कौशलेन्द्र झा
मुजफ्फरपुर। बिहार के मुजफ्फरपुर जिला अन्तर्गत बाढ़ प्रभावित मीनापुर में बाढ़ का खतरा एक बार फिर से लोगो के सिर पर मंडराने लगा है और इससे निपटने की प्रशासनिक तैयारी सिफर है।
जाहिर है कि बाढ़ आई तो एक बार फिर से हाय-तौबा मचना लाजमी है। नेता हो या अधिकारी, समय रहते इससे निपटने के लिए कोई भी गंभीर कयों नही है? आम लोगो के जेहन में अब यह सवाल कौधने लगा है।
स्मरण रहें कि गत वर्ष 15 जुलाई के बाद बूढ़ी गंडक नदी के उफान की चपेट में आने से मीनापुर के 28 में 27 पंचायतो में जबरदस्त तबाही मची थी। सैकड़ो गांवों का प्रखंड मुख्यालय से सड़क संपर्क टूट गया था और दस हजार से अधिक परिवार विस्थापित हुए थे। इस दौरान करोड़ो का फसल नष्ट हो गया था और बड़ी संख्या में सरकारी व गैर सरकारी संपत्ति को भी नुकसान हुआ था। दो दर्जन लोगो को अपनी जान भी गवांनी पड़ी थी। बावजूद इसके प्रशासन ने इससे कोई सबक नही लिया और जून का प्रथम पखबारा बीत जाने के बाद भी आज तक बाढ़ जैसे आपदा से निपटने के लिए यहां कोई भी पुख्ता इंतजाम का नही होना चौका देता है।
सीओ ने डीएम को भेजा त्राहिमाम संदेश
मीनापुर के अंचलाधिकारी ने पिछले दिनो जिलाधिकारी को पत्र लिख कर जो जानकारी दी है। दरअसल, वह प्रशासनिक तैयारी की पोल खोलने के लिए प्रयाप्त है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मीनापुर में एक भी सरकारी नौका उपलब्ध नही है। इतना ही नही बल्कि, बाढ़ के दौरान हाय तौबा करने वाली प्रशासन के पास आज एक भी मोटरवोट, लाइफ जैकेट आदि कुछ भी उपलब्ध नही है। यानी बाढ़ आई तो एक बार फिर से लोगो को अपने किश्मत पर खुद रोना होगा। हालांकि, अंचलाधिकारी ने 20 निजी नौका मालिक के साथ एकरारनामा करने की बात कही है। ताज्जुब की बात है कि ढ़ाई लाख से अधिक की आबादी को बाढ़ से निकालने के लिए 20 निजी नौका, उंट के मुंह में जीरा का फोरन नही तो और क्या है?
अधिकारी सुनने को तैयार नही
मैंने समय रहते जिला प्रशासन को बाढ़ की समस्या से अवगत कराया है। तैयारी नही रहने से होने वाले नुकसान को भी बताया है। बावजूद इसके कोई भी अधिकारी सुनने को तैयार नही है और आम लोगो को उनके भाग्य के भरोसे छोड़ दिया गया है। चन्देश्वर साह, मुखिया, रघई, मीनापुर।
बाढ़ बना बेहतर कमाई का जरिया
जनता की किसी को फिकर नही है। अधिकारी हो या नेता, बाढ़ आने पर मदद की आर लेकर खुद का चेहरा चमकाने वाले कोई भी आज गंभीर नही है। क्योंकि, कुछ लोगो के लिए बाढ़ बेहतर कमाई का जरिया बन जाता है। लिहाजा, घड़ियाली आंसू बहाने वाले आज चुप है। बिन्देशर प्रसाद, किसान, बहवल बाजार, मीनापुर।
This post was published on जून 24, 2018 15:19
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