‘अनुपमा’ टेलीविजन पर सबसे पॉपुलर शो में से एक है, जो TRP चार्ट्स में हमेशा अपनी जगह बनाए रखता है। इस शो में अनुपमा का किरदार रूपाली गांगुली निभा रही हैं, जिनकी शानदार एक्टिंग और इमोशनल ड्रामा ने दर्शकों को काफी आकर्षित किया है। लेकिन अब एक नई चुनौती सामने आ रही है, क्योंकि ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ शो 25 साल बाद फिर से टेलीविजन पर वापसी कर रहा है, और इसका सीधा असर अनुपमा और अन्य टीवी शो पर पड़ सकता है।
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का प्रभाव
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ भारतीय टेलीविजन के सबसे लंबे समय तक चलने वाले शो में से एक रहा है। एकता कपूर के द्वारा निर्मित और बालाजी टेलीफिल्म्स के प्रोडक्शन में बना यह शो 2000 के दशक में बेहद पॉपुलर हुआ था। इसका प्रभाव इतना गहरा था कि इस शो ने टीवी इंडस्ट्री के लिए एक नया मानक स्थापित किया। अब 25 साल बाद इस शो का वापस आना दर्शकों के बीच एक नॉस्टैल्जिया का माहौल बना सकता है और कई पुराने दर्शक इसे फिर से देखने के लिए आकर्षित हो सकते हैं।
‘अनुपमा’ के लिए यह चुनौती क्यों है?
‘अनुपमा’ का मुख्य फोकस एक महिला के परिवार और व्यक्तिगत संघर्ष पर है, जो वर्तमान समय के सामाजिक मुद्दों को दर्शाता है। वहीं, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ पारंपरिक परिवार की स्थितियों और रिश्तों के बारे में था, जिसमें सास-बहू के रिश्ते की खटास और प्यार को दिखाया गया था। दोनों शो में समान थीम्स हैं, लेकिन ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ का वापस आना ‘अनुपमा’ की टीआरपी और व्यूअरशिप पर प्रतिकूल असर डाल सकता है, क्योंकि दर्शक पुराने शो को फिर से देखने के लिए लौट सकते हैं।
‘अनुपमा’ पर क्या असर पड़ेगा?
‘अनुपमा’ वर्तमान में टीवी पर सबसे अधिक देखे जाने वाले शो में से एक है और इसकी प्रमुख सफलता इसके क्लचिंग ड्रामा और दिल छू लेने वाले किरदारों पर आधारित है। लेकिन जब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ वापस आएगा, तो यह नॉस्टैल्जिक दर्शकों को आकर्षित करेगा। ऐसे में, ‘अनुपमा’ को एक नई चुनौती का सामना करना पड़ सकता है, क्योंकि दोनों शो के बीच एक समान दर्शक वर्ग है।
दूसरी ओर, ‘अनुपमा’ की टीम की मजबूत फॉलोइंग और कहानी का ट्विस्ट इसे दर्शकों से जोड़ने में मदद कर सकता है। हालांकि, ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की वापसी से दर्शकों का ध्यान एक बार फिर पुराने शो पर जाएगा, लेकिन ‘अनुपमा’ की आधुनिक और प्रासंगिक कहानी को देखते हुए, यह शो अपनी जगह बनाए रख सकता है।
टीआरपी रेटिंग्स पर असर
टीवी शो की टीआरपी रेटिंग्स बहुत महत्व रखती हैं, और जब कई बड़े शो सीधे प्रतिस्पर्धा में होते हैं, तो रेटिंग्स प्रभावित होती हैं। ‘अनुपमा’ ने अपनी गजब की कहानी और मजबूत कैरेक्टर्स के चलते बहुत अधिक व्यूअरशिप हासिल की है। लेकिन जब ‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ वापस आता है, तो यह पुराने दर्शकों को आकर्षित करेगा, जो इसे फिर से देखना चाहेंगे। इससे दोनों शो के बीच प्रतिस्पर्धा और टीआरपी में बदलाव आ सकता है।
टीवी इंडस्ट्री की नई दिशा
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ की वापसी और ‘अनुपमा’ जैसे शो की सफलता ने यह साबित कर दिया है कि भारतीय टेलीविजन में पारिवारिक ड्रामा की अहमियत अभी भी बरकरार है। दर्शक हमेशा भावनात्मक जुड़ाव और सशक्त किरदारों के साथ जुड़ते हैं। यही कारण है कि दोनों शो अपनी जगह बनाए रखते हैं, भले ही कंपटीशन बढ़ रहा हो।
‘क्योंकि सास भी कभी बहू थी’ और ‘अनुपमा’ दोनों ही टेलीविजन पर एक ही विषय पर आधारित होने के बावजूद अलग-अलग तरीके से दर्शकों के दिलों को छूने में सफल रहे हैं। दोनों शो के बीच प्रतिस्पर्धा और टीआरपी रेटिंग्स पर असर पड़ेगा, लेकिन ‘अनुपमा’ की मजबूत कहानी और किरदारों के माध्यम से दर्शकों से जुड़ने की क्षमता इसे अपने टॉप पोजीशन पर बनाए रखने में मदद कर सकती है।
इन दोनों शो की सफलता भारतीय टेलीविजन उद्योग में पारिवारिक रिश्तों और भावनाओं की गहरी समझ और सशक्त किरदारों के महत्व को दर्शाती है।