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पोलिथिन बना छत और साड़ी बनी दीवार

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​पेट से ज्यादा शौच की चिंता

 

खानाबदोश की जिंदगी जी रहे तम्बू मे रहने वाले विस्थापित, सड़क पर कट रही जिंदगानी. खुद से ज्यादा बेजुबान की चिंता, नयी नवेली दुल्हनो के लिए बाढ बनी शामत

 

संतोष कुमार गुप्ता

मीनापुर।  सिवाइपट्टी जाने वाले मार्ग मे हरपुर बक्श से लेकर बनघारा बाजार तक बाढ से विस्थापित परिवारो का मुजफ्फरपुर-शिवहर मुख्य मार्ग पर एक गांव ही बस गया है। दूर दूर तक प्लास्टिक की तम्बुओ की कतार है। ईट की छतो मे रहने वाले लोगो के लिये भी पोलिथिन छत व साड़ी का दीवार मे काम चलाना पड़ रहा है। बनघारा मे अपने ही घर के आगे तम्बू डाले गुलबिया देवी की दास्तान सुनकर आप चौक जायेंगे। गुलबिया दिन मे तो क्या रात मे भी चैन की नींद नही सोती है। सोये भी तो कैसे क्योकि प्लास्टिक के तम्बू मे समान का सुरक्षा कौन करेगा। आसपास मे रहने वाले किशोरी सहनी,चुल्हाई सहनी,नवल किशोर सहनी,बच्ची देवी,गगनदेव सहनी को बाढ से ज्यादा बारिश की चिंता सताने लगी है। उमड़ते घुमड़ते बादलो के बीच सबकी निगाहे आसमान की ओर है.कहते है सारा अनाज बाढ मे डूब गया। अब प्रकृति कितना परीक्षा लेगा उनलोगो का। सड़क किनारे बसने वाले लोगो को पेट से ज्यादा शौच की चिंता सताने लगी है। पूर्व सरपंच किरण कुमारी व शिक्षक दिलीप कुमार बताते है कि नयी नवेली दुल्हनो के लिए यह बाढ शामत बनकर आयी है। जो दुल्हन घूघंट मे रहकर कभी चौखट लांघा नही। उसको खुले मे जाना पड़ता है। इसके लिए सभी संयमित भोजन करती है। हालांकि अपनी पेट से ज्यादा पशुचारा पर लोगो का ध्यान है। रघई के मुखिया चंदेश्वर साह बताते है कि उनके चार स्थान पर राहत कैम्प लगा है। सरकारी सुविधाओ का अब भी इंतजार है। जिला पार्षद रघुनाथ राय बताते है कि प्रशासन की लापरवाही से राहत कैम्प बंद भी हो सकता है। तुरकी पूर्वी के महाकांत मिश्र बताते है कि उनका पंचायत बाढ के पानी मे डूब चुका है। अमर शहीद जुब्बा सहनी का गांव जलाप्लावित है। गांव के अहमद अंसारी बताते है कि उनके गांव मे मुर्दे जलाने के लिए भी जगह नही बचा है। रामकिशुन सहनी की पत्नी राजकुमारी देवी बीमारी से मर गयी। किंतु नौका नही मिलने के कारण खाट पर डाल कर दुसरे गांव मे दाह संस्कार कर दिया गया। रमेश यादव बताते है कि रानीखैरा मे अधिकांश स्कूल भी बाढ के पानी मे डूब गया है। अब लोग कहां आश्रय लेंगे। बनघारा पावर सब स्टेशन मे लगातार पानी बढने से मीनापुर अब भी ब्लैक आउट है। पैगम्बरपुर इलाके मे जिओ ने भी काम करना बंद कर दिया है।


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