KKN गुरुग्राम डेस्क | इमरान हाशमी की फिल्म “ग्राउंड जीरो” 25 अप्रैल 2025 को रिलीज हो रही है। यह फिल्म एक सच्ची घटना पर आधारित है, जिसमें भारतीय सीमा सुरक्षा बल (BSF) ने जैश-ए-मोहम्मद के खतरनाक आतंकी गाजी बाबा को मार गिराया था, जो 2001 के भारतीय संसद हमले का मास्टरमाइंड था। आइए जानते हैं इस फिल्म की कहानी और गाजी बाबा के मारे जाने की रात का क्या हुआ था।
फिल्म “ग्राउंड जीरो” एक सच्ची घटना पर आधारित है, जो भारत के सीमा सुरक्षा बल (BSF) के एक महत्वपूर्ण मिशन को दर्शाती है। इस मिशन के तहत गाजी बाबा नामक आतंकवादी को मारा गया था, जो भारतीय संसद हमले का मास्टरमाइंड था। फिल्म में इमरान हाशमी एक बीएसएफ अधिकारी की भूमिका में हैं, जो नरेंद्र नाथ दुबे के किरदार में नजर आएंगे। साथ ही, सई ताम्हंकर उनकी पत्नी का किरदार निभाएंगी, जबकि जोया हुसैन और रजत कपूर भी अहम भूमिकाओं में दिखेंगे।
गाजी बाबा, जिसका असली नाम राणा ताहिर नदीम था, जैश-ए-मोहम्मद का एक खूंखार कमांडर था। वह 2001 के संसद हमले में शामिल था और कई अन्य आतंकवादी हमलों का भी आरोपी था। पाकिस्तान में छिपकर वह भारतीय सुरक्षा बलों के लिए एक बड़ा खतरा बन चुका था। गाजी बाबा के आतंकवादी गतिविधियों के कारण भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने उसे ढूंढने और मारने के लिए कई ऑपरेशन चलाए थे।
गाजी बाबा की मौत एक महत्वपूर्ण मोड़ था, क्योंकि उसकी नापाक योजनाओं के कारण भारत में कई लोगों की जानें चली गई थीं। लेकिन 2003 में बीएसएफ ने एक खुफिया ऑपरेशन चला कर उसे खत्म कर दिया।
2003 में बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ दुबे के नेतृत्व में एक खुफिया ऑपरेशन चलाया गया था। इस ऑपरेशन की शुरुआत एक आतंकवादी के बयान से हुई थी, जिसमें गाजी बाबा के छिपने की जगह के बारे में जानकारी मिली थी। श्रीनगर के नूरबाग इलाके में एक छापे के दौरान गाजी बाबा के ठिकाने का पता चला।
सुबह 4:10 बजे ऑपरेशन शुरू हुआ, और बीएसएफ टीम ने गाजी बाबा के ठिकाने पर हमला किया। भारी गोलीबारी और धमाकों के बीच बीएसएफ के जवानों ने गाजी बाबा को ढूंढ लिया और उसे मार गिराया। इस ऑपरेशन में एक जवान शहीद हो गया और नरेंद्र नाथ दुबे भी गंभीर रूप से घायल हुए, लेकिन उनकी बहादुरी ने इस मिशन को सफलता दिलाई।
ग्राउंड जीरो फिल्म इस साहसिक ऑपरेशन को दर्शाती है, जिसमें बीएसएफ के जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना गाजी बाबा को मार गिराया। यह फिल्म आतंकवाद के खिलाफ बीएसएफ के जवानों की वीरता और समर्पण को दिखाती है। फिल्म यह भी दिखाती है कि आतंकवाद के खिलाफ जंग अभी खत्म नहीं हुई है, और देश को हमेशा सतर्क रहना होगा।
यह फिल्म दर्शकों को यह बताने की कोशिश करती है कि आतंकवाद से निपटना कितना मुश्किल और खतरनाक होता है। यह सिर्फ एक सच्ची कहानी नहीं है, बल्कि उन बहादुर जवानों की बलिदान की कहानी है, जो अपनी जान जोखिम में डालकर देश की सुरक्षा करते हैं।
जहां कुछ फिल्में जैसे बेबी और फैंटम आतंकवादियों के तुरंत खत्म होने की कहानी दिखाती हैं, वहीं ग्राउंड जीरो असल जिंदगी के मुकाबले ज्यादा जटिल कहानी को प्रस्तुत करती है। फिल्म न केवल इस ऑपरेशन की वीरता को दिखाती है, बल्कि यह भी बताती है कि आतंकवाद से जूझते हुए सुरक्षा बलों को कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। असल जिंदगी में आतंकवादियों को खत्म करने के लिए लंबा संघर्ष और कठिनाई होती है, और हर ऑपरेशन का परिणाम निश्चित नहीं होता।
इमरान हाशमी ने इस फिल्म में एक बीएसएफ अधिकारी नरेंद्र नाथ दुबे का किरदार निभाया है। इस फिल्म में उनका किरदार बिल्कुल अलग है, जो उनके अब तक के करियर में दिखाए गए रोमांटिक और कमर्शियल किरदारों से हटकर है। हाशमी ने अपनी भूमिका में गहरी भावनाओं और गंभीरता को बहुत अच्छे से निभाया है, जिससे उनके प्रशंसकों को एक नई छवि देखने को मिलेगी।
उनकी भूमिका एक नेता की है, जो अपने साथियों को सुरक्षित रखने के साथ-साथ एक बड़े मिशन की सफलता के लिए जिम्मेदार होता है। इस किरदार के माध्यम से इमरान हाशमी ने भारतीय सुरक्षा बलों के समर्पण और वीरता को खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है।
सई ताम्हंकर इस फिल्म में इमरान हाशमी की पत्नी का किरदार निभा रही हैं। उनका किरदार फिल्म में एक भावनात्मक दृष्टिकोण प्रदान करता है, जो यह दर्शाता है कि युद्ध और आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष केवल सैनिकों तक सीमित नहीं होता, बल्कि उनके परिवारों पर भी इसका गहरा असर पड़ता है। सई ने अपनी भूमिका में सूक्ष्मता और सहजता दिखाई है, जो इस फिल्म को और भी वास्तविक बनाता है।
राजत कपूर और जोया हुसैन ने भी फिल्म में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राजत कपूर एक सीनियर बीएसएफ अधिकारी के रूप में दिखाई देंगे, जो इमरान हाशमी के किरदार को मार्गदर्शन देते हैं। जोया हुसैन ने भी एक अहम भूमिका निभाई है, जो इस ऑपरेशन की सफलता में मदद करती है। उनके सहायक किरदार फिल्म में कुछ अतिरिक्त परतों को जोड़ते हैं और इसे और भी दिलचस्प बनाते हैं।
ग्राउंड जीरो केवल एक सच्ची कहानी नहीं है, बल्कि यह उन अनगिनत सैनिकों और सुरक्षा बलों की बहादुरी और बलिदान की कहानी है, जो दिन-प्रतिदिन देश की सुरक्षा के लिए अपनी जान जोखिम में डालते हैं। यह फिल्म यह याद दिलाती है कि जबकि एक आतंकवादी का खात्मा किया जाता है, आतंकवाद का खतरा अभी भी खत्म नहीं हुआ है।
इस फिल्म के माध्यम से, दर्शकों को सुरक्षा बलों की कठिनाइयों और आतंकवाद के खिलाफ जंग की जटिलताओं का सही अहसास होता है। ग्राउंड जीरो एक प्रेरणादायक फिल्म है, जो यह दिखाती है कि संघर्ष के बावजूद हमारे जवान अपनी जान को जोखिम में डालकर देश की रक्षा करते हैं।
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