बिहार में इस बार मानसून ने समय पर दस्तक नहीं दी, जिससे राज्य के 20 से अधिक जिलों में बारिश की भारी कमी दर्ज की गई है। नतीजा यह है कि एक ओर धान की खेती बुरी तरह प्रभावित हो रही है, तो दूसरी ओर उमस भरी गर्मी लोगों को परेशान कर रही है। बुधवार की शाम को पटना और कुछ आसपास के जिलों में हल्की बारिश जरूर हुई, लेकिन यह राहत अस्थायी साबित हो सकती है। मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ दिनों तक मानसून कमजोर ही बना रहेगा, जिससे सूखे की आशंका और गहरा गई है।
बिहार एक कृषि प्रधान राज्य है, जहां की खेती मुख्य रूप से मानसून की बारिश पर निर्भर करती है। लेकिन इस वर्ष अब तक औसत से 50 प्रतिशत कम बारिश हुई है। मौसम विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, राज्य के कई जिलों में बारिश का टोटा पड़ गया है। इससे धान की रोपाई और फसल की उत्पादकता पर गंभीर असर पड़ रहा है।
राज्य के कम से कम 20 जिले ऐसे हैं जहां 50% से लेकर 90% तक बारिश की कमी दर्ज की गई है। इनमें सहरसा जिला सबसे अधिक प्रभावित है, जहां 90 प्रतिशत से भी अधिक कमी देखी गई है। इसके अलावा जिन जिलों में बारिश का संकट गहराया है, वे हैं:
सीतामढ़ी
मुजफ्फरपुर
मधेपुरा
पूर्वी चंपारण
समस्तीपुर
दरभंगा
अररिया
मधुबनी
इन जिलों में सूखा घोषित करने की नौबत आ सकती है यदि अगले 10 से 15 दिनों तक बारिश नहीं होती।
धान की फसल के लिए जून-जुलाई सबसे महत्वपूर्ण समय होता है। लेकिन बारिश की कमी के कारण अभी तक धान की रोपाई सिर्फ 3 प्रतिशत ही हो सकी है। कृषि विभाग ने इस वर्ष 37.45 लाख हेक्टेयर भूमि में धान की खेती का लक्ष्य तय किया है, लेकिन अभी तक सिर्फ 1.2 लाख हेक्टेयर में ही रोपनी हो पाई है।
विशेषज्ञों का मानना है कि इस देरी से धान उत्पादन में 15 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। इसका मतलब है कि करीब 12 लाख टन धान कम उत्पादन होने की आशंका है, जो सीधे तौर पर राज्य की खाद्य सुरक्षा और किसानों की आमदनी को प्रभावित करेगा।
बारिश की कमी के कारण उमस और गर्मी का प्रभाव भी बढ़ गया है। राजधानी पटना समेत कई शहरों में दिन का तापमान 34–35 डिग्री सेल्सियस तक पहुंच गया है। वहीं, सुबह की आर्द्रता 80-85% और दोपहर में 45-55% के बीच बनी हुई है। इस मौसम में किसानों को खेत में काम करना भी मुश्किल हो गया है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के अनुसार, 9 जुलाई से 14 जुलाई तक मानसून कमजोर बना रहेगा। इस दौरान राज्य के अधिकांश हिस्सों में सूखा मौसम बना रह सकता है। कुछ इलाकों में हल्की फुल्की बारिश जरूर हो सकती है, लेकिन यह खेती-किसानी के लिए अपर्याप्त होगी।
अधिकतम तापमान: 34–35 डिग्री सेल्सियस
न्यूनतम तापमान: 26–28 डिग्री सेल्सियस
हवा की गति: 4–8 किलोमीटर प्रति घंटा (पूर्वा दिशा से)
वातावरणीय नमी: सुबह 80-85%, दोपहर 45-55%
शहर | अधिकतम तापमान | न्यूनतम तापमान | AQI |
---|---|---|---|
पटना | 33.9°C | 28.2°C | 96 |
मुजफ्फरपुर | 34.6°C | 28.2°C | 54 |
गया | 30.6°C | 26.4°C | 40 |
पूर्णिया | 33.8°C | 26.9°C | 40 |
भागलपुर | 30.0°C | 26.7°C | 50 |
पटना और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों में गर्मी के साथ-साथ वायु गुणवत्ता भी खराब हो रही है, जो स्वास्थ्य पर असर डाल सकती है।
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए बिहार सरकार और कृषि विभाग ने राहत योजनाओं पर काम शुरू कर दिया है। अगर अगले 10 दिनों तक बारिश नहीं हुई, तो सूखा प्रभावित जिलों की सूची जारी की जा सकती है और किसानों को निम्नलिखित राहत दी जा सकती है:
डीजल पर सब्सिडी
फसल बीमा योजना के तहत मुआवजा
सिंचाई के वैकल्पिक उपाय
सूखा सहनशील बीजों का वितरण
कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए, ताकि हालात और खराब न हों।
जलवायु वैज्ञानिकों के अनुसार, मानसून का समय पर न आना और असमान वर्षा अब एक सामान्य स्थिति बनती जा रही है। बिहार की स्थिति इस समय पूर्वी उत्तर प्रदेश, झारखंड और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों से मिलती-जुलती है।
बिहार का कृषि भविष्य इस समय आसमान पर निर्भर है। यदि अगले 10 से 15 दिनों में अच्छी बारिश नहीं होती, तो फसल उत्पादन, कृषक आमदनी और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर पड़ सकता है। सरकार, प्रशासन और किसान—सभी की निगाहें मानसून की वापसी पर टिकी हैं।
This post was published on जुलाई 10, 2025 10:31
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