हर वर्ष 28 जुलाई को विश्वभर में वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है, जिसका उद्देश्य है लोगों को लीवर से जुड़ी गंभीर बीमारी हेपेटाइटिस के बारे में जागरूक करना। यह रोग विशेष रूप से वायरल इन्फेक्शन की वजह से होता है, जो शरीर के लीवर को प्रभावित करता है और समय रहते इलाज न मिलने पर जानलेवा साबित हो सकता है।
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हेपेटाइटिस को मेडिकल साइंस में ‘Silent Killer’ के रूप में जाना जाता है क्योंकि इसके लक्षण प्रारंभिक चरण में प्रकट नहीं होते। यही वजह है कि दुनियाभर में लाखों लोग बिना जानकारी के Hepatitis B या Hepatitis C जैसे खतरनाक संक्रमण के साथ जी रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि हर साल हेपेटाइटिस के कारण मरने वालों की संख्या HIV, मलेरिया और टीबी से होने वाली मौतों से अधिक होती है।
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे का इतिहास और इसका वैज्ञानिक महत्व
विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने का निर्णय उस वैज्ञानिक की स्मृति में लिया गया जिसने इस क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान दिया। 28 जुलाई को यह दिवस इसलिए मनाया जाता है क्योंकि यह Dr. Baruch Blumberg का जन्मदिन है।
डॉ. बारुच ने वर्ष 1967 में हेपेटाइटिस बी वायरस की खोज की थी और इसके केवल दो वर्षों के भीतर इस संक्रमण से बचाव के लिए पहली वैक्सीन भी तैयार की। उनके इस अद्वितीय योगदान के लिए उन्हें 1976 में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उनकी तैयार की गई वैक्सीन ने विश्वभर में करोड़ों लोगों की जान बचाई और इस रोग के खिलाफ वैश्विक स्तर पर अभियान को बल मिला।
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे का उद्देश्य और इसका सामाजिक महत्व
विश्व हेपेटाइटिस दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य है लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना और उन्हें समय पर जांच, टीकाकरण और इलाज के लिए प्रेरित करना। यह दिवस लोगों को यह बताने का प्रयास करता है कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय रहते सही कदम उठाए जाएं तो इसे रोका जा सकता है।
जागरूकता की कमी, परीक्षण सुविधाओं तक सीमित पहुंच और सामाजिक कलंक जैसे कारणों से आज भी लाखों लोग इस बीमारी से पीड़ित होकर बिना इलाज के जीवन गुजार रहे हैं। इस दिन का उद्देश्य न केवल बीमारी के बारे में जानकारी देना है, बल्कि इसे लेकर फैली भ्रांतियों को भी खत्म करना है।
वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे 2025 की थीम: Hepatitis – Let’s Break It Down
हर साल इस दिवस को एक नई थीम के साथ मनाया जाता है जो वैश्विक स्वास्थ्य रणनीति का हिस्सा होती है। वर्ष 2025 के लिए तय की गई थीम है – “Hepatitis: Let’s Break It Down”, यानी अब समय आ गया है कि हम हेपेटाइटिस से जुड़ी हर बाधा को तोड़ें।
इस थीम के माध्यम से लोगों को यह संदेश दिया जा रहा है कि हमें इस बीमारी से जुड़े मिथकों, डर और असमानताओं को खत्म करना होगा। यह केवल मेडिकल ट्रीटमेंट की बात नहीं है, बल्कि Testing, Awareness और Equal Access जैसे हर पहलू को लेकर बात करनी होगी।
हेपेटाइटिस – एक बढ़ता हुआ वैश्विक संकट
हेपेटाइटिस बी और सी आज दुनिया के सबसे खतरनाक वायरस संक्रमण में से एक हैं। यह संक्रमण लंबे समय तक बिना लक्षण के शरीर में बना रहता है और धीरे-धीरे लीवर को क्षतिग्रस्त करता है।
दुनियाभर में लगभग 325 मिलियन लोग हेपेटाइटिस से संक्रमित हैं, लेकिन उनमें से अधिकांश को यह जानकारी ही नहीं होती कि वे इस वायरस के साथ जी रहे हैं। यही वजह है कि इस बीमारी को लेकर समय पर जांच और उपचार को बढ़ावा देना आज की सबसे बड़ी जरूरत बन चुकी है।
टीकाकरण – बचाव का सबसे कारगर माध्यम
विशेषज्ञों का मानना है कि हेपेटाइटिस बी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका Vaccination है। आज कई देशों में यह वैक्सीन बचपन में ही दी जाती है, जिससे संक्रमण के खतरे को कम किया जा सकता है।
हालांकि अभी भी ऐसे कई देश और क्षेत्र हैं जहां लोगों तक यह सुविधा नहीं पहुंची है। Health Inequality के चलते वैक्सीन की पहुंच सीमित है, जिससे ग्रामीण और पिछड़े इलाकों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
हेपेटाइटिस के प्रकार और संक्रमण के स्रोत
हेपेटाइटिस वायरस पांच प्रकार का होता है – A, B, C, D और E। इनमें से A और E संक्रमित भोजन और पानी के माध्यम से फैलते हैं जबकि B, C और D शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क में आने से फैलते हैं, जैसे कि संक्रमित रक्त, असुरक्षित यौन संबंध और संक्रमित सुइयों का उपयोग।
सबसे गंभीर प्रकार हैं Hepatitis B और Hepatitis C, जो लंबे समय तक शरीर में रहने के बाद लीवर कैंसर जैसी स्थितियों का कारण बन सकते हैं। इसी वजह से इन प्रकारों को लेकर विशेष सतर्कता की आवश्यकता होती है।
2030 तक हेपेटाइटिस समाप्त करने का लक्ष्य
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 2030 तक हेपेटाइटिस को एक Public Health Threat के रूप में खत्म करने का लक्ष्य तय किया है। इसके लिए नए संक्रमण में 90 प्रतिशत की कमी और मृत्यु दर में 65 प्रतिशत की गिरावट लाने का उद्देश्य रखा गया है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकारों, चिकित्सा संस्थानों और आम जनता का सहयोग बेहद आवश्यक है। World Hepatitis Day ऐसे मौकों पर एक रिमाइंडर बनकर आता है कि अभी भी बहुत काम किया जाना बाकी है।
भारत में हेपेटाइटिस – एक गंभीर स्वास्थ्य चुनौती
भारत जैसे देश में जहां आबादी विशाल है और स्वास्थ्य सेवाएं असमान रूप से वितरित हैं, वहां हेपेटाइटिस एक बड़ी चुनौती के रूप में मौजूद है। कई ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी हेपेटाइटिस की जांच और टीकाकरण की व्यवस्था नहीं है।
सरकार और विभिन्न हेल्थ ऑर्गनाइजेशन इस दिशा में कार्य कर रहे हैं, लेकिन वास्तविक बदलाव तभी आएगा जब आम लोग खुद आगे आकर इस विषय को गंभीरता से लेंगे। स्कूलों, कॉलेजों और सामाजिक संस्थानों में स्वास्थ्य शिक्षा के माध्यम से इस विषय पर संवाद बढ़ाना बेहद जरूरी है।
विश्व हेपेटाइटिस दिवस 2025 में हम कैसे भाग लें
हर व्यक्ति इस अभियान का हिस्सा बन सकता है। यदि आप चाहें तो वैक्सीनेशन करवाएं, अपनी फैमिली और दोस्तों को टेस्ट के लिए प्रेरित करें या सोशल मीडिया के माध्यम से सही जानकारी शेयर करें।
Small Actions Lead to Big Change – यही संदेश है इस वर्ष की थीम का। जब लोग खुलकर बात करेंगे, टेस्ट करवाएंगे और समय पर इलाज लेंगे, तभी हेपेटाइटिस से जुड़े डर और कलंक को तोड़ा जा सकेगा।
World Hepatitis Day 2025 केवल एक तारीख नहीं, बल्कि एक संकल्प है। यह संकल्प है बेहतर स्वास्थ्य का, सही जानकारी का और समय पर इलाज का। यदि हम सब मिलकर इस बीमारी के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझें और लोगों को जागरूक करें, तो वह दिन दूर नहीं जब हेपेटाइटिस हमारे जीवन से पूरी तरह बाहर हो जाएगा।
इस वर्ष की थीम “Hepatitis: Let’s Break It Down” हमें यही सीख देती है – अब चुप रहने का वक्त नहीं है। अब बदलाव का वक्त है।
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