KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की सियासत में एक बार फिर से हलचल तेज हो गई है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान के बिहार विधानसभा चुनाव लड़ने की संभावनाओं को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं। इसी बीच, जन सुराज अभियान के संयोजक प्रशांत किशोर ने इस पर सकारात्मक प्रतिक्रिया दी है और इसे बिहार की राजनीति के लिए “सकारात्मक कदम” बताया है।
Article Contents
प्रशांत किशोर ने चिराग को एक ऐसा युवा नेता बताया जो जात-पात से ऊपर उठकर राजनीति करता है। उन्होंने कहा कि अगर चिराग विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो यह राज्य की राजनीति में नई सोच और बदलाव ला सकता है।
क्या चिराग पासवान लड़ेंगे विधानसभा चुनाव?
बीते रविवार को चिराग पासवान के बहनोई और जमुई से सांसद अरुण भारती ने सोशल मीडिया पर यह संकेत दिया कि पार्टी उन्हें आरक्षित नहीं, बल्कि सामान्य सीट से चुनाव मैदान में उतारने पर विचार कर रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, यह रणनीति इसलिए अपनाई जा रही है ताकि चिराग को केवल दलित नेता के रूप में नहीं, बल्कि बहुजन और युवा वर्ग के समग्र नेता के रूप में पेश किया जा सके।
प्रशांत किशोर ने दिया समर्थन
प्रशांत किशोर, जिन्होंने जन सुराज अभियान के जरिए राज्य में वैकल्पिक राजनीति की शुरुआत की है, ने चिराग की सक्रियता का स्वागत किया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा:
“अगर चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ते हैं तो यह एक सकारात्मक संकेत है। वह नई पीढ़ी के नेता हैं और जात-पात की राजनीति से ऊपर उठने की सोच रखते हैं।”
प्रशांत किशोर ने यह भी कहा कि बिहार को ऐसे ही नेताओं की जरूरत है जो जनता के मुद्दों पर काम करें, न कि जातीय समीकरणों पर।
राजनीतिक समीकरणों में बदलाव
चिराग पासवान के विधानसभा चुनाव लड़ने की खबर ने राज्य की राजनीति में नए समीकरणों को जन्म दिया है। खासकर जब वह एनडीए का हिस्सा हैं और बिहार में बीजेपी, जेडीयू और अन्य दलों के साथ गठबंधन में हैं।
1. एनडीए को मिलेगा नया चेहरा
अगर चिराग विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो इससे एनडीए को युवा और शहरी वर्ग में नई ताकत मिल सकती है। इससे गठबंधन को एक नया चेहरा और नेतृत्व मिल सकता है।
2. विपक्ष की चिंता
राजद और जदयू जैसे विपक्षी दल इसे बीजेपी की छुपी रणनीति बता रहे हैं। उनका मानना है कि इससे नीतीश कुमार की भूमिका कमजोर करने की कोशिश हो सकती है।
3. जातीय राजनीति को चुनौती
चिराग अगर सामान्य सीट से चुनाव लड़ते हैं, तो यह बिहार की पारंपरिक जातिगत राजनीति के खिलाफ एक बड़ा कदम होगा।
बिहार की जनता क्या चाहती है?
बिहार की राजनीति लंबे समय से जाति आधारित रही है, लेकिन अब युवा वर्ग, शहरी मतदाता और प्रवासी बिहारी एक नया राजनीतिक दृष्टिकोण अपनाने को तैयार दिख रहे हैं।
चिराग का सामान्य सीट से चुनाव लड़ना उन लोगों के लिए एक सकारात्मक संकेत है जो विकास, रोजगार और शिक्षा जैसे मुद्दों को प्राथमिकता देते हैं।
क्यों खास है प्रशांत किशोर की प्रतिक्रिया?
प्रशांत किशोर, जो खुद कई चुनावी रणनीति में सफलता प्राप्त कर चुके हैं, जब किसी नेता का खुलेआम समर्थन करते हैं, तो वह केवल बयान नहीं होता, बल्कि एक राजनीतिक संकेत होता है।
BPSC आंदोलन के दौरान भी चिराग और प्रशांत किशोर एक मंच पर दिखाई दिए थे, जिससे दोनों के बीच राजनीतिक तालमेल की अटकलें लगाई गई थीं।
कहां से लड़ सकते हैं चिराग चुनाव?
हालांकि अब तक किसी सीट की आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना जताई जा रही है कि चिराग पटना, हाजीपुर, गया जैसे शहरी या अर्ध-शहरी क्षेत्रों से चुनाव लड़ सकते हैं। पार्टी के अंदर विचार विमर्श जारी है।
इन क्षेत्रों में मिश्रित जातीय जनसंख्या है और वहां से चुनाव लड़ना चिराग की सर्वसमाज की छवि को और मजबूत कर सकता है।
क्या कहते हैं चिराग पासवान?
पटना में मीडिया से बातचीत करते हुए चिराग पासवान ने कहा:
“मैं पार्टी के फैसले के अनुसार काम करूंगा। अगर पार्टी तय करती है कि मुझे चुनाव लड़ना है, तो मैं तैयार हूं।”
उनकी यह प्रतिक्रिया यह स्पष्ट करती है कि पार्टी स्तर पर निर्णय लगभग तय माना जा सकता है और अब केवल आधिकारिक घोषणा बाकी है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में नया मोड़
2025 के विधानसभा चुनाव में रोजगार, शिक्षा, महंगाई जैसे मुद्दे महत्वपूर्ण होंगे। चिराग जैसे नेता, जो खुद को युवा और विकासवादी छवि में प्रस्तुत करते हैं, इन मुद्दों को सशक्त तरीके से उठा सकते हैं।
अगर चिराग पासवान बिहार विधानसभा चुनाव लड़ते हैं, तो यह केवल एक सीट का चुनाव नहीं होगा, बल्कि यह राज्य की राजनीति में एक नई दिशा और नई पीढ़ी के नेतृत्व की शुरुआत हो सकती है।
प्रशांत किशोर का समर्थन यह दर्शाता है कि बिहार की राजनीति में अब विकास और समावेशिता की राजनीति को महत्व मिलने लगा है।
बिहार के लिए यह वक्त परिवर्तन का है – और अगर यह बदलाव चिराग पासवान जैसे नेताओं से आता है, तो यह राज्य की राजनीतिक संस्कृति में एक नई सोच ला सकता है।
Discover more from
Subscribe to get the latest posts sent to your email.