KKN गुरुग्राम डेस्क | राजस्थान के सीकर जिले की बेटी खुशी शेखावत ने यह साबित कर दिया है कि अगर संकल्प मजबूत हो और मार्गदर्शन सच्चा हो, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं होती। मूल रूप से लक्ष्मणगढ़ तहसील के ढोलास गांव की रहने वाली खुशी आज सीकर के धोद रोड पर अपने परिवार के साथ रहती हैं।
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अपनी हालिया उपलब्धि (यदि यह परीक्षा में टॉप रैंक या किसी बड़ी प्रतियोगिता में चयन है — उस अनुसार विस्तार किया जा सकता है) पर बात करते हुए खुशी ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा कि इस सफलता का श्रेय वह अपने माता-पिता और गुरुओं को देती हैं। उनके सहयोग, विश्वास और मार्गदर्शन के बिना यह संभव नहीं था।
परिवार की भूमिका: अनुशासन और स्नेह का संपूर्ण मेल
खुशी एक साधारण लेकिन अनुशासित परिवार से आती हैं। उनके पिता दिलीप सिंह शेखावत, भारतीय सेना से सेवानिवृत्त हैं और माँ संजू कंवर एक गृहिणी हैं। पिता की सख्ती और मां की ममता ने मिलकर खुशी को वह आधार दिया, जिसकी जरूरत एक छात्रा को अपने सपनों को साकार करने में होती है।
“मेरे पिता ने अनुशासन सिखाया और मां ने कभी हार ना मानने की प्रेरणा दी,” – खुशी।
उनके पिता का सैनिक जीवन का अनुभव, समय के प्रबंधन, मेहनत और आत्म-नियंत्रण का प्रभाव खुशी की दिनचर्या में साफ झलकता है। वहीं, मां ने घर की जिम्मेदारियों के बीच बेटी की पढ़ाई और मानसिक स्वास्थ्य का हमेशा ध्यान रखा।
शिक्षा और परिश्रम: सफलता के पीछे की मेहनत
खुशी की प्रारंभिक शिक्षा सीकर के एक स्थानीय स्कूल में हुई। सीमित संसाधनों के बावजूद उन्होंने पढ़ाई में कभी समझौता नहीं किया। उनके गुरुजनों ने बताया कि खुशी शुरू से ही एक मेहनती, अनुशासित और जिज्ञासु छात्रा रहीं हैं।
शैक्षणिक विशेषताएं:
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कक्षा में हमेशा टॉपर रही हैं।
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विज्ञान और सामाजिक अध्ययन में विशेष रुचि।
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वाद-विवाद, प्रश्नोत्तरी और विज्ञान ओलंपियाड जैसी प्रतियोगिताओं में भागीदारी।
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सुबह जल्दी उठकर पढ़ाई, समयबद्ध अभ्यास और स्वयं-अध्ययन की आदत।
यदि उन्होंने किसी प्रमुख परीक्षा जैसे NEET, UPSC, NTSE या राज्य बोर्ड टॉप किया हो, तो उनके अध्ययन और योजना की गहराई और ज्यादा विस्तृत की जा सकती है।
गुरुओं का मार्गदर्शन: नींव को मजबूत करने वाली ताकत
खुशी के जीवन में शिक्षकों और मेंटर्स की भूमिका भी अत्यंत महत्वपूर्ण रही है। जब परिवार सीमित संसाधनों में संघर्ष कर रहा था, तब स्कूल और कोचिंग संस्थानों के शिक्षकों ने आगे आकर उन्हें आवश्यक सहयोग दिया।
“जब खुद पर विश्वास कम हो गया था, तब मेरे गुरुजनों ने मुझे उठाया,” – खुशी।
अतिरिक्त क्लासेज, मनोबल बढ़ाने वाली बातें और समय पर मार्गदर्शन — इन सभी ने मिलकर खुशी के आत्मविश्वास को बनाए रखा।
संघर्ष: सीमित संसाधनों के बावजूद बड़ी सोच
खुशी के परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत सशक्त नहीं थी। पिता की पेंशन और मां की गृहस्थी की सीमाओं के बीच उन्हें अपनी पढ़ाई के लिए किताबें, कोचिंग फीस और परीक्षा की तैयारियों में मुश्किलें आईं। लेकिन कभी इन समस्याओं को उन्होंने अपने आत्मबल पर हावी नहीं होने दिया।
वह बताती हैं कि उनके माता-पिता ने कभी भी यह महसूस नहीं होने दिया कि घर में तंगी है। यह ही उनकी सबसे बड़ी प्रेरणा रही।
सामाजिक दबाव और बदलाव की शुरुआत
एक ग्रामीण परिवेश में लड़की का पढ़ाई करना और अपने सपनों को खुलकर व्यक्त करना हमेशा आसान नहीं होता। शादी को शिक्षा से पहले महत्व देना, लड़कियों की सीमित स्वतंत्रता — ये सब खुशी के सामने भी थे। लेकिन उन्होंने हर रूढ़िवादी सोच को पीछे छोड़ कर खुद को सिद्ध किया।
आज वह न केवल अपने लिए बल्कि अपने गांव और आसपास की लड़कियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन चुकी हैं।
खुशी का संदेश: सपनों के लिए लड़ो, चाहे कुछ भी हो
खुशी का मानना है कि सपनों को पाने के लिए संसाधनों की नहीं, बल्कि संकल्प और समर्थन की जरूरत होती है। वे अपने जैसी दूसरी लड़कियों को यह संदेश देना चाहती हैं:
“अपने सपनों को छोटा मत समझो। जहां से तुम आती हो, वह तुम्हारी पहचान है, लेकिन तुम्हारा लक्ष्य कहीं बहुत ऊपर है।”
भविष्य की योजनाएं: समाज को लौटाना चाहती हैं
खुशी अब केवल अपनी उपलब्धियों तक सीमित नहीं रहना चाहतीं। वह चाहती हैं कि उनके जैसे और भी छात्राओं को अवसर मिले। इसके लिए वे भविष्य में फ्री कोचिंग, मोटिवेशनल सेशन और करियर काउंसलिंग शुरू करने की योजना बना रही हैं।
उनका मानना है कि अगर समाज से मिला कुछ अच्छा, तो उसे समाज को वापस लौटाना भी ज़रूरी है।
खुशी शेखावत की कहानी केवल एक लड़की की उपलब्धि नहीं है, यह उस बदलते भारत की तस्वीर है जहां बेटियां अब सिर्फ सपने नहीं देखतीं, बल्कि उन्हें पूरा भी करती हैं। सीकर जैसे क्षेत्र से आकर यह मुकाम पाना अपने आप में मिसाल है।
KKNLive इस बात में विश्वास करता है कि सच्ची कहानियां ही सबसे बड़ा परिवर्तन लाती हैं। खुशी की कहानी प्रेरणा है हर उस घर के लिए, जहां बेटियां पंख फैलाना चाहती हैं।
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