बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा मोड़ देखने को मिला है। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) प्रमुख लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने घोषणा की है कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लड़ेंगे। यह फैसला उस वक्त लिया गया है जब हाल ही में वायरल हुए एक वीडियो के चलते तेज प्रताप यादव को न केवल पार्टी से निष्कासित कर दिया गया बल्कि उनके पिता लालू यादव ने उन्हें परिवार से भी बाहर कर दिया।
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तेज प्रताप इससे पहले 2020 में समस्तीपुर जिले की हसनपुर सीट से RJD के टिकट पर चुनाव जीत चुके हैं। जबकि 2015 में वे महुआ सीट से विधायक बने थे। इस बार एक बार फिर वे उसी सीट पर वापसी की तैयारी में हैं, हालांकि इस बार RJD के बगैर।
विवादित वीडियो के बाद तेज प्रताप को पार्टी से निकाला गया
तेज प्रताप यादव को पार्टी और परिवार से बाहर निकालने की वजह एक महिला के साथ उनका कथित निजी वीडियो है, जो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। इस वीडियो को लेकर पार्टी की छवि पर सवाल उठे और स्थिति को संभालने के लिए लालू यादव ने तेज प्रताप को तुरंत निष्कासित कर दिया। सूत्रों की मानें तो उसी समय से तेज प्रताप निर्दलीय चुनाव लड़ने की योजना बना रहे थे।
हालांकि, वीडियो की सत्यता को लेकर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन RJD ने इसे गंभीर मामला मानते हुए तेज प्रताप को पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। इसके बाद उन्होंने खुद को सक्रिय राजनीति में बनाए रखने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया और अब अपनी नई राजनीतिक राह पर हैं।
छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबी लोगों पर लगाया ‘जयचंद’ जैसा धोखा देने का आरोप
तेज प्रताप यादव ने सार्वजनिक तौर पर आरोप लगाया कि RJD में उनके खिलाफ साजिश रची गई है। उन्होंने कहा कि उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव के करीबी चार-पांच लोगों ने ‘जयचंद’ बनकर उन्हें पार्टी और परिवार से बाहर निकालने में अहम भूमिका निभाई है। इस बयान से स्पष्ट है कि यादव परिवार के भीतर राजनीतिक मतभेद अब खुलकर सामने आ चुके हैं।
RJD के अंदरूनी कलह और नेतृत्व संघर्ष का यह मामला बिहार की सियासत में एक नया अध्याय जोड़ रहा है। तेज प्रताप ने इशारों-इशारों में यह भी बता दिया कि पार्टी में अब उनका कोई स्थान नहीं बचा है और उन्हें जबरन बाहर कर दिया गया।
महुआ से फिर मैदान में, कहा- जनता चाहती है मैं चुनाव लड़ूं
तेज प्रताप ने यह भी कहा कि महुआ के लोग उन्हें फिर से अपना प्रतिनिधि बनाना चाहते हैं क्योंकि उन्होंने पहले भी इस क्षेत्र के विकास के लिए काम किया है। उन्होंने यह भी दावा किया कि लोग आज भी उनसे जुड़े हुए हैं और उन्हें चुनावी मैदान में देखना चाहते हैं।
अपने प्रचार अभियान के लिए तेज प्रताप ने ‘टीम तेज प्रताप यादव’ नाम से एक सोशल मीडिया टीम भी बनाई है जो डिजिटल माध्यम से उनके संदेश को मतदाताओं तक पहुंचा रही है। वे इस बार डिजिटल कैम्पेन और ग्राउंड कनेक्शन दोनों को साथ लेकर चुनाव लड़ने की योजना पर काम कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी साधा निशाना
चुनाव की रणनीति को लेकर तेज प्रताप ने साफ किया है कि वे सिर्फ RJD के खिलाफ ही नहीं बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के खिलाफ भी मोर्चा खोलेंगे। उन्होंने बयान दिया कि “चाचा नीतीश कुमार अब मुख्यमंत्री नहीं बनेंगे।” इससे स्पष्ट है कि वे इस चुनाव में भावनाओं और हमलों दोनों का सहारा लेकर राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखने की कोशिश करेंगे।
तेज प्रताप का यह बयान संकेत देता है कि वे आने वाले चुनाव में खुद को तीसरी शक्ति के रूप में स्थापित करने का प्रयास करेंगे और मौजूदा सत्ता व विपक्ष दोनों पर सवाल उठाएंगे।
RJD के लिए चुनौती, वोट बैंक में सेंध संभव
तेज प्रताप यादव का निर्दलीय चुनाव लड़ना RJD के लिए सिरदर्द बन सकता है। खासकर यादव बहुल इलाकों में जहां तेज प्रताप की व्यक्तिगत लोकप्रियता है, वहां उनके चुनाव लड़ने से RJD को नुकसान हो सकता है। विश्लेषकों का मानना है कि तेज प्रताप की यह बगावत RJD को सीटों के स्तर पर भी नुकसान पहुंचा सकती है और पार्टी की एकजुटता को भी चुनौती दे सकती है।
यादव समुदाय और स्थानीय कार्यकर्ताओं के बीच तेज प्रताप का प्रभाव कई इलाकों में आज भी बना हुआ है, ऐसे में उनका निर्दलीय चुनाव मैदान में आना RJD की रणनीति को प्रभावित कर सकता है।
क्या तेज प्रताप भविष्य में कोई नया दल बनाएंगे?
तेज प्रताप यादव की इस नई यात्रा को लेकर यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या वे भविष्य में किसी नए राजनीतिक दल का गठन करेंगे? क्या वे अन्य छोटे दलों या असंतुष्ट नेताओं से हाथ मिला सकते हैं? या यह सिर्फ एक भावनात्मक प्रतिक्रिया है जो चुनाव तक सीमित रहेगी?
बिहार की राजनीति में पारिवारिक राजनीतिक दलों की जड़ें गहरी हैं। ऐसे में तेज प्रताप की यह बगावत आगे चलकर किस दिशा में जाती है, यह देखना दिलचस्प होगा। वे केवल एक सीट पर जीत हासिल करके भी भविष्य की राजनीति में मजबूत स्थिति बना सकते हैं, खासकर अगर वे यह साबित कर सकें कि उनका जनाधार आज भी कायम है।
तेज प्रताप यादव की ओर से महुआ सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने की घोषणा बिहार की राजनीति में एक नई बहस को जन्म दे चुकी है। जहां एक ओर यह पारिवारिक कलह की पराकाष्ठा को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर यह आने वाले विधानसभा चुनाव की तस्वीर को भी काफी हद तक बदल सकता है।
तेज प्रताप का यह कदम एक राजनीतिक रिस्क जरूर है, लेकिन अगर वे जनता के बीच अपनी पकड़ बनाए रखने में सफल होते हैं, तो यह भविष्य में RJD के भीतर या बाहर एक नई राजनीतिक ताकत की शुरुआत भी हो सकती है। सितंबर-अक्टूबर में होने वाले चुनाव में अब यह देखना होगा कि तेज प्रताप यादव की यह स्वतंत्र राह उन्हें कितनी दूर तक लेकर जाती है और क्या वे अपने राजनीतिक वजूद को एक नई पहचान दे पाते हैं या नहीं।
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