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Air India विमान हादसे में बचे इकलौते यात्री विश्वास कुमार अब भी सदमे में, मानसिक रूप से जूझ रहे हैं

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Shaunit N.

12 जून को हुए Air India विमान हादसे को एक महीना बीत चुका है, लेकिन इस भीषण त्रासदी के इकलौते बचे यात्री विश्वास कुमार रमेश आज भी उस भयावह दिन की यादों से बाहर नहीं निकल पाए हैं। जहां एक ओर इस हादसे में 241 लोग अपनी जान गंवा बैठे, वहीं 40 वर्षीय विश्वास कुमार की जिंदगी किसी चमत्कार से कम नहीं थी।

हालांकि वे जीवित बच गए, लेकिन मानसिक रूप से वे अब भी गहरे सदमे में हैं। उन्हें न केवल दुर्घटना की भयावहता ने झकझोरा है, बल्कि इस हादसे में अपने छोटे भाई को खोने का दुख भी उन्हें अंदर से तोड़ चुका है। वर्तमान में वे मनोचिकित्सक की देखरेख में हैं और भावनात्मक रूप से पूरी तरह टूटे हुए हैं।

12 जून का वो मनहूस दिन: जब आसमान से टूटा मौत का कहर

12 जून 2025 को एयर इंडिया का बोइंग 787 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद हवाई अड्डे से लंदन के लिए रवाना हुआ था। विमान में 230 यात्री और 12 क्रू मेंबर सवार थे। लेकिन उड़ान भरने के कुछ ही सेकंड बाद, तकनीकी खराबी के कारण विमान रनवे से कुछ दूर ही क्रैश हो गया।

इस भीषण दुर्घटना में सभी यात्रियों की मौत हो गई, सिवाय एक व्यक्ति के—विश्वास कुमार रमेश। वे विमान के पिछले हिस्से में बैठे थे और चमत्कारिक रूप से जीवित बच निकले। राहत दल ने उन्हें गंभीर हालत में मलबे से बाहर निकाला और अस्पताल पहुंचाया, जहां उनकी हालत धीरे-धीरे स्थिर हुई।

शारीरिक रूप से स्वस्थ, लेकिन मानसिक रूप से बिखरे हुए

हालांकि डॉक्टरों ने विश्वास को शारीरिक रूप से खतरे से बाहर बताया है, लेकिन उनका मानसिक संतुलन अब तक सामान्य नहीं हो पाया है। उनके परिवार वालों का कहना है कि वे अब भी अक्सर आधी रात को चौंक कर उठ जाते हैं और कई बार पूरा दिन बिना किसी से बात किए गुजार देते हैं।

उनके चचेरे भाई ने बताया,

“वो अब भी किसी से ज़्यादा बात नहीं करते। उन्हें अब भी वो मंजर याद आता है – आग, धुआं, चीखें और अपने भाई को खो देने का ग़म। वो खुद से ही सवाल करते हैं कि आखिर वो ही क्यों बचे।”

मनोचिकित्सकों की मदद ले रहे हैं विश्वास कुमार

विश्वास वर्तमान में ट्रॉमा स्पेशलिस्ट और साइकेट्रिस्ट की निगरानी में हैं। चिकित्सकों के अनुसार, उन्हें पोस्ट ट्रॉमैटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) के लक्षण हैं – जैसे कि बार-बार वही दृश्य याद आना, नींद में बाधा, भावनात्मक अशांति, और खुद को अलग-थलग महसूस करना।

परिवार उन्हें आत्मिक सहारा देने के साथ-साथ पेशेवर चिकित्सा उपचार दिला रहा है। उनका इलाज करने वाले एक डॉक्टर ने बताया,

“ऐसे हादसों के पीड़ितों को भावनात्मक रूप से पूरी तरह उबरने में कई महीने या साल भी लग सकते हैं। हर दिन उनके लिए एक लड़ाई होती है।”

जांच जारी, दुर्घटना के कारणों पर सस्पेंस बरकरार

नागर विमानन महानिदेशालय (DGCA) द्वारा हादसे की जांच अभी भी जारी है। ब्लैक बॉक्स को फ्रांस भेजा गया है, जहां विशेषज्ञ हादसे के अंतिम क्षणों का विश्लेषण कर रहे हैं। प्रारंभिक रिपोर्ट में तकनीकी गड़बड़ी, संभवतः इंजन फेल्योर या सॉफ्टवेयर एरर की आशंका जताई गई है।

Boeing 787 Dreamliner मॉडल पहले भी कुछ तकनीकी खामियों को लेकर चर्चा में रहा है, जिससे एयरलाइंस पर एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस और सुरक्षा नियमों की समीक्षा करने का दबाव बढ़ गया है।

एयर इंडिया और सरकार की प्रतिक्रिया

एयर इंडिया ने एक संक्षिप्त बयान में कहा,

“हम जांच एजेंसियों के साथ पूरा सहयोग कर रहे हैं और हादसे में प्रभावित परिवारों एवं इकलौते बचे यात्री को हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं।”

वहीं नागरिक उड्डयन मंत्री राजीव कपूर ने हादसे को “अत्यंत दुखद” बताते हुए कहा कि

“सरकार जल्द ही घरेलू विमानन सुरक्षा मानकों की व्यापक समीक्षा करेगी और जवाबदेही तय की जाएगी।”

कौन हैं विश्वास कुमार रमेश?

विश्वास कुमार मूल रूप से भारत के रहने वाले हैं, लेकिन पिछले 12 वर्षों से ब्रिटेन के लंदन शहर में आईटी पेशेवर के रूप में कार्यरत हैं। वे जून की शुरुआत में पारिवारिक समारोह के सिलसिले में भारत आए थे और अपने छोटे भाई के साथ वापस लंदन लौट रहे थे।

उड़ान से एक दिन पहले उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा था, “Back to work soon. Feeling refreshed after family time.” अब ये पोस्ट उनके करीबियों के लिए एक भावुक स्मृति बन गई है।

241 जानें गईं, एक बचा: जिंदगी का बोझ बन गई है जिंदा रहना

इस हादसे ने न सिर्फ 241 परिवारों को उजाड़ दिया, बल्कि विश्वास जैसे व्यक्ति के लिए जिंदगी एक पहेली बन गई है। वे आज भी उस एक सवाल से जूझ रहे हैं—“क्यों मैं बचा और बाकी सब नहीं?” यह survivor’s guilt उन्हें हर दिन मानसिक रूप से पीड़ा दे रहा है।

एक मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ के अनुसार,

“ऐसे हादसों में बचे लोग अक्सर खुद को दोषी मानते हैं। लेकिन सही परामर्श और अपनों के सहारे वे धीरे-धीरे सामान्य जीवन की ओर लौट सकते हैं।”

12 जून का एयर इंडिया विमान हादसा भारतीय विमानन इतिहास की सबसे भीषण घटनाओं में से एक बन गया है। इस हादसे के इकलौते जीवित बचे यात्री विश्वास कुमार की कहानी हमें यह याद दिलाती है कि जिंदगी का चमत्कार कभी-कभी बोझ भी बन जाता है।

जहां एक ओर सरकारी एजेंसियां जांच में जुटी हैं और एयरलाइंस सिस्टम में सुधार की बात हो रही है, वहीं दूसरी ओर एक इंसान खुद से ही लड़ रहा है—हर दिन, हर पल।

This post was published on जुलाई 13, 2025 10:58

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Shaunit N.

Shounit Nishant is an experienced entrepreneur and content strategist with over 12 years in digital media and writing. An MBA graduate, he is currently pursuing a PhD in Management with a focus on business innovation and digital transformation. As a prolific writer, he has contributed insightful articles to multiple national platforms, covering entrepreneurship, education, and emerging business trends. Based in Muzaffarpur, Bihar. He brings regional depth and national perspective to his writing.

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