KKN गुरुग्राम डेस्क | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के बाद सूबे की सियासत गरमा गई है। सीवान में प्रधानमंत्री की जनसभा खत्म होते ही विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने तीखा हमला बोला। उन्होंने न केवल पीएम मोदी बल्कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी जमकर निशाना साधा। उनके इस बयान ने एक नया सियासी बवंडर खड़ा कर दिया है, जिसमें भारतीय जनता पार्टी (BJP) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) आमने-सामने आ गए हैं।
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तेजस्वी यादव ने एक आपात प्रेस कांफ्रेंस बुलाकर पीएम मोदी के दौरे को ‘बिहार के खजाने पर बोझ’ करार दिया। उन्होंने दावा किया कि हर बार प्रधानमंत्री के आने पर बिहार को लगभग ₹100 करोड़ का खर्च उठाना पड़ता है।
“मोदी जी के हर दौरे में बिहार की जेब खाली होती है” — तेजस्वी यादव
पटना स्थित आरजेडी कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा,
“प्रधानमंत्री जब भी बिहार आते हैं, 100 करोड़ रुपये खर्च हो जाते हैं। ये खर्च बिहार की जनता के पैसे से होता है। ये कोई सरकारी कार्यक्रम था या राजनीतिक रैली? जब चुनावी रैली होती है तो उसका खर्च भाजपा उठाए, न कि गरीब बिहार।”
तेजस्वी ने सवाल उठाया कि क्या प्रधानमंत्री की यात्रा का खर्च केंद्र सरकार या भाजपा वहन करती है? “अगर अगली बार मोदी जी बिहार आएं, तो पहले जनता को बताएं कि उनकी जेब पर कितना खर्चा होने वाला है,” उन्होंने कहा।
“नीतीश जी शहीदों से नहीं मिलते, लेकिन मोदी के मंच पर जरूर दिखते हैं”
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी हमला बोलते हुए कहा कि वह राज्य में होने वाली बड़ी घटनाओं पर मौन रहते हैं। “जब कोई जवान शहीद होता है, तो नीतीश कुमार उनके परिजनों से मिलने नहीं जाते। लेकिन जैसे ही प्रधानमंत्री आते हैं, वह मंच साझा करने पहुंच जाते हैं,” तेजस्वी ने आरोप लगाया।
“हमको जेब काटने वाला पीएम और अचेत सीएम नहीं चाहिए”
तेजस्वी ने कहा, “बिहार की जनता अब तय कर चुकी है कि उन्हें न तो जेब काटने वाला प्रधानमंत्री चाहिए और न ही अचेत मुख्यमंत्री। इस बार जनता जवाब देगी।” उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और भाजपा नेताओं ने इसे “अमर्यादित” बताया।
“सबसे अमीर पार्टी, लेकिन रैली का खर्च बिहार पर”
तेजस्वी यादव ने भाजपा पर यह आरोप भी लगाया कि वह दुनिया की सबसे अमीर पार्टी होने के बावजूद अपने चुनावी कार्यक्रमों का खर्च गरीब राज्यों पर डालती है।
“बिहार में लोगों को शौचालय नहीं, नौकरी नहीं, समय पर वेतन नहीं मिल रहा है। लेकिन मोदी जी की रैलियों पर करोड़ों खर्च हो जाते हैं,” उन्होंने कहा।
“11 साल में एक चीनी मिल नहीं, मैंने 17 महीने में रीगा मिल चालू की”
विकास के मुद्दे पर प्रधानमंत्री को घेरते हुए तेजस्वी यादव ने कहा कि मोदी सरकार बिहार में कोई ठोस काम नहीं कर पाई।
“11 साल में मोदी जी एक भी चीनी मिल चालू नहीं करा पाए। जबकि मैंने 17 महीने के अंदर रीगा चीनी मिल को फिर से शुरू करा दिया,” उन्होंने कहा।
तेजस्वी ने यह भी आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री के भाषण में विकास का कोई जिक्र नहीं था, केवल “झूठ और जुमलों की बारिश” की गई।
“बिहार को बिहारी चलाएंगे, बाहरी नहीं”
तेजस्वी ने कहा, “बिहार को कोई बाहरी नहीं चलाएगा। बिहार को बिहारी ही चलाएंगे। हम देश को चलाते हैं, लेकिन अपनी मिट्टी की पहचान नहीं भूलते।”
उन्होंने यह भी कहा कि पीएम मोदी को अपने गृहमंत्री के बयान पर जवाब देना चाहिए, जब संसद में डॉ. आंबेडकर का अपमान हुआ था।
“लालू जी ने बाबा साहब का अपमान नहीं किया। लेकिन जब संसद में ऐसा हुआ, तब प्रधानमंत्री क्यों चुप थे?” तेजस्वी ने सवाल उठाया।
BJP का पलटवार: “तेजस्वी मानसिक रोगी हैं”
तेजस्वी यादव के बयान पर भाजपा नेताओं की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
बीजेपी के वरिष्ठ नेता प्रेम रंजन पटेल ने कहा, “तेजस्वी यादव की मानसिक स्थिति ठीक नहीं है। मुख्यमंत्री बनने का सपना टूट रहा है, इसलिए बौखलाहट में वह अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “अगर तेजस्वी यादव खुद अपना इलाज नहीं करवा सकते तो हम करवा देंगे। वह खुद आर्थिक अपराधी हैं। उनके परिवार ने रेल मंत्रालय के दौरान घोटाले किए और जमीन अपने नाम लिखवाई।”
जदयू ने भी साधा निशाना: “तेजस्वी ने दिखाया अपना संस्कार”
जदयू प्रवक्ता अभिषेक झा ने कहा, “तेजस्वी यादव ने अपने बयान से अपनी राजनीतिक संस्कृति और संस्कार का परिचय दे दिया है। ये वही पार्टी है जो पारिवारिक भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।”
राजद का बचाव: “तेजस्वी ने जनता की आवाज़ उठाई”
राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने अपने नेता का बचाव करते हुए कहा कि तेजस्वी यादव ने जो कहा, वो बिहार की आम जनता की भावना को आवाज़ देने का काम था।
“बीजेपी जवाब नहीं दे पा रही है, इसलिए निजी हमले कर रही है,” उन्होंने कहा।
बिहार चुनाव 2025 की गर्मी तेज, बयानबाज़ी तेज
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक तापमान चरम पर है। तेजस्वी यादव और भाजपा नेताओं के बीच तीखे हमलों का यह दौर संकेत दे रहा है कि चुनावी मुकाबला बेहद कड़ा होगा।
जहां आरजेडी बेरोजगारी, महंगाई और विकास की कमी को मुद्दा बना रही है, वहीं बीजेपी राष्ट्रवाद, कानून व्यवस्था और प्रधानमंत्री की छवि को हथियार बना रही है।
अब देखना यह होगा कि जनता किसकी बात पर भरोसा करती है।
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