
मुंबई | ₹103.44 | ₹89.97 |
कोलकाता | ₹103.94 | ₹90.76 |
चेन्नई | ₹100.85 | ₹92.44 |
बेंगलुरु | ₹102.86 | ₹91.02 |
लखनऊ | ₹94.65 | ₹87.76 |
नोएडा | ₹94.87 | ₹88.01 |
गुरुग्राम | ₹95.19 | ₹88.05 |
चंडीगढ़ | ₹94.24 | ₹82.40 |
पटना | ₹105.18 | ₹92.04 |
नोट: ये दरें स्थानीय कर (VAT), डीलर मार्जिन और ट्रांसपोर्टेशन लागत को मिलाकर होती हैं, जिससे हर राज्य में थोड़ी अलग हो सकती हैं।
पेट्रोल और डीजल के दाम भारत में इतने ऊंचे क्यों हैं?
1. अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की अस्थिरता
भारत अपनी 80% से अधिक कच्चे तेल की ज़रूरत आयात से पूरा करता है। जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें घटती हैं, तब भी उपभोक्ताओं को उसका सीधा लाभ नहीं मिलता।
2. एक्साइज ड्यूटी और राज्य कर (VAT)
ईंधन की कीमतों में लगभग 50% हिस्सा टैक्स का होता है। केंद्र सरकार की एक्साइज ड्यूटी और राज्य सरकारों का VAT मिलकर दामों को ऊंचा बनाए रखते हैं।
3. तेल कंपनियों की मूल्य निर्धारण नीति
हालांकि OMCs का दावा है कि वे दैनिक मूल्य संशोधन करते हैं, लेकिन हकीकत में मार्च 2024 से कोई संशोधन नहीं किया गया है। यह दर्शाता है कि संभवतः राजनीतिक कारणों से मूल्य स्थिर रखे जा रहे हैं।
भारत में कौन तय करता है फ्यूल रेट?
भारतीय ईंधन कीमतें तकनीकी रूप से डीरिग्युलेटेड (deregulated) हैं, यानी कि:
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अंतरराष्ट्रीय कच्चे तेल की कीमत
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डॉलर-रुपया विनिमय दर
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रिफाइनरी लागत और ट्रांसपोर्टेशन खर्च
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डीलर कमीशन
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केंद्र और राज्य कर
इन सभी कारकों के आधार पर OMCs दरें तय करती हैं। हालांकि चुनावी मौसम और जनसंतोष भी निर्णयों को प्रभावित करते हैं।
पेट्रोल और डीजल के दाम ऑनलाइन कैसे चेक करें?
आप निम्न वेबसाइट्स या SMS सेवा से अपने शहर के दाम जान सकते हैं:
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Indian Oil: https://www.iocl.com
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Bharat Petroleum: https://www.bharatpetroleum.in
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Hindustan Petroleum: https://www.hindustanpetroleum.com
या फिर SMS करें:
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IOC: “RSP <डीलर कोड>” भेजें 9224992249 पर
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BPCL: “RSP <डीलर कोड>” भेजें 9223112222 पर
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HPCL: “HPPRICE <डीलर कोड>” भेजें 9222201122 पर
क्या भविष्य में ईंधन की कीमतों में कटौती संभव है?
चूंकि कई राज्यों में चुनाव करीब हैं, कीमतों में राहत की उम्मीदें बनी हुई हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक:
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अंतरराष्ट्रीय क्रूड ऑयल की कीमतें स्थायी रूप से नहीं गिरतीं
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रुपया डॉलर के मुकाबले मज़बूत नहीं होता
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सरकार एक्साइज ड्यूटी या VAT में कटौती नहीं करती
…तब तक फ्यूल रेट्स में बड़ी राहत संभव नहीं है।
पिछले 14 महीने में फ्यूल रेट्स में कोई बदलाव नहीं
महीना | पेट्रोल (दिल्ली) | डीजल (दिल्ली) |
---|---|---|
मार्च 2024 | ₹92.72 | ₹85.62 |
जुलाई 2024 | ₹94.72 | ₹87.62 |
नवम्बर 2024 | ₹94.72 | ₹87.62 |
फरवरी 2025 | ₹94.72 | ₹87.62 |
मई 2025 | ₹94.72 | ₹87.62 |
आम जनता और परिवहन सेक्टर पर प्रभाव
आम नागरिकों के लिए:
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ट्रांसपोर्टेशन खर्च बढ़ा
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घरेलू बजट पर बोझ
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महंगाई दर पर सीधा असर
परिवहन सेवाओं के लिए:
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माल भाड़ा शुल्क में वृद्धि
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लॉजिस्टिक लागत में बढ़ोतरी
ट्रक यूनियन और टैक्सी चालक लगातार सरकार से सब्सिडी या कर कटौती की मांग कर रहे हैं।
वाहन मालिकों के लिए फ्यूल बचत के टिप्स
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वाहन की नियमित सर्विसिंग करवाएं
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अनावश्यक आइडलिंग से बचें
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धीरे चलाएं, अचानक एक्सेलेरेशन से बचें
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कारपूलिंग या पब्लिक ट्रांसपोर्ट अपनाएं
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फ्यूल ट्रैकिंग ऐप्स से सस्ता पेट्रोल पंप खोजें
जनता में नाराजगी, सरकार बनी मौन
शहरों में लगातार ऊंचे जीवन यापन की लागत और स्थिर फ्यूल रेट्स के चलते लोग नाराज हैं। कई लोग सोशल मीडिया पर निराशा व्यक्त कर रहे हैं।
सरकार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, जिससे असंतोष और बढ़ रहा है।
5 मई 2025 को भी भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं। मार्च 2024 के बाद से कोई बदलाव नहीं हुआ है और महंगाई के दौर में यह आम आदमी और व्यवसायों के लिए बड़ी चिंता का विषय है।
जब तक सरकार पारदर्शिता नहीं लाती और करों को पुनर्गठित नहीं करती, तब तक कीमतों में बड़ी राहत मिलना मुश्किल है।
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