मौसम में बदलाव के दौरान अक्सर बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। तापमान, नमी और प्रदूषण में अचानक आए बदलाव से बच्चों का शरीर नई परिस्थितियों के अनुसार खुद को ढालने में असमर्थ हो जाता है। ऐसे में सर्दी-जुकाम, गले में खराश और खांसी जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन इन स्थितियों में दादी-नानी के पुराने देसी नुस्खे बच्चों को राहत देने में कारगर साबित हो सकते हैं।
Article Contents
सरसों के तेल से कीजिए हल्की मालिश
सर्दी-जुकाम की स्थिति में सरसों के तेल में लहसुन और अजवाइन डालकर हल्का गर्म करें। यह तेल जब गुनगुना हो जाए तो बच्चों की छाती, पीठ और पैरों के तलवों पर धीरे-धीरे मालिश करें। लहसुन और अजवाइन में सूजन कम करने वाले गुण होते हैं, जो वायुमार्ग को खोलने में मदद करते हैं। इससे नाक बंद होने की समस्या में राहत मिलती है और रक्त संचार भी बेहतर होता है।
नीलगिरी के तेल की खुशबू देती है राहत
नीलगिरी तेल के कुछ बूंदें रूई पर डालें और बच्चे के कपड़ों या तकिए के पास रखें। इसकी महक से सांस लेने में आसानी होती है और बंद नाक खुलती है। यह एक प्राकृतिक तरीका है जो बच्चों को बिना किसी दवा के राहत देता है।
अजवाइन का धुआं प्राकृतिक तरीका
अजवाइन को तवे पर हल्का भूनकर उससे निकलने वाला धुआं बच्चों को थोड़ी दूरी से सूंघने दें। यह धुआं नाक खोलने में मदद करता है और सर्दी से जुड़ी दिक्कतों को कम करता है। यह नुस्खा खासकर ग्रामीण इलाकों में अब भी आम है और बेहद प्रभावी भी।
अजवाइन की पोटली से गर्म सेंक
अजवाइन को गर्म कर एक साफ कपड़े में बांधकर पोटली बनाएं। इस पोटली से बच्चों की छाती और पीठ पर हल्का-हल्का सेंक दें। इससे सर्दी के लक्षण कम होते हैं और छाती की जकड़न में भी राहत मिलती है। यह पारंपरिक तरीका बच्चों के लिए पूरी तरह सुरक्षित है।
हल्दी-तुलसी का काढ़ा दें एक साल से ऊपर के बच्चों को
हल्दी और तुलसी के पत्तों को कुछ मिनट तक पानी में उबालें और इसे छानकर हल्का ठंडा होने पर एक साल से ऊपर के बच्चों को दें। हल्दी में रोगाणु नाशक तत्व होते हैं और तुलसी इम्युनिटी बढ़ाने में सहायक होती है। यह मिश्रण गले की खराश और संक्रमण में फायदेमंद होता है।
स्टीमर में विक्स डालकर कमरे में रखें
अगर बच्चा बहुत ज्यादा जकड़न महसूस कर रहा हो तो स्टीमर में बेबी रब या विक्स डालकर उसे कमरे में चलाएं। इससे कमरे में नमी बनी रहती है और बच्चे की बंद नाक खुलने में मदद मिलती है। रात के समय इसका इस्तेमाल करने से बच्चे को बेहतर नींद मिल सकती है।
खास सावधानियां जो ध्यान रखें
इन घरेलू उपायों को अपनाने से पहले यह सुनिश्चित करें कि बच्चे को किसी चीज़ से एलर्जी न हो। शिशुओं और नवजातों को सीधे किसी भी प्रकार की महक या धुएं के संपर्क में न लाएं। कोई भी देसी उपाय करने से पहले उसकी मात्रा और तापमान का विशेष ध्यान रखें।
स्वस्थ दिनचर्या और सफाई भी है जरूरी
इन देसी नुस्खों के साथ-साथ यह जरूरी है कि बच्चे को साफ-सुथरे माहौल में रखा जाए। कमरे को धूल, गंदगी और कीटाणुओं से मुक्त रखें। बच्चे को पर्याप्त नींद, हल्का और पोषण युक्त भोजन देना भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होगा।
दादी-नानी के यह पारंपरिक नुस्खे आज भी उतने ही प्रभावी हैं जितने पहले थे। बदलते मौसम में जब बच्चों को सर्दी-जुकाम की शिकायत होती है तो इन देसी उपायों से उन्हें राहत मिल सकती है। हालांकि, यदि लक्षण लंबे समय तक बने रहें या तेज बुखार जैसी स्थिति हो, तो डॉक्टर की सलाह जरूर लें। लेकिन सामान्य सर्दी-जुकाम की स्थिति में ये घरेलू उपाय न केवल कारगर हैं, बल्कि बच्चों के शरीर को दवाओं के साइड इफेक्ट से भी बचाते हैं।
Discover more from KKN Live
Subscribe to get the latest posts sent to your email.