नई दिल्ली। प्राइवेट अस्पतालो को अब सीजेरियन डिलीवरी कराने से पहले कई मानको का पालन करना होगा। केंद्र के राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन ने धड़ल्ले से होने वाली सीजेरियन डिलीवरी को कम करने के लिए गाइड लाइन जारी कर दिया है।
इसके तहत आने वाले प्राइवेट अस्पतालों को सीजेरियन प्रक्रिया से डिलीवरी करवाने की इजाजत केवल तभी होगी जब मरीज को सरकारी अस्पताल की ओर से कारण का उल्लेख करने के साथ वहां भेजा गया हो। आयुष्मान भारत के मुख्य कार्यकारी अधिकारी इंदू भूषण ने कहा कि इसका उद्देश्य सामान्य प्रसव को बढ़ावा देना है।
योजना के तहत आने वाले निजी अस्पतालों में सीजेरियन सेक्शन की इजाजत केवल तभी होगी जब मरीज को वहां सरकारी अस्पताल से कारण का उल्लेख करते हुए रेफर किया गया हो। इस योजना के तहत सी-सेक्शन का शुल्क 9,000 रुपये तय किया गया है। उन्होंने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, देश में सी-सेक्शन की आदर्श दर 10 से 15 फीसदी है। लेकिन भारत में, खासतौर पर निजी अस्पतालों में यह अंधाधुंध हो रहा है जो प्रसव के व्यवसायीकरण का संकेत देता है।
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