शुक्रवार, जून 27, 2025
होमHealthडब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

डब्लूएचओ की विश्वसनियता, सवालो के घेरे में

Published on

Follow Us : Google News WhatsApp

अन्तर्राष्ट्रीय एजेंडा को समझना जरुरी है

न्यूज ब्यूरो। विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्लूएचओ की विश्वसनियता इस वक्त सवालो के घेरे में है। लोग अब समझने के लिए तैयार हो रहें है कि कई अन्तराष्ट्रीय एजेंसिया, एक सुनियोजित एजेंडा के तहत काम करती है और भारत जैसे देशो को कमजोर करने की साजिश भी करती है। फिलहाल, कोरोना वायरस को लेकर डब्लूएचओ की भूमिका पर उठने शुरू हो गयें है। कोरोनाकाल की इस महामारी में डब्लूएचओ की समीक्षा करें, इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के एक बयान पर गौर कर लेना यहां जरूरी हो गया है।

क्या कहा ट्रंप ने

पिछले दिनो अमेरिकी राष्‍ट्रपति ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा था कि दुनिया में कोरोना महामारी का प्रकोप इस संगठन की लापरवाही के कारण इतना फैली है। अब आस्ट्रेलिया, जर्मनी और ब्रिटेन भी कोरोना के लिए चीन को जिम्मेदार बताने लगा है। अनुमान है कि कोरोना का संकट कम होते ही दुनिया के कई बड़े राष्ट्र चीन के खिलाफ एकजुट हो जाये। मुआवजा की मांग अभी से उठने शुरू हो गये है। जाहिर है चीन का साथ देने की वजह से इस पूरे संकट के लिए डब्लूएचओ भी निशाने पर आ गया है। कहा तो यह भी जा रहा है कि चीन की साख को बचाने के चक्कर में डब्लूएचओ ने पूरी दुनिया को इस महामारी की आग में झोंक दिया। बहरहाल, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को अमेरिका से मिलने वाले फंड पर रोक लगा दिया है।

डब्लूएचओ में फंड का फंडा

अमेरिका हर साल डब्लूएचओ को करीब 500 मिलियन डॉलर यानी करीब 3 हजार करोड़ रुपए का फंड देता है। जबकि, चीन का योगदान 40 मिलियन डॉलर यानी करीब 300 करोड़ रुपए का है। यहां आपको एक बात और बतातें चलें कि अमरीका और चीन दोनों ही विश्व स्वास्थ्य संगठन के कार्यकारी सदस्य हैं। किंतु, महाशक्ति बनने की चाहत में चीन ने वर्ष 2014 से विश्व स्वास्थ्य संगठन को देने वाले फंड में इजाफा किया है। दरअसल, वर्ष 2014 से लेकर 2018 तक के आंकड़ो पर गौर करें तो चीन के फंड में करीब 52 फ़ीसदी की उछाल आई है। इसका असर अब दिखने भी लगा है।

चीन की अन्तर्राष्ट्रीय भूमिका

बात सिर्फ डब्लूएचओ की नहीं है। बल्कि, इस दशक के आरंभ से ही संयुक्त राष्ट्र के कई संस्थानों में चीन के लोगों का प्रभाव बढ़ा है। इनमें से कई संस्थाओं के हेड चीन के हैं या फिर चीन के समर्थन से है। हालिया वर्षो में संयुक्त राष्ट्र संघ के बजट में चीन की हिस्सेदारी बढ़ कर 12 प्रतिशत की हो चुकी है और चीन इसको निरंतर बढ़ा कर अन्तर्राष्ट्रीय परिदृश्य में खुद को स्थापित करने की निरंतर कोशिशो में जुटा हुआ है। निश्चित तौर पर चीन का दखल संयुक्त राष्ट्र में बढ़ा है और जैसे-जैसे चीन की आर्थिक हिस्सेदारी इन अंतराराष्ट्रीय संस्थानों में बढ़ेगी, वैसे-वैसे उसका दख़ल बढ़ना भी स्वाभाविक है। फिलहाल, यह एक अलग मुद्दा है और इस पर दूसरे लेख में चर्चा करेंगे।

डब्लूएचओ पर आरोप

डाब्लूएचओ पर आरोप ये है कि चीन के वुहान में जब कोरोना वायरस के मामले सामने आने लगे थे, उस वक्त डब्लूएचओ ने इसको गंभीरता से नहीं लिया। जबकि, डब्लूएचओ के एक्सपर्ट टीम ने वुहान का दौरा किया था। कहतें है कि यदि ठीक समय पर इसका आकलन हो गया होता तो कोरोना वायरस यानी कोविड-19 को वुहान में ही रोक दिया जाता। इससे लाखो लोगो की जिन्दगी बच सकती थीं और विश्व की अर्थव्यवस्था को भी नुकसान नहीं होता। यह सच है कि शुरूआती दिनो में डब्ल्यूएचओ ने कोविड-19 को गंभीरता से नहीं लिया और कोरोना को महामारी घोषित करने में डब्लूएचओ को 72 दिन का समय लग गया। डब्लूएचओ ने कोविड-19 को जब महामारी के रूप में पहचान की, जबतक बहुत देर हो चुका था और इस बीच कोविड-19 वायरस, चीन के वुहान से निकल कर 114 देशों में संक्रमण फैला चुका था। यही वह सबसे बड़ी वजह है, जो डब्लूएचओ की भूमिका पर सवालिया निशान खड़ा कर देता है। हालांकि इससे पहले वर्ष 2013 में जब कांगो में इबोला का प्रकोप बढ़ा और वह महामारी का रूप लेने लगा थ, उस वक्त भी डब्ल्यूएचओ ने इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर की हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने में देर कर थीं। किंतु, कोरोना की कहर इबोला से बिल्कुल ही अलग है। कोरोना काल के इस महा भयानक विनाश के बीच अब लोग कहने लगे है कि डब्लूएचओ ने चीन की मदद करने के चक्कर में दुनिया को मौत के आगोश में झोंक दिया।

डब्लूएचओ के महानिदेशक कटघरे में

डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेडरोस अधानोम गेब्रियस है और वे इथोपिया के नागरिक हैं। उन्हें चीन के प्रयासों से ही जुलाई 2017 में डब्लूएचओ के महानिदेशक का पद मिला हैं। डब्लूएचओ में अफ्रीकी मूल के वे पहले डायरेक्टर जनरल हैं। नतीजा, शुरू के दिनो से ही उनका झुकाव चीन की ओर रहा है और यह स्वाभाविक भी है। अब यही बात सुपर पावर अमेरिका को चूभने लगा है। किंतु, गौर से देखे तो डब्लूएचओ चीन के प्रभाव में आ गया है, ऐसी बात नहीं है। बल्कि, चीन ने धीरे-धीरे राष्ट्र संघ में भी अपनी स्थिति को मजबूत कर लिया है। क्योंकि, चीन के सियासदान 2049 तक खुद को सुपर पावर बनाने की रणनीति पर काम कर रहें है।

विवाद की असली वजह

दरअसल, चीन ने सर्व प्रथम 31 दिसंबर 2019 को कोरोना वायरस की सार्वजनिक घोषणा की थीं। जबकि, चीन में कोरोना का पहला केश 1 दिसम्बर को ही सामने आ चुका था। खैर, सार्वजनिक घोषणा के एक महीने बाद यानी 30 जनवरी 2020 को चीन में जन स्वास्थ्य आपातकाल लागू कर दिया गया। इस बीच 14 जनवरी को डब्ल्यूएचओ का एक ट्वीट आया। इस ट्वीट में डब्लूएचओ ने दावा किया कि चीन में मौजूद कोरोना वायरस एक इंसान से दूसरे इंसानों में नहीं फैलता है। यही से डब्लूएचओ की भूमिका संदेह के घेरे में आ गई। क्योंकि, इससे पहले चीन की सरकार भी दावा कर चुकीं थीं कि कोरोना एक इंसान से दूसरे इंसान में नहीं फैलता है। यानी डब्लूएचओ वहीं कहा रहा था, जो चीन उसको बता रहा था। जबकि, चीन को अच्छी तरीके से पता था कि कोरोना वायरस इंसान से इंसान में तेजी से फैल रहा है। हालांकि, 22 जनवरी को डब्लूएचओ ने पलटी मारते हुए अपना बयान बदल दिया और कोरोना वायरस के इंसान से इंसान में फैलने के पुष्टि कर दी। कहा जाता है कि डब्ल्यूएचओ ने कोरोना को जब तक वैश्विक महामारी घोषित किया। तब तक यह वायरस 114 देशों के 1 लाख 18 हजार लोगो को संक्रमित कर चुका था। दुनिया इस वक्त कोरोना वायरस की चपेट में है। मौत का आंकड़ा खतरनाक स्तर को पार करने लगा है और यह रोज बढ़ रहा है। दुनिया के अधिकांश हिस्सो में लॉकडाउन है और दुनिया की करीब तीन चौथाई आवादी घरो में कैद है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन पर सवाल उठना स्वाभाविक है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन है क्या

विश्व स्वास्थ्य संगठन यानी डब्ल्यूएचओ की स्थापना 7 अप्रैल 1948 को हुई थी। इसका मुख्यालय स्विट्जरलैंड के जिनीवा में है। डब्ल्यूएचओ की स्थापना के समय इसके संविधान पर 61 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इसकी पहली बैठक 24 जुलाई 1948 को हुई थी। विश्व स्वास्थ्य संगठन या डब्ल्यूएचओ संयुक्त राष्ट्र का हिस्सा है और दुनियाभर में इसके 150 से अधिक ऑफिस हैं। इसका मुख्य काम दुनियाभर में स्वास्थ्य समस्याओं पर नजर रखना है और उन्हें सुलझाने में मदद करना है। दरअसल, डब्लूएचओ ने अपनी स्थापना के आरंभिक कई दशको तक निष्पक्ष रहते हुए बहुत अच्छे काम किये है। जिसकी चर्चा करना करना यहां जरुरी है। दरअसल, अपनी स्थापना के बाद, डब्ल्यूएचओ ने सर्व प्रथम स्मॉल पॉक्स बिमारी को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाई। फिलहाल डब्ल्यूएचओ एड्स, इबोला और टीबी जैसी खतरनाक बिमारियों की रोकथाम पर काम कर रहा है। डब्ल्यूएचओ वर्ल्ड हेल्थ रिपोर्ट के लिए जिम्मेदार होता है। इसमें पूरी दुनिया से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी परेशानियों का एक सर्वे होता है।

डब्लूएचओ के महत्वपूर्ण उपलब्धियां

वर्ष 1958 में सोवियत संघ ने डब्ल्यूएचओ के मार्गदर्शन में चेचक उन्मूलन कार्यक्रम का एक प्रस्ताव रखा था और इस दिशा में काम शुरू भी हुआ। वर्ष 1977 तक इसमें बड़ी सफलता हासिल हुई और लगभग पूरी दुनिया से चेचक को खत्म कर दिया गया। हालांकि, इसके बाद सोमालिया में चेचक के कुछ मामले सामने आये थे, जिसे बाद के वर्षो में दूर कर लिया गया। वर्ष 1980 आते आते दुनिया से करीब-करीब चेचक का सफाया हो चुका था और यह डब्लूएचओ के प्रयास से ही संम्भव हो सका।
इस बीच डब्लूएचओ ने अफ्रिका के नीग्रो जनजाति में होने वाले सिफलिस जैसे महामारी की रोकथाम के लिए वर्ष 1960 में एक अभियान की शुरूआत की। यह वह वक्त था, जब कुष्ठ और आंख से संबंधित रोग यानी ट्रेकोमा को जड़ से खत्म करने के लिए पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा था। इधर, एशिया के देशो में कॉलरा जैसी महामारी फैली हुई थीं और अफ्रीका में फ्लू ने महामारी का रूप धारण कर लिया था। डब्लूएचओ ने एक साथ इन तमाम बिमारियों के खिलाफ अभियान की शुरूआत कर दी और उसे बहुत हद तक सफलता भी मिली। यानी डब्लूएचओ की अहम भूमिका से किसी को इनकार नहीं है।
इस प्रकार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने 1970 में परिवार नियोजन अभियान की शुरूआत की। बहुत हद तक यह अभियान सफल भी रहा। किंतु, धार्मिक आधार पर कई देशो में इसका विरोध भी हुआ। इसी प्रकार बच्चों में रोगरोधी क्षमता बढ़ाने के लिए 1974 में टीकाकरण कार्यक्रम और वर्ष 1987 में प्रसूता मृत्यु दर को कम करने के लिए डब्लूएचओ के कार्यक्रम को भूल पाना आसान नहीं होगा। वर्ष 1988 में पोलिया उन्मूलन और 1990 में जीवनशैली से होने वाली बीमारी को रोकने के लिए भी डब्लूएचओ ने दुनिया में बड़ा अभियान चलाया। वर्ष 1992 में डब्ल्यूएचओ ने पर्यावरण की सुरक्षा के लिए पहल की। वर्ष 1993 में एचआईवी/एड्स को लेकर संयुक्त राष्ट्र के साथ मिलकर कार्यक्रम शुरू किया। डब्लूएचओ के ऐसे और भी कई विश्व व्यापी अभियान है, जिसके सुखद परिणाम से किसी को इनकार नहीं है।


Discover more from

Subscribe to get the latest posts sent to your email.

Latest articles

मुजफ्फरपुर में मीनापुर-टेंगराहा पथ के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण, NH-28 पर सुरक्षा खतरे की स्थिति

मुजफ्फरपुर में मीनापुर-टेंगराहा पथ के चौड़ीकरण के लिए भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया पूरी की गई...

टीआरपी रिपोर्ट: इस हफ्ते ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ बना नंबर 1, टॉप 10 में इस शो की एंट्री

BARC (ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल) ने 24वें हफ्ते की टीआरपी लिस्ट जारी कर दी...

अंकिता लोखंडे ने लाफ्टर शेफ सेट पर दी गुड न्यूज, प्रेग्नेंसी की खबर से चौंके फैंस

अंकिता लोखंडे, टीवी इंडस्ट्री की पॉपुलर एक्ट्रेस, जो अपनी प्रोफेशनल और पर्सनल लाइफ को...

FWICE ने ‘बॉर्डर 2’ से दिलजीत दोसांझ को निकालने की मांग की, पूर्व मैनेजर ने किया बचाव

पंजाबी सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ इन दिनों अपने करियर के सबसे बड़े विवादों...

More like this

FWICE ने ‘बॉर्डर 2’ से दिलजीत दोसांझ को निकालने की मांग की, पूर्व मैनेजर ने किया बचाव

पंजाबी सिंगर और अभिनेता दिलजीत दोसांझ इन दिनों अपने करियर के सबसे बड़े विवादों...

अंतरिक्ष से शुभांशु शुक्ला का पहला संदेश: ISS पर डॉकिंग से पहले भारत का गौरवमयी क्षण

भारत के अंतरिक्ष यात्रा के इतिहास में एक और महत्वपूर्ण मील का पत्थर जुड़...

पेट की सेहत सुधारने और पाचन समस्याओं को कम करने के लिए 10 सबसे प्रभावी खाद्य पदार्थ और जड़ी-बूटियाँ

जैसे-जैसे हम उम्र बढ़ाते हैं, हमारे शरीर का मेटाबॉलिज़्म धीमा हो जाता है, जिसके...
00:13:19

क्या फिर एक और हिरोशिमा होने वाला है?

1945 में हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बम ने मानवता को जो जख्म...

केला खाने के नुकसान: जानिए कैसे यह फल कुछ लोगों के लिए हो सकता है हानिकारक

KKN गुरुग्राम डेस्क | केला एक ऐसा फल है जो आमतौर पर सेहत के...

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025: योग के माध्यम से शरीर के सात चक्रों को जागृत करें

KKN गुरुग्राम डेस्क | पूरी दुनिया आज अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2025 मना रही है।...

कैलेंडर का चक्र: 2025 और 1941 की समानता क्या मानी जाए संकेत या संयोग?

KKN गुरुग्राम डेस्क | दुनिया भर में जारी रूस-यूक्रेन युद्ध और इजरायल-हमास संघर्ष के बीच, हाल ही...

स्वस्थ जीवन के लिए जरूरी हैं ये 3 विटामिन: जानिए विटामिन D, B12 और C की कमी के लक्षण

KKN गुरुग्राम डेस्क | हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के...

टमाटर खाने से रोक क्यों रही है अमेरिकी सरकार?

KKN गुरुग्राम डेस्क | अमेरिका की फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन (FDA) ने देशभर के...

भारत-चीन तनाव 2025: सीमाओं पर शांति की उम्मीद या नई टकराव की आहट?

KKN ब्यूरो। 2 जून 2025। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद कोई नया...

रूस, यूक्रेन, नाटो और अमेरिका की परमाणु नीति में अंतर: 2025 की नई तस्वीर क्या कहती है?

KKN ब्यूरो। 2 जून 2025।  2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से...

मुजफ्फरपुर आई हॉस्पिटल पर 5 लाख का जुर्माना: मोतियाबिंद ऑपरेशन में लापरवाही से महिला की आंख की रोशनी गई

KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में स्थित एक प्रतिष्ठित आई हॉस्पिटल...

दुनिया में आम का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन? भारत किस स्थान पर है?

KKN गुरुग्राम डेस्क | आम को सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में...

विटामिन बी12 की कमी को दूर करने के लिए जीरा का उपयोग: किचन में छुपा है सेहत का खजाना

KKN गुरुग्राम डेस्क |  विटामिन बी12 की कमी हमारे शरीर पर कई नकारात्मक प्रभाव...

दिल्ली में कम आयु वालों में ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ा, विशेषज्ञों ने दी चेतावनी

KKN Gurugram Desk | दिल्ली में हर साल रक्त कैंसर के कम से कम 3,000 मामले सामने...
Install App Google News WhatsApp