KKN गुरुग्राम डेस्क | टीवी इतिहास में रामानंद सागर की ‘रामायण’ (1987-1988) ने भारतीय टेलीविजन पर एक ऐसा अध्याय लिखा था जिसे आज भी लोग श्रद्धा के साथ याद करते हैं। इस पौराणिक शो में भगवान राम का किरदार निभाकर अरुण गोविल ने जो पहचान बनाई, वह किसी और एक्टर को नसीब नहीं हुई।
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आज जब नई पीढ़ी के फिल्म निर्माता और अभिनेता रामायण को फिर से पर्दे पर लाने की कोशिश कर रहे हैं, तो हर किसी के मन में यही सवाल है – आज के समय में भगवान राम के किरदार के लिए कौन उपयुक्त है?
अरुण गोविल का स्पष्ट संदेश: “हमारे जीते-जी कोई रामायण न बनाए”
मेरठ से भाजपा सांसद और अभिनेता अरुण गोविल ने NDTV को दिए एक इंटरव्यू में साफ शब्दों में कहा:
“तीन-चार लोगों ने रामायण को फिर से बनाने की कोशिश की, लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिली। मेरे हिसाब से हमारे जीते-जी किसी को भी रामायण दोबारा बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए।”
अरुण गोविल का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बॉलीवुड अभिनेता रणबीर कपूर निर्देशक नितेश तिवारी की आगामी फिल्म रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने की तैयारी कर रहे हैं।
हर कोई नहीं बन सकता भगवान राम
अरुण गोविल ने यह भी कहा कि आज के सभी अभिनेता तकनीकी रूप से सक्षम हैं, लेकिन भगवान राम के किरदार को सिर्फ अभिनय से नहीं निभाया जा सकता। उसमें आध्यात्मिकता, संयम और मर्यादा का होना जरूरी है।
“शायद भगवान राम का सही किरदार किसी अभिनेता के बजाय फिल्म इंडस्ट्री से बाहर कोई निभा सके,” गोविल ने कहा।
यह बात स्पष्ट करती है कि भगवान राम का किरदार केवल दिखावे का नहीं, बल्कि आत्मिक गहराई का भी प्रतीक है।
1987 की रामायण: एक ऐतिहासिक शो
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प्रसारण अवधि: 1987 से 1988
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कुल एपिसोड: 78
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चैनल: दूरदर्शन
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समय: हर रविवार सुबह 9:30 बजे
यह शो इतना लोकप्रिय था कि उसके प्रसारण के समय सड़कों पर सन्नाटा छा जाता था। लोगों ने टीवी को मंदिर बना दिया था, और कई घरों में अरुण गोविल को रामजी की तरह पूजा जाने लगा।
रणबीर कपूर की ‘रामायण’ फिल्म: 2026 और 2027 में दो हिस्सों में रिलीज
निर्देशक नितेश तिवारी की अगली मेगा बजट फिल्म रामायण में रणबीर कपूर भगवान राम, साई पल्लवी सीता, और यश रावण के रूप में नजर आएंगे। फिल्म को दो भागों में रिलीज किया जाएगा:
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पहला भाग: दिवाली 2026
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दूसरा भाग: वर्ष 2027
निर्माताओं का दावा है कि फिल्म को शास्त्रों के अनुसार बनाया जा रहा है और इसके लिए धार्मिक विद्वानों से सलाह ली जा रही है।
प्रभास की ‘आदिपुरुष’ से सीख?
रणबीर कपूर की ‘रामायण’ से पहले प्रभास ने फिल्म ‘आदिपुरुष’ में भगवान राम का किरदार निभाया था। यह फिल्म अपने विवादास्पद डायलॉग्स, CG और प्रस्तुति के कारण बुरी तरह फ्लॉप हो गई थी।
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फिल्म को आलोचनाओं का सामना करना पड़ा
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धार्मिक भावनाओं को आहत करने के आरोप लगे
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CBFC को भी हस्तक्षेप करना पड़ा
इस अनुभव ने दर्शकों को और ज्यादा संवेदनशील और सतर्क बना दिया है कि पौराणिक विषयों के साथ भावनात्मक और सांस्कृतिक जिम्मेदारी जरूरी है।
भगवान राम: एक अभिनेता का नहीं, विश्वास का विषय
भगवान राम का किरदार सिर्फ अभिनय या ग्लैमर से जुड़ा नहीं है, बल्कि वह लाखों-करोड़ों लोगों की आस्था से जुड़ा है। उनकी छवि में मर्यादा, संयम, साहस और सेवा के गुण निहित हैं। ऐसे किरदार को निभाने के लिए सिर्फ शारीरिक बनावट या लोकप्रियता काफी नहीं, अंतरात्मा से जुड़ाव जरूरी है।
अरुण गोविल ने खुद भगवान राम के लिए सादगी, वाणी की मर्यादा और जीवनशैली को अपनाया था, तभी वे उस किरदार में रच-बस गए।
रणबीर कपूर की आगामी रामायण फिल्म को लेकर उम्मीदें और आशंकाएं दोनों हैं। जहां एक ओर तकनीक और निर्देशन के स्तर पर फिल्म बहुत आगे नजर आ रही है, वहीं दूसरी ओर आध्यात्मिक गहराई और धार्मिक आस्था को बनाए रखना सबसे बड़ी चुनौती है।
अरुण गोविल की यह टिप्पणी केवल एक व्यक्तिगत राय नहीं, बल्कि देश की सांस्कृतिक चेतना की गूंज है। एक ऐसा किरदार जो किसी अभिनेता को नहीं, देश को जोड़ता है।
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