KKN गुरुग्राम डेस्क | भारत द्वारा पाकिस्तान के खिलाफ चलाए गए सैन्य अभियान ऑपरेशन सिंदूर के बाद अब देश ने आर्थिक मोर्चे पर भी जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। गुरुग्राम के उद्योग संघ ने पाकिस्तान को निर्यात बंद करने की पहल करते हुए एक बड़ा कदम उठाया है। इसके तहत संघ ने अपने सदस्यों से पाकिस्तान और तुर्की को होने वाले मौजूदा निर्यात की समीक्षा करने और उन्हें रोकने का आह्वान किया है।
इसके साथ ही भारतीय उद्योग जगत को पाकिस्तान के निर्यातित उत्पादों के मुकाबले में आगे बढ़ने और अंतरराष्ट्रीय बाजार में उनकी जगह लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यह पहल मेक इन इंडिया अभियान को भी मजबूती देने का कार्य करेगी।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा कपड़ा और परिधान (Textile & Apparel) क्षेत्र पर निर्भर करता है। 2023-24 में पाकिस्तान के कुल निर्यात में इस क्षेत्र का योगदान 54-60% के बीच रहा है, जो कि करीब 16.6 बिलियन डॉलर तक का आंकड़ा है।
अन्य प्रमुख निर्यात उत्पादों में शामिल हैं:
चावल (बासमती और गैर-बासमती)
चमड़े के सामान
सर्जिकल उपकरण
हस्तशिल्प
यह क्षेत्र पाकिस्तान के लिए एक आर्थिक जीवनरेखा है, और भारत के उद्योग विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि इसी क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जाए तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका दिया जा सकता है।
गुरुग्राम इंडस्ट्री एसोसिएशन ने अपने सदस्यों से निम्नलिखित कदम उठाने की अपील की है:
पाकिस्तान और तुर्की को किए जा रहे मौजूदा निर्यात की तत्काल समीक्षा करें।
उन क्षेत्रों की पहचान करें जहां भारतीय उत्पाद सीधे पाकिस्तानी उत्पादों से प्रतिस्पर्धा कर सकते हैं।
उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के निर्माण पर ज़ोर दें।
सरकार से पाकिस्तान को निर्यात पर नीतिगत प्रतिबंध लगाने की अपील करें।
इस पहल का उद्देश्य न केवल पाकिस्तान को आर्थिक नुकसान पहुंचाना है, बल्कि भारत को एक वैश्विक निर्यात विकल्प के रूप में स्थापित करना भी है।
जहां पाकिस्तान को सस्ती श्रम लागत का लाभ है, वहीं भारत बेहतर गुणवत्ता, तकनीकी क्षमता और स्थायित्व के लिए जाना जाता है। भारत के पास बड़ी संख्या में कुशल श्रमिक भी हैं, लेकिन श्रम कानूनों की जटिलता उद्योगों को इसका पूरा लाभ उठाने से रोकती है।
“पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कपड़ा निर्यात पर टिकी है। अगर हम इस क्षेत्र में उनकी प्रतिस्पर्धा को चुनौती दें, तो उनकी अर्थव्यवस्था को बड़ा नुकसान होगा। भारत के पास क्षमता है, बस नीतिगत सहयोग की आवश्यकता है।”
“सरकार थोड़ी मदद करे तो हम पाकिस्तान के बाजार को आसानी से कब्जा सकते हैं। हमारे उत्पाद विश्वस्तरीय हैं, और अब समय आ गया है कि हम वैश्विक बाजारों में अपनी पकड़ मज़बूत करें।”
गुरुग्राम के कपड़ा व्यापारी और सचदेवा फैब्रिक्स के मालिक रजेंद्र सचदेवा का मानना है कि:
“हमारी गुणवत्ता बेहतर है, कीमतें प्रतिस्पर्धात्मक हैं और हम हर तरीके से पाकिस्तानी उत्पादों को चुनौती दे सकते हैं। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पहले से ही संकट में है, और अब हमें आर्थिक रूप से उन्हें और कमजोर करने का प्रयास करना चाहिए।”
दीपक मैनी, अध्यक्ष, प्रोग्रेसिव फेडरेशन ऑफ ट्रेड एंड इंडस्ट्री:
“भारत-पाक संघर्ष ने यह साबित कर दिया है कि हम आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हैं। अब समय आ गया है कि हम आतंकवाद का आर्थिक जवाब दें। ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बनी हमारी रक्षा प्रणाली ने अपनी ताकत दिखाई है, अब उद्योग जगत को आगे आना चाहिए।”
पाकिस्तान के प्रमुख निर्यात बाज़ारों में भारत की पहले से मजबूत स्थिति है। जैसे:
यूरोप: परिधान, चमड़ा, चावल
मिडिल ईस्ट: कपड़ा, कालीन, चावल
अफ्रीका: सर्जिकल उपकरण, सस्ते वस्त्र
दक्षिण एशिया: होम टेक्सटाइल्स, गारमेंट्स
भारत यदि उचित रणनीति बनाए तो इन बाजारों में पाकिस्तान की हिस्सेदारी कम करके अपनी पकड़ मजबूत कर सकता है।
इस रणनीति की सफलता के लिए कुछ आंतरिक सुधारों की आवश्यकता होगी:
उद्योगों को मौसमी मांग के अनुसार कर्मचारियों को जोड़ने और हटाने की सुविधा दी जानी चाहिए।
RoDTEP, PLI जैसी योजनाओं का विस्तार और लोन पर ब्याज छूट आवश्यक होगी।
लॉजिस्टिक्स, बंदरगाह संपर्क और ऊर्जा लागत में कमी लाकर प्रतिस्पर्धा बढ़ाई जा सकती है।
गुरुग्राम उद्योग संघ ने संकेत दिया है कि पाकिस्तान के साथ-साथ तुर्की को भी व्यापारिक तौर पर जवाब दिया जाएगा। तुर्की ने हाल ही में अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत विरोधी बयान दिए हैं, जिनका जवाब अब आर्थिक स्तर पर दिया जाएगा।
फिलहाल यह पहल निजी उद्योगों के स्तर पर है, लेकिन यदि इसे केंद्रीय सरकार का समर्थन मिलता है, तो पाकिस्तान को निर्यात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जा सकता है। इसके लिए निम्नलिखित कदम ज़रूरी होंगे:
वाणिज्य मंत्रालय से अधिसूचना
डब्ल्यूटीओ नियमों का पालन
सीमा शुल्क और बंदरगाहों पर निगरानी
यदि यह मॉडल सफल रहा, तो लुधियाना, सूरत और तिरुपुर जैसे अन्य औद्योगिक क्षेत्रों से भी समर्थन मिल सकता है।
सैन्य कार्रवाई के बाद अब भारत ने आर्थिक हथियारों से जवाब देने की रणनीति बनाई है। गुरुग्राम उद्योग संघ की यह पहल एक बड़ा कदम है, जो न केवल पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कमजोर कर सकती है, बल्कि भारत को वैश्विक बाजार में नई पहचान भी दिला सकती है।
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