जलीय पक्षी
KKN ब्यूरो। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में जलीय पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की गई है। हाल ही में वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग द्वारा कराई गई एशियन वॉटरबर्ड सेंसस 2025 (Asian Waterbird Census 2025) की रिपोर्ट में यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि जहां 2022 में जिले में 1777 जलीय पक्षी मौजूद थे, वहीं अब इनकी संख्या घटकर मात्र 350 रह गई है।
यह सर्वेक्षण तिरहुत वन प्रमंडल के तहत किया गया, जिसमें बर्ड एक्सपर्ट डॉ. सत्येंद्र कुमार और उनकी टीम ने जिले के विभिन्न क्षेत्रों जैसे:
✔ झपहां
✔ गंडक नदी
✔ मनिका मन
✔ अन्य जलाशय और पोखर
का दौरा किया। पक्षी विशेषज्ञों ने इन क्षेत्रों में जलीय पक्षियों की संख्या में भारी गिरावट दर्ज की।
बर्ड एक्सपर्ट्स और पर्यावरण वैज्ञानिकों का मानना है कि जलीय पक्षियों की संख्या में गिरावट के पीछे कई प्रमुख कारण हैं:
1️⃣ जल प्रदूषण – नदियों और तालाबों का प्रदूषित पानी पक्षियों के अनुकूल नहीं रह गया है।
2️⃣ तालाबों और चौर का सूखना – जलस्तर गिरने और कई जल स्रोतों के सूखने से पक्षियों के लिए आश्रय स्थलों की संख्या घटी है।
3️⃣ मानव अतिक्रमण – तालाबों और झीलों के आसपास बढ़ता हुआ अतिक्रमण पक्षियों के प्राकृतिक आवास को खत्म कर रहा है।
4️⃣ ग्लोबल वार्मिंग – जलवायु परिवर्तन और मौसम में हो रहे बदलावों के कारण प्रवासी पक्षी बिहार में कम आ रहे हैं।
5️⃣ शिकार और शोरगुल – कई जगहों पर पक्षियों का शिकार और बढ़ता शोरगुल भी उनकी संख्या में गिरावट की बड़ी वजह है।
पहले मुजफ्फरपुर में कई दुर्लभ जलीय पक्षी बड़ी संख्या में पाए जाते थे, लेकिन अब इनकी संख्या नगण्य हो गई है। कुछ मुख्य पक्षी जो अब नहीं दिखते, वे हैं:
✅ वरमोरेंज गॉरमोरेंट
✅ एफिल डील स्टॉक
✅ स्पूनबिल स्टॉर्क
✅ ग्रे हेरॉन
जलीय पक्षी केवल देखने के लिए नहीं होते, बल्कि ये हमारे पर्यावरण का अहम हिस्सा हैं। इन पक्षियों की संख्या कम होने से जलीय पारिस्थितिकी तंत्र (Aquatic Ecosystem) पर गंभीर असर पड़ सकता है। ये पक्षी:
✔ तालाब और नदियों में ऑक्सीजन का स्तर बनाए रखते हैं
✔ जलाशयों के हानिकारक जीव-जंतुओं जैसे केकड़े और घोंघे की संख्या नियंत्रित करते हैं
✔ बीज फैलाने और परागण (Pollination) में मदद करते हैं
✔ मिट्टी की उर्वरता बढ़ाते हैं
✔ पर्यावरण की स्वच्छता बनाए रखने में अहम भूमिका निभाते हैं
बिहार के कई जलाशय और झीलें प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) के कारण टूरिज्म हब बन चुके थे। हर साल हजारों लोग इन्हें देखने आते थे, जिससे स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था को फायदा होता था। लेकिन अगर यही हाल रहा, तो प्रवासी पक्षियों का आगमन और पर्यटन दोनों प्रभावित हो सकते हैं।
बर्ड एक्सपर्ट्स और पर्यावरणविदों का मानना है कि अगर सरकार और आम जनता समय रहते नहीं चेती, तो जल्द ही ये पक्षी पूरी तरह से विलुप्त हो सकते हैं। इसके लिए जरूरी है कि:
???? तालाबों और जलाशयों को साफ-सुथरा रखा जाए
???? नदियों और पोखरों का जलस्तर बनाए रखने के लिए जल संरक्षण योजनाएं लागू की जाएं
???? पक्षियों के शिकार और अवैध गतिविधियों पर सख्त कार्रवाई हो
???? स्थानीय लोगों को पक्षी संरक्षण के प्रति जागरूक किया जाए
???? सरकार इस दिशा में फंडिंग बढ़ाए और पक्षी संरक्षण अभियान चलाए
डॉ. सत्येंद्र कुमार और उनकी टीम का कहना है कि “नागरिक विज्ञान (Citizen Science) को मजबूत कर ही हम पक्षियों की संख्या बढ़ा सकते हैं। अगर लोग जागरूक नहीं होंगे और सरकार कदम नहीं उठाएगी, तो आने वाले समय में ये पक्षी पूरी तरह विलुप्त हो सकते हैं।”
मुजफ्फरपुर में तीन सालों में जलीय पक्षियों की संख्या में 75% की गिरावट गंभीर चिंता का विषय है। अगर जलाशयों की स्थिति नहीं सुधारी गई, तो जल्द ही ये पक्षी इतिहास बन जाएंगे। सरकार को चाहिए कि वह पक्षी संरक्षण और जल संरक्षण पर जोर दे, ताकि नदियों और तालाबों में फिर से ये सुंदर पक्षी लौट सकें।
This post was published on फ़रवरी 21, 2025 19:05
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