KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार की विश्वप्रसिद्ध शाही लीची एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, और अन्य गणमान्य व्यक्तियों के लिए भेजी जा रही है। इस बार कुल 4 टन लीची को खास तरीके से पैक कर 31 मई 2025 को एयर कंडीशंड (AC) वैन से दिल्ली रवाना किया जाएगा। यह लीची 1 जून की रात तक बिहार भवन, दिल्ली पहुंचेगी, और 2 जून को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री व अन्य नेताओं को वितरित की जाएगी।
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2000 पैकेट होंगे तैयार, हर पैकेट में 2 किलो शाही लीची
प्रोसेसिंग यूनिट के संचालक आलोक केडिया ने बताया कि इस बार भी जिला प्रशासन ने उच्च गुणवत्ता वाली शाही लीची की पैकिंग का आदेश दिया है। कुल 2000 पैकेट तैयार किए जा रहे हैं, जिनमें प्रत्येक में 2 किलो लीची होगी।
“मौसम ने साथ नहीं दिया, इस कारण एक हफ्ते की देरी हुई है। लेकिन क्वालिटी से कोई समझौता नहीं होगा,” — आलोक केडिया, प्रोसेसिंग यूनिट संचालक
31 मई को हरी झंडी दिखाकर रवाना होगी एसी वैन
हर साल की तरह इस बार भी जिला प्रशासन के अधिकारी लीची वैन को हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। इस परंपरा को कृषि गौरव के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। दिल्ली पहुंचने के बाद, यह लीची राष्ट्रपति भवन, प्रधानमंत्री कार्यालय और अन्य मंत्रियों तक पहुंचाई जाएगी।
मौसम बना विलंब का कारण, मिठास में देरी
इस साल मौसम ने लीची उत्पादकों को निराश किया है। बार-बार हो रही बारिश और धूप की कमी के कारण शाही लीची में अपेक्षित मिठास आने में 10 दिन की देरी हुई है।
लीची अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिकों की राय:
डॉ. अंकित कुमार, राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र, मुशहरी के वरिष्ठ वैज्ञानिक ने कहा:
“20 मई तक लीची में पूरी मिठास आ जानी चाहिए थी, लेकिन इस बार तापमान सामान्य से कम रहा और लगातार बारिश होती रही। इससे शर्करा स्तर में कमी देखी गई है।”
हालांकि, कुछ किस्मों में अब पूरी मिठास आ चुकी है और कुछ में दो-तीन दिन में आने की संभावना है।
बाजार में बंगाल और बिहार की लीची में मुकाबला
वर्तमान समय में भारत के महानगरों की मंडियों में बंगाल की चाइना लीची और बिहार की शाही लीची के बीच मुकाबला देखने को मिल रहा है। दोनों ही राज्यों की लीची अलग स्वाद और गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं।
शाही लीची बनाम चाइना लीची:
विशेषता | शाही लीची (बिहार) | चाइना लीची (बंगाल) |
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स्वाद | गाढ़ा, मीठा और सुगंधित | हल्का मीठा |
उपस्थिति | गुलाबी छिलका, मोटा गूदा | पतला छिलका, बड़ा बीज |
बिक्री क्षेत्र | प्रीमियम गिफ्टिंग | सामान्य खुदरा बाजार |
पहचान | GI टैग प्राप्त | नहीं |
GI टैग वाली शाही लीची की राष्ट्रीय पहचान
शाही लीची को GI (Geographical Indication) टैग मिला हुआ है, जो इसे बिहार की विशिष्ट पहचान बनाता है। यह न केवल स्वाद में बेहतरीन है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांडिंग में भी मदद करता है।
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कृषि आय का बड़ा स्रोत
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हर साल 60,000 हेक्टेयर में होती है खेती
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3 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा उत्पादन
जलवायु परिवर्तन से लिची पर खतरा
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर जलवायु असंतुलन ऐसे ही बना रहा, तो भविष्य में लीची की गुणवत्ता और मात्रा दोनों पर प्रभाव पड़ेगा।
आवश्यक समाधान:
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स्मार्ट सिंचाई प्रणाली
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जल प्रबंधन और कीट नियंत्रण
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तापमान और नमी की निगरानी के लिए डिजिटल टेक्नोलॉजी
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नई जलवायु-प्रतिरोधी लीची किस्मों का विकास
हर साल की तरह इस बार भी मुजफ्फरपुर की शाही लीची देश के सर्वोच्च पदों पर आसीन लोगों के लिए गर्व और सम्मान का प्रतीक बनकर रवाना होने जा रही है। यह केवल एक फल नहीं, बल्कि बिहार की कृषि परंपरा, पहचान और गुणवत्ता का प्रतीक है।
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