KKN गुरुग्राम डेस्क | अवैध अप्रवासियों की वापसी और उनके निर्वासन के मुद्दे पर इन दिनों भारत में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। अमेरिका से 119 भारतीय नागरिकों को लेकर दूसरा विमान 15 फरवरी 2025 की रात अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरने वाला है। इस बीच, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने इस घटनाक्रम पर सवाल उठाते हुए अपनी चिंताएं जताई हैं। भगवंत मान का कहना है कि अमेरिकी सैन्य विमान को पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में उतरने की अनुमति देना राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरे की घंटी है। इस पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी (AAP) के बीच तीखी राजनीतिक बहस छिड़ गई है।
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अमेरिका से अवैध अप्रवासियों की वापसी पर हंगामा
इस समय अमेरिका द्वारा अवैध अप्रवासियों की वापसी के चलते दो उड़ानें भारत आई हैं। इनमें से पहली उड़ान 5 फरवरी 2025 को अमृतसर हवाई अड्डे पर उतरी थी, जिसमें 104 भारतीय नागरिकों को वापस भेजा गया था। इस उड़ान में 33 लोग हरियाणा, 33 लोग गुजरात और 30 लोग पंजाब से थे। वहीं, अब दूसरा विमान भी अमृतसर पहुंचने वाला है, जिसमें 119 भारतीय नागरिकों को लेकर उड़ान भरी गई है। इनमें से ज्यादातर लोग पंजाब और हरियाणा से हैं।
भगवंत मान का बयान: ‘राष्ट्रीय सुरक्षा पर सवाल’
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अमृतसर में अमेरिकी सैन्य विमान के उतरने पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि इस विमान को दिल्ली या हिंडन हवाई अड्डे पर क्यों नहीं उतारा गया, बल्कि पंजाब जैसे सीमावर्ती राज्य में इसे उतारने का निर्णय क्यों लिया गया? उनका मानना था कि अमेरिकी विमान को पंजाब में उतारने से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है। उन्होंने इसे पंजाब को ‘निर्वासन केंद्र’ बनाए जाने की साजिश बताया। भगवंत मान ने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “पंजाब को इस तरह के असंवेदनशील फैसलों से बचाना चाहिए।”
बीजेपी का पलटवार: राजनीति से ध्यान भटकाने की कोशिश
बीजेपी ने भगवंत मान के बयान पर तीखा पलटवार किया है। बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि मुख्यमंत्री भगवंत मान इस मामले को राजनीति से जोड़कर मुद्दे से ध्यान भटका रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जब किसी देश का सरकार अवैध अप्रवासियों को निर्वासित करती है, तो वह उन्हें किसी भी हवाई अड्डे पर उतारने का अधिकार रखती है। तिवारी का कहना था कि यह क्षेत्र अमेरिका के लिए सबसे नजदीकी है, और इसमें कोई राजनीतिक दखल देने का कोई औचित्य नहीं है।
अमेरिका की अवैध अप्रवासियों पर सख्त नीति
यह घटना अमेरिका की अवैध अप्रवासियों पर सख्त नीति का हिस्सा है। राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के दौरान अवैध प्रवासियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की गई थी, जिसके तहत उन्हें निर्वासित किया गया था। इस नीति के अंतर्गत, भारत में कई अप्रवासी वापस भेजे गए हैं, जिनमें से अधिकतर लोग पंजाब और हरियाणा से थे।
विशेष रूप से, इन निर्वासितों में से लगभग 100 लोग पंजाब और हरियाणा से हैं, जो अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे थे और अब उन्हें भारत लौटना पड़ा है। यह ट्रेंड इस बात को दर्शाता है कि इन राज्यों में अवैध प्रवासियों की संख्या अधिक है। हालांकि, इस प्रक्रिया से जुड़ी मानवीय समस्याएं भी सामने आ रही हैं, क्योंकि कई परिवारों के सदस्य अब अनिश्चितता का सामना कर रहे हैं।
पंजाब और हरियाणा से ज्यादा लोग क्यों?
पंजाब और हरियाणा, दोनों ही राज्यों में बड़ी संख्या में लोग अमेरिका और कनाडा में बसने के लिए जाते हैं। इन राज्यों से अधिकतर अप्रवासी वहां बेहतर जीवन की तलाश में जाते हैं, लेकिन जब वे कानूनी मुद्दों में उलझ जाते हैं, तो उन्हें अंततः निर्वासित किया जाता है। इस प्रकार, पंजाब और हरियाणा से सबसे अधिक लोग प्रभावित हो रहे हैं।
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने यह भी सवाल किया कि क्या इन राज्यों को जानबूझकर निशाना बनाया जा रहा है, या फिर केंद्र सरकार का यह फैसला किसी राष्ट्रीय सुरक्षा संकट का हिस्सा है।
पार्टी राजनीति और पंजाब की स्थिति
पंजाब में आगामी चुनावों को ध्यान में रखते हुए, इस मुद्दे पर बीजेपी और आम आदमी पार्टी के बीच राजनीति तेज हो गई है। जहां एक ओर बीजेपी इसे एक सामान्य प्रशासनिक और सुरक्षा मुद्दा मान रही है, वहीं AAP इसे पंजाब की सुरक्षा से जोड़कर प्रस्तुत कर रही है। इससे पंजाब में राजनीति गरमा गई है, और दोनों दल एक-दूसरे के फैसलों पर सवाल उठा रहे हैं।
इस राजनीतिक विवाद के बीच, यह महत्वपूर्ण है कि इस मुद्दे को केवल राजनीतिक नजरिए से न देखा जाए। अवैध अप्रवासी जो वापस भेजे जा रहे हैं, उन्हें आमतौर पर कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है। उन्हें अपनी पुरानी जिंदगी को फिर से शुरू करना मुश्किल हो जाता है, और उन्हें एक ऐसे समाज में पुनः स्थापित होने की चुनौती होती है जहां उनके पास कोई रोजगार या स्थिरता नहीं होती।
बीजेपी का बयान: संवेदनहीन राजनीति से बचें
बीजेपी सांसद मनोज तिवारी ने कहा कि भगवंत मान का बयान मुद्दे से ध्यान भटकाने का प्रयास है। उन्होंने यह भी कहा कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले भारतीयों को देश के किसी भी हिस्से में वापस भेजा जा सकता है। तिवारी ने इस मुद्दे को राजनीति से अलग रखने की आवश्यकता पर बल दिया। उनका मानना था कि राजनीति के बजाय, यह केवल एक प्रशासनिक और सुरक्षा मुद्दा है।
पंजाब में बढ़ती चिंता: क्या राज्य को बनाएं ‘निर्वासन केंद्र’?
पंजाब में इस मुद्दे को लेकर गंभीर चिंताएं सामने आ रही हैं। पंजाब के नागरिकों में यह सवाल उठ रहा है कि क्या केंद्र सरकार जानबूझकर राज्य को अवैध प्रवासियों के लिए निर्वासित केंद्र बना रही है। मुख्यमंत्री भगवंत मान के बयान ने इस मामले को और अधिक जटिल बना दिया है, क्योंकि उन्होंने इसे केवल एक प्रशासनिक फैसला नहीं, बल्कि पंजाब की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बताया है।
अमेरिका से अवैध भारतीय अप्रवासियों के वापसी कार्यक्रम का यह सिर्फ एक उदाहरण है। जैसे-जैसे अधिक भारतीय नागरिक इस प्रक्रिया से गुजरेंगे, सवाल उठते रहेंगे कि क्या यह प्रक्रिया न्यायसंगत है और क्या यह भारतीय नागरिकों के लिए उचित है। इसके अलावा, पंजाब और अन्य राज्यों में इसकी राजनीतिक प्रतिक्रिया और प्रभावों को समझने की जरूरत होगी।
अवैध अप्रवासियों के निर्वासन को लेकर बढ़ती राजनीति यह दिखाती है कि कैसे इस मुद्दे को अलग-अलग दृष्टिकोणों से देखा जा रहा है। जहां एक ओर इस मुद्दे को राष्ट्रीय सुरक्षा से जोड़कर देखा जा रहा है, वहीं दूसरी ओर यह एक मानवीय मुद्दा बनता जा रहा है, जिसमें प्रभावित व्यक्तियों को अपना जीवन फिर से शुरू करने की चुनौती का सामना करना पड़ता है।
यह मुद्दा न केवल राजनीति के लिए बल्कि समाज के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण है। भारतीय नागरिकों की बेहतर सुरक्षा और जीवन-यापन के अधिकारों को सुनिश्चित करना सरकार की प्राथमिकता होनी चाहिए, साथ ही अवैध प्रवासियों की समस्या का समाधान भी दीर्घकालिक रूप से किया जाना चाहिए|
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