KKN गुरुग्राम डेस्क | बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) के कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ 23 अप्रैल 2025 को पंजाब के फिरोजपुर सेक्टर में गश्त के दौरान गलती से अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर गए थे। पाकिस्तान रेंजर्स ने उन्हें अपने क्षेत्र में पकड़ लिया और हिरासत में ले लिया। जैसे ही यह सूचना बीएसएफ और भारतीय एजेंसियों को मिली, जवान की सुरक्षित वापसी के प्रयास तेज कर दिए गए।
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14 मई को अटारी-वाघा बॉर्डर से वापसी
लगभग 21 दिनों की हिरासत के बाद, 14 मई की सुबह करीब 10:30 बजे, पाकिस्तान रेंजर्स ने अमृतसर स्थित अटारी-वाघा संयुक्त चेक पोस्ट के माध्यम से जवान को भारत को सौंप दिया। इस दौरान बीएसएफ अधिकारियों की टीम और जवान का परिवार भी मौजूद था।
बीएसएफ पंजाब फ्रंटियर द्वारा जारी आधिकारिक बयान में कहा गया:
“बीएसएफ कांस्टेबल पूर्णम कुमार शॉ को आज सुबह 10:30 बजे पाकिस्तान रेंजर्स द्वारा शांतिपूर्ण तरीके से अटारी-वाघा बॉर्डर पर सौंपा गया। यह हैंडओवर पूर्व निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार हुआ।”
परिवार की पीड़ा और पत्नी का संघर्ष
पूर्णम कुमार की पत्नी रजनी शॉ, जो इस समय गर्भवती हैं, पिछले कुछ हफ्तों से अपने पति की वापसी के लिए विभिन्न स्तरों पर गुहार लगा रही थीं। उन्होंने फिरोजपुर में बीएसएफ अधिकारियों से मुलाकात की थी और आश्वासन मिलने के बाद अपने बेटे और परिजनों के साथ कोलकाता लौट गई थीं।
उनकी अपीलें मीडिया में सामने आने के बाद जनता और राजनीतिक दलों का ध्यान इस मामले पर केंद्रित हुआ, जिससे भारत सरकार पर तेजी से कार्रवाई करने का दबाव बना।
भारत सरकार की कूटनीतिक पहल
जवान की वापसी के पीछे भारत सरकार की सक्रिय कूटनीतिक पहल भी अहम रही। विदेश मंत्रालय (MEA) ने पाकिस्तान के साथ डिप्लोमैटिक चैनलों के ज़रिए उच्च स्तरीय संवाद शुरू किया और स्पष्ट किया कि जवान की सीमा पार करना अनजाने में हुआ था, इसलिए उन्हें शीघ्र रिहा किया जाना चाहिए।
भारत की ओर से लगातार दबाव बनाए रखने के बाद, पाकिस्तान को जवान को सकुशल वापस भेजना पड़ा।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की प्रतिक्रिया
इस घटना पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी 5 मई को चिंता व्यक्त की थी। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कल्याण बनर्जी जवान के परिवार के संपर्क में हैं और राज्य सरकार इस मुद्दे को लेकर गंभीर है।
राज्य स्तर पर मिले इस समर्थन ने भी केंद्र सरकार को जल्दी कार्रवाई के लिए प्रेरित किया।
बीएसएफ की सतर्कता और भविष्य के निर्देश
बीएसएफ ने इस घटना के बाद सभी जवानों को सीमा पर गश्त के दौरान अधिक सतर्क रहने की सख्त हिदायत दी है। फिरोजपुर सेक्टर जैसे इलाकों में प्राकृतिक सीमांकन की कमी और रात में गश्त के दौरान दृश्यता में गिरावट जैसी परिस्थितियों में इस प्रकार की घटनाएं पहले भी हुई हैं।
अब BSF इन क्षेत्रों में बॉर्डर सेंसिंग टेक्नोलॉजी, स्मार्ट फेंसिंग, और बॉर्डर मैपिंग को और बेहतर बनाने पर विचार कर रही है।
क्या होगा अब: मेडिकल चेकअप और डिब्रीफिंग
जवान के भारत लौटने के बाद उन्हें बीएसएफ द्वारा:
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स्वास्थ्य परीक्षण (Medical Checkup)
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डिब्रीफिंग और मानसिक परामर्श
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अनुशासनात्मक जांच (if any)
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परिवार से मिलवाने के लिए छुट्टी
प्रदान की जाएगी।
BSF की एक टीम जवान के साथ हुई पूरी प्रक्रिया का दस्तावेज तैयार करेगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचने के लिए रिपोर्ट सौंपेगी।
ऐसे मामले पहले भी हो चुके हैं
यह कोई पहली बार नहीं है जब भारत का कोई सैनिक या नागरिक गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गया हो। पहले भी कई बार भारत-पाकिस्तान सीमा पर:
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BSF जवानों का गलती से सीमा पार जाना
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किसानों या पशुपालकों का भटक जाना
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नाविकों का समुद्री सीमा पार करना
जैसे मामले सामने आए हैं।
इन मामलों में दोनों देशों के बीच स्थापित प्रोटोकॉल के तहत हस्तांतरण (handover) की प्रक्रिया होती है।
कोलकाता में खुशी का माहौल
पूर्णम शॉ के कोलकाता स्थित निवास स्थान पर जश्न और राहत का माहौल है। पड़ोसियों और परिजनों ने मिठाइयां बांटी और सरकार का आभार जताया। रजनी शॉ ने मीडिया से बातचीत में कहा:
“मैं भारत सरकार और बीएसएफ की आभारी हूं, जिन्होंने मेरे पति को सुरक्षित वापस लाने के लिए दिन-रात मेहनत की। यह मेरे लिए किसी चमत्कार से कम नहीं।”
BSF जवान पूर्णम कुमार शॉ की वापसी एक बार फिर यह साबित करती है कि सही कूटनीतिक रणनीति, परिवार की आवाज और मीडिया व जन समर्थन मिलकर असंभव को भी संभव बना सकते हैं। साथ ही यह घटना हमें यह भी सिखाती है कि सीमाओं की सुरक्षा में लगे जवानों की प्रशिक्षण और सुरक्षा तकनीक को और सशक्त करने की जरूरत है।
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