KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections) में अब कुछ ही महीने बाकी हैं, और राजनीतिक माहौल में हलचल तेज हो गई है। इस बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के बीच बयानबाजी तेज हो गई है। मंगलवार, 4 मार्च को बिहार विधानसभा में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव को जमकर लताड़ा। इस दौरान उन्होंने तेजस्वी के पिता और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव पर भी तीखा हमला बोला।
सीएम नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव पर किया हमला
बिहार विधानसभा में सीएम नीतीश कुमार ने तेजस्वी यादव से जुड़े कई मुद्दों पर जमकर बयान दिए। नीतीश कुमार ने कहा, “पहले बिहार में क्या था? तुम्हारे (तेजस्वी यादव) पिताजी को भी हमने ही मुख्यमंत्री बनाया था। तुम दो बार गड़बड़ कर चुके हो और हमने तुम्हें हटा दिया।” नीतीश कुमार ने यह टिप्पणी उन सवालों के जवाब में दी, जो विपक्षी पार्टी द्वारा राज्य सरकार की नीतियों और प्रशासन पर उठाए गए थे।
मुख्यमंत्री ने इस दौरान यह भी कहा कि जब राजद (RJD) की सरकार थी, तब बिहार में कोई विकास नहीं हुआ। नीतीश कुमार ने कहा, “राजद के समय में सिर्फ जातिवाद और धर्म के मुद्दे होते थे। हिंदू-मुस्लिम के बीच लड़ाइयां होती थीं। शिक्षा और बिजली की स्थिति भी बहुत खराब थी।”
लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी का पलटवार
नीतीश कुमार के इस बयान के बाद, लालू यादव की पत्नी और बिहार विधान परिषद में विपक्ष की नेता राबड़ी देवी ने भी पलटवार किया। उन्होंने कहा कि अगर नीतीश कुमार कहते हैं कि वे सबको बनाते हैं, तो इसका मतलब है कि उन्हें भी नीतीश कुमार ने ही बनाया था। राबड़ी देवी ने तंज करते हुए कहा, “नीतीश जी कहते हैं कि देश और बिहार उनके कारण बना है, तो यही बातें मोदी जी भी कहते हैं। ये दोनों नेता ही दावा करते हैं कि बिहार और देश उनके कारण बने हैं।”
राबड़ी देवी के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच की तल्खी अब व्यक्तिगत स्तर तक पहुंच चुकी है। राबड़ी देवी ने नीतीश कुमार के इन आरोपों को राजनीति की साजिश और खुद की तारीफ के रूप में देखा।
बिहार विधान परिषद में विपक्षी दलों का प्रदर्शन
बिहार विधान परिषद के चौथे दिन बजट सत्र के दौरान, राबड़ी देवी की अगुवाई में विपक्षी दलों ने राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। इस दौरान विपक्षी सदस्य रसोईया कर्मचारियों के मानदेय में वृद्धि की मांग करते हुए पोस्टर और बैनर लेकर विधानसभा पहुंचे।
राबड़ी देवी ने इस मुद्दे पर बात करते हुए कहा, “स्कूलों में काम करने वाले रसोई कर्मचारियों को सिर्फ 1650 रुपये महीना मिलते हैं, जो उनके जीवन यापन के लिए पर्याप्त नहीं हैं। हम सरकार से मांग करते हैं कि उनके वेतन में वृद्धि की जाए।” यह एक सामाजिक मुद्दा था जिसे राबड़ी देवी और विपक्षी दलों ने प्रमुखता से उठाया।
विधवा पेंशन बढ़ाने की भी उठी मांग
विरोध प्रदर्शन के दौरान, राबड़ी देवी ने विधवा पेंशन में वृद्धि की मांग भी उठाई। इसके लिए उन्होंने पोस्टर भी लहराया, जिसमें कहा गया था, “विधवा पेंशन बढ़ाई जाए।” राबड़ी देवी ने इस मुद्दे पर भी सरकार से गंभीर कदम उठाने की अपील की। उनका कहना था कि राज्य सरकार ने समाज के कमजोर वर्गों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए हैं और समय आ गया है कि इन मुद्दों पर कार्रवाई की जाए।
नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच राजनीतिक संघर्ष
नीतीश कुमार और लालू यादव के बीच का यह राजनीतिक संघर्ष कोई नया नहीं है। दोनों नेता बिहार के राजनीति के बड़े चेहरे रहे हैं और दोनों ही अपनी पार्टी की प्रमुख पहचान बन चुके हैं। हालांकि, हाल के वर्षों में यह दोनों नेताओं के बीच रिश्ते तनावपूर्ण हो गए हैं। सबसे पहले 2017 में नीतीश कुमार ने राजद से अपनी गठबंधन तोड़ा था और भाजपा के साथ हाथ मिलाया था। लेकिन 2020 में वह फिर से महागठबंधन में लौट आए।
इस बदलाव के बाद से नीतीश कुमार और लालू यादव की पार्टियों के बीच लगातार आरोप-प्रत्यारोप का दौर चलता रहता है। दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर अपने-अपने शासन काल में बिहार में विफलताओं का आरोप लगाया है। हालांकि, दोनों ही दलों के समर्थक इसे अपनी पार्टी के लिए सही कदम मानते हैं, और आगामी चुनावों में इन दोनों दलों के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिलेगा।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025: क्या है भविष्य का परिदृश्य?
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की ओर बढ़ते हुए, यह देखा जाएगा कि राज्य के लोग किसे अपने अगले मुख्यमंत्री के रूप में चुनते हैं। क्या नीतीश कुमार और उनकी पार्टी जनता का विश्वास फिर से जीत पाएंगे? या फिर तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद एक मजबूत विकल्प बनेगी? यह सवाल अब बिहार की राजनीति में प्रमुख बन चुका है।
राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, बिहार की चुनावी राजनीति अब जातिवाद और धर्म से ऊपर उठकर विकास, सामाजिक कल्याण और रोजगार के मुद्दों पर अधिक केंद्रित होगी। दोनों प्रमुख दलों के बीच की तल्खी और विरोध प्रदर्शन इस बात का संकेत है कि आगामी चुनावों में मुद्दे ज्यादा गंभीर होंगे।
समाज कल्याण और रोजगार: मुख्य मुद्दे
बिहार में आगामी चुनावों के मुख्य मुद्दे में से एक होगा “समाज कल्याण” और “रोजगार।” राबड़ी देवी के द्वारा उठाए गए मुद्दे जैसे रसोई कर्मचारियों का वेतन और विधवा पेंशन बढ़ाने की मांग इस बात को दर्शाते हैं कि विपक्षी दल अब बिहार की गरीब और वंचित जनता के लिए और अधिक काम करने की मांग कर रहे हैं। वहीं नीतीश कुमार और उनकी पार्टी द्वारा किए गए सामाजिक कल्याण कार्यों का भी चुनावी प्रचार में उपयोग किया जाएगा।
क्या बिहार में राजनीति का समीकरण बदलेगा?
बिहार के राजनीतिक समीकरण में आने वाले समय में क्या बदलाव आएगा, यह समय बताएगा। हालांकि यह तो स्पष्ट है कि आगामी विधानसभा चुनावों में बिहार की राजनीति में कोई नया मोड़ आ सकता है। दोनों प्रमुख दलों के बीच की लड़ाई इस बार काफी कड़ी होगी। खासकर जब हर पार्टी अपने-अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जनता के बीच जाएगी।
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार और लालू यादव के परिवारों के बीच बढ़ी यह तल्खी यह दिखाती है कि आगामी विधानसभा चुनाव में दोनों प्रमुख दलों के बीच तीव्र मुकाबला होगा। चाहे वह सामाजिक कल्याण की योजनाएं हों, रोजगार के अवसर हों, या फिर अन्य विकास कार्यों की बात हो, दोनों दलों के बीच चुनावी प्रचार में तीव्र प्रतिस्पर्धा देखने को मिलेगी। बिहार के मतदाता इस बार उन मुद्दों को लेकर वोट करेंगे, जो उनके जीवन स्तर में सुधार ला सकें और राज्य की विकास यात्रा को गति दे सकें।
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