KKN गुरुग्राम डेस्क | केंद्रीय कर्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने हाल ही में लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में स्पष्ट किया कि सरकार सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव करने का विचार नहीं कर रही है। मंत्री ने यह भी बताया कि कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति के कारण पैदा होने वाली रिक्तियों को भरने के लिए सरकार के पास कोई नीति नहीं है। उनका कहना था कि इस मुद्दे पर सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव का प्रस्ताव नहीं
जितेंद्र सिंह ने लोकसभा में बताया कि सरकार ने कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव करने का कोई प्रस्ताव अभी तक विचाराधीन नहीं रखा है। कई बार इस मुद्दे पर चर्चा हुई थी कि क्या कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाई जाए, लेकिन मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि इस दिशा में कोई कदम नहीं उठाया जाएगा।
जब उनसे पूछा गया कि क्या किसी सरकारी कर्मचारी संगठन या यूनियन ने इस संबंध में कोई औपचारिक प्रस्ताव दिया है, तो मंत्री ने स्पष्ट किया कि राष्ट्रीय परिषद (संयुक्त सलाहकार तंत्र) से इस संबंध में कोई औपचारिक प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। इस जवाब से यह स्पष्ट होता है कि सरकार ने किसी भी कर्मचारी संगठन से सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव को लेकर कोई औपचारिक अनुरोध नहीं किया है।
सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु और रिक्तियों का मामला
यह सवाल भी उठाया गया कि जब सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति होती है, तो उस समय उनकी जगह भरने के लिए सरकार क्या कदम उठा रही है। इस पर जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार के पास ऐसी कोई नीति नहीं है जो कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति से उत्पन्न रिक्तियों को खत्म करने या भरने के लिए विशेष उपायों की दिशा में काम कर रही हो। इस तरह की रिक्तियों को भरने के लिए पारंपरिक तरीके अपनाए जाते हैं, जिनमें भर्ती प्रक्रिया शामिल है।
राज्य और केंद्र सरकारों में सेवानिवृत्ति आयु में असमानता
जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि राज्य सरकारों और केंद्र सरकार में सेवानिवृत्ति आयु में असमानता है, और यह एक सामान्य स्थिति है। हर राज्य की अपनी नीतियां होती हैं और वे सेवानिवृत्ति की आयु तय करते हैं। सरकार के पास केंद्रीय स्तर पर इस बारे में कोई डेटा नहीं है, क्योंकि यह राज्य सूची में आता है और राज्य सरकारें अपनी नीतियों के अनुसार इसे तय करती हैं।
इसका मतलब यह है कि विभिन्न राज्यों में सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु अलग-अलग हो सकती है, जो राज्य सरकारों के विवेक पर निर्भर करता है। इसलिए केंद्र सरकार के पास इस विषय पर कोई एकरूप डेटा उपलब्ध नहीं है। यह राज्य की स्वायत्तता का हिस्सा है।
बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान
जितेंद्र सिंह ने एक और महत्वपूर्ण मुद्दे पर जानकारी दी, जिसमें सरकार ने बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए अतिरिक्त पेंशन देने की योजना बनाई है। सरकार ने पेंशनभोगियों की उम्र बढ़ने के कारण उनकी स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि पेंशन वितरण प्राधिकरणों या बैंकों द्वारा पेंशनर्स और पारिवारिक पेंशनर्स को उनकी उम्र के हिसाब से अतिरिक्त पेंशन का भुगतान किया जाता है।
यह अतिरिक्त पेंशन, विशेष रूप से बुजुर्गों के लिए, स्वास्थ्य संबंधित खर्चों को पूरा करने के लिए आवश्यक है। जितेंद्र सिंह ने बताया कि सरकार ने छठे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान किया है।
बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए अतिरिक्त पेंशन की दरें
जितेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए सरकार ने अतिरिक्त पेंशन के रूप में कुछ विशेष दरें तय की हैं, जो इस प्रकार हैं:
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80 साल की उम्र के बाद 20% अतिरिक्त पेंशन
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85 साल की उम्र के बाद 30% अतिरिक्त पेंशन
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90 साल की उम्र के बाद 40% अतिरिक्त पेंशन
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95 साल की उम्र के बाद 50% अतिरिक्त पेंशन
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100 साल की उम्र के बाद 100% अतिरिक्त पेंशन
यह अतिरिक्त पेंशन पेंशनभोगियों की बढ़ती हुई जरूरतों को देखते हुए दी जाती है। उम्र बढ़ने के साथ-साथ स्वास्थ्य संबंधित खर्चे बढ़ जाते हैं, और इस अतिरिक्त पेंशन से बुजुर्ग पेंशनर्स को राहत मिलती है।
अतिरिक्त पेंशन का उद्देश्य
यह अतिरिक्त पेंशन खासतौर पर स्वास्थ्य देखभाल, दवाइयों और अन्य चिकित्सा खर्चों को ध्यान में रखते हुए दी जाती है। कई बार बुजुर्गों को अपनी उम्र के साथ-साथ बढ़ते स्वास्थ्य खर्चों का सामना करना पड़ता है। इस अतिरिक्त पेंशन का उद्देश्य उन्हें इन खर्चों से निपटने में मदद करना है।
आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में लगातार सुधार हो रहे हैं, जिससे लोग लंबी उम्र तक जी रहे हैं। इसलिए पेंशन प्रणाली को और अधिक लचीला बनाना जरूरी हो गया है, ताकि बुजुर्ग पेंशनर्स की बढ़ती जरूरतों को पूरा किया जा सके।
क्या सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव आवश्यक है?
सरकार के इस फैसले से यह सवाल उठता है कि क्या सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव आवश्यक है। कुछ लोग मानते हैं कि सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाकर सरकारी कर्मचारियों की कमी को पूरा किया जा सकता है, खासकर महत्वपूर्ण विभागों में। हालांकि, अन्य लोग यह महसूस करते हैं कि अगर सेवानिवृत्ति आयु बढ़ाई जाती है तो यह युवाओं के लिए अवसरों की कमी का कारण बन सकता है।
चाहे सरकार सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव करती है या नहीं, यह महत्वपूर्ण है कि वे रिक्तियों को भरने के लिए बेहतर तरीके अपनाए। इसके लिए कर्मचारियों की भर्ती प्रक्रिया को सुचारू और तेज बनाने की आवश्यकता होगी, ताकि सरकार का कार्यक्षेत्र प्रभावी रूप से चलता रहे।
कुल मिलाकर, जितेंद्र सिंह का यह बयान स्पष्ट करता है कि वर्तमान में सरकार कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में कोई बदलाव करने का विचार नहीं कर रही है। इस फैसले से यह भी साबित होता है कि सरकार कर्मचारियों के हित में कोई नई नीति या प्रस्ताव विचाराधीन नहीं रख रही है। वहीं, बुजुर्ग पेंशनर्स के लिए अतिरिक्त पेंशन का प्रावधान सरकार की ओर से एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उनकी बढ़ती हुई स्वास्थ्य संबंधित जरूरतों को पूरा करने में मदद करेगा।
यह सुनिश्चित करता है कि पेंशनभोगियों को उनके जीवन के अंतिम वर्षों में आर्थिक सुरक्षा प्राप्त हो, जो उनके स्वास्थ्य खर्चों को ध्यान में रखते हुए एक आवश्यक कदम है। सरकारी कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु में बदलाव के प्रस्ताव के बिना भी, यह सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है, जो वृद्ध नागरिकों को राहत देने की दिशा में काम कर रहा है।
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