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बिहार की वोटर लिस्ट में घुसपैठियों के नाम से हड़कंप, नेपाल-बांग्लादेश और म्यांमार के लोग मिले वोटर लिस्ट में दर्ज

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Shaunit N.

बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। निर्वाचन आयोग (ECI) द्वारा जारी की गई विशेष गहन पुनरीक्षण प्रक्रिया (Special Intensive Revision – SIR) के तहत सामने आया है कि राज्य की मतदाता सूची में बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों के नाम दर्ज हैं, जिनका संबंध नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार जैसे देशों से है।

चुनाव आयोग ने कहा है कि इन नामों की पहचान कर ली गई है और इन्हें अंतिम मतदाता सूची से हटाने की प्रक्रिया 1 अगस्त 2025 से शुरू होगी। वहीं दूसरी ओर, आयोग ने यह भी बताया कि अब तक 80% से अधिक मतदाताओं ने अपनी जानकारी सफलतापूर्वक अपडेट कर दी है, जिसमें नाम, पता, जन्मतिथि, आधार संख्या और वोटर ID नंबर शामिल हैं।

SIR क्या है और क्यों शुरू हुआ?

Special Intensive Revision (SIR) एक विशेष अभियान है जिसे 24 जून 2025 से बिहार में शुरू किया गया। इसका उद्देश्य है:

  • फर्जी और अयोग्य वोटरों की पहचान,

  • घुसपैठियों को हटाना,

  • मृत या स्थानांतरित मतदाताओं के नाम हटाना,

  • और नई उम्र के पात्र मतदाताओं को जोड़ना।

यह अभियान घर-घर जाकर Booth Level Officers (BLOs) के जरिए किया जा रहा है और इसकी अंतिम सूची 30 सितंबर 2025 को प्रकाशित की जाएगी।

विदेशी नागरिक कैसे पहुंचे वोटर लिस्ट में?

इस समीक्षा के दौरान BLOs को कई ऐसे नाम मिले जिनके दस्तावेज नेपाल, बांग्लादेश या म्यांमार से संबंधित थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इन व्यक्तियों ने नकली आधार कार्ड, राशन कार्ड और निवास प्रमाण पत्र का इस्तेमाल करके वोटर सूची में अपना नाम जुड़वाया था।

इन मामलों में BLOs द्वारा की गई पुष्टि और जिला निर्वाचन अधिकारियों की समीक्षा के बाद, इन घुसपैठियों के नामों को वोटर लिस्ट से हटाया जाएगा।

80% मतदाता विवरण अपडेट कर चुके हैं

बिहार के लगभग 7.89 करोड़ मतदाताओं में से 80% से अधिक ने अपने विवरण जैसे कि:

अपडेट कर दिए हैं। यह दर्शाता है कि मतदाताओं में जागरूकता और भागीदारी बढ़ी है। हालांकि अभी भी 20% मतदाता अपडेट नहीं कर पाए हैं, जिनमें से अधिकतर माइग्रेंट वर्कर या दस्तावेज़ों की कमी वाले लोग हैं।

राजनीतिक विवाद: विपक्ष ने उठाए सवाल

इस प्रक्रिया को लेकर विपक्षी दलों ने गंभीर आपत्ति जताई है:

  • राजद, कांग्रेस और AIMIM ने इसे ‘बैकडोर NRC’ बताया है।

  • AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि यह गरीब और अल्पसंख्यक मतदाताओं को बिना वजह बाहर निकालने की साजिश है।

  • कई राजनीतिक दलों ने कहा कि यह प्रक्रिया सिर्फ सीमावर्ती क्षेत्रों में गरीब और प्रवासी वर्गों को निशाना बना रही है।

वहीं, मुख्य निर्वाचन आयुक्त (CEC) ज्ञानेश कुमार ने कहा कि यह प्रक्रिया संविधानिक और निष्पक्ष है, और इसका उद्देश्य है मतदाता सूची को विश्वसनीय बनाना।

सुप्रीम कोर्ट का हस्तक्षेप और कानूनी पक्ष

10 जुलाई 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने ECI को निर्देश दिया कि वह आधार, वोटर ID और राशन कार्ड जैसे वैध दस्तावेजों को पहचान के रूप में स्वीकार करे। हालांकि अदालत ने SIR प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई है।

एक जनहित याचिका (PIL) सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई है जिसमें पूरे देश में इसी तरह की मतदाता सूची की समीक्षा की मांग की गई है, खासकर उन राज्यों में जहां घुसपैठ की आशंका ज्यादा है, जैसे असम, बंगाल और झारखंड।

बिहार चुनाव पर संभावित प्रभाव

बिहार में अक्टूबर–नवंबर 2025 में विधानसभा चुनाव होने हैं। SIR प्रक्रिया और मतदाता सूची का शुद्धिकरण इस बार चुनाव में बड़ा मुद्दा बन सकता है।

  • विपक्ष कह रहा है कि इस प्रक्रिया से लाखों लोगों का नाम हट सकता है, जो चुनाव के परिणाम को प्रभावित कर सकता है।

  • सीमावर्ती क्षेत्र जैसे सीमांचल में जहां मुस्लिम आबादी और प्रवासी मजदूरों की संख्या अधिक है, वहां से सबसे ज्यादा आपत्तियाँ आई हैं।

  • वहीं, सत्ता पक्ष और चुनाव आयोग इसे लोकतंत्र की शुद्धिकरण प्रक्रिया बता रहे हैं।

क्या यह मॉडल पूरे देश में लागू होगा?

अगर बिहार में यह प्रक्रिया सफल रहती है, तो निर्वाचन आयोग इसे देश के अन्य राज्यों में भी लागू कर सकता है। इससे पहले असम में NRC के तहत D-voter की व्यवस्था अपनाई गई थी, जो बहुत विवादित रही थी।

अब देखना यह है कि क्या SIR प्रक्रिया पूरे भारत के लिए नई रूपरेखा तैयार करेगी, या फिर यह बिहार तक ही सीमित रहेगी।

बिहार की मतदाता सूची में विदेशी नागरिकों की उपस्थिति एक गंभीर लोकतांत्रिक संकट को दर्शाती है। हालांकि 80% से अधिक मतदाताओं द्वारा डेटा अपडेट करना एक सकारात्मक संकेत है, लेकिन अभी भी कई चुनौतियाँ बाकी हैं।

This post was published on जुलाई 13, 2025 16:26

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Shaunit N.

Shounit Nishant is an experienced entrepreneur and content strategist with over 12 years in digital media and writing. An MBA graduate, he is currently pursuing a PhD in Management with a focus on business innovation and digital transformation. As a prolific writer, he has contributed insightful articles to multiple national platforms, covering entrepreneurship, education, and emerging business trends. Based in Muzaffarpur, Bihar. He brings regional depth and national perspective to his writing.

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