बिहार में मॉनसून सक्रिय है. पटना सहित कई इलाकों में हल्की बारिश हुई. इससे लोगों को उमस से राहत मिली. मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों का पूर्वानुमान बताया है. पटना में आंशिक बादल छाए रहेंगे. हल्की वर्षा की संभावना भी है. गयाजी और नवादा में भारी वर्षा की चेतावनी जारी की गई है. अररिया के रानीगंज में सबसे ज्यादा बारिश दर्ज हुई. यह जानकारी सोमवार, 21 जुलाई 2025 को सुबह 08:53 बजे (IST) अपडेट हुई.
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राजधानी में बूंदाबांदी, आज अधिकांश इलाकों में वज्रपात और वर्षा का अलर्ट
राजधानी में बूंदाबांदी हुई. इससे उमस कम हुई. आज अधिकांश भागों में वज्रपात और वर्षा का अलर्ट है.
बिहार में मॉनसून की सक्रियता
बिहार में मॉनसून की सक्रियता बनी हुई है. रविवार को छिटपुट वर्षा हुई. यह पटना और आसपास के इलाकों में हुई. भागलपुर, पूर्णिया, वाल्मीकि नगर में भी वर्षा हुई. फारबिसगंज, भोजपुर, बेगूसराय, मुंगेर में भी बारिश हुई. राजधानी में रुक-रुक कर वर्षा हुई. इससे लोगों को उमस से राहत मिली.
पटना और आसपास के लिए मौसम का पूर्वानुमान
पटना मौसम विज्ञान केंद्र के अनुसार, अगले 24 घंटों में पटना और आसपास के इलाकों में आंशिक रूप से बादल छाए रहेंगे. कुछ जगहों पर हल्की वर्षा की संभावना है. प्रदेश के दो जिलों, गयाजी और नवादा, में भारी वर्षा की चेतावनी है. इसमें मेघ गर्जन भी शामिल है. प्रदेश के अधिकांश हिस्सों में तेज हवा के साथ मेघ गर्जन की चेतावनी है. वज्रपात की भी आशंका है.
सर्वाधिक वर्षा रानीगंज में दर्ज
पिछले 24 घंटों के दौरान अररिया के रानीगंज में सबसे ज्यादा वर्षा हुई. यहां 160.0 मिमी बारिश दर्ज की गई. राजधानी में रविवार को 0.6 मिमी वर्षा दर्ज हुई. राजधानी का अधिकतम तापमान 32.0 डिग्री सेल्सियस था. गोपालगंज में सर्वाधिक अधिकतम तापमान दर्ज किया गया. यह 36.2 डिग्री सेल्सियस रहा.
प्रमुख शहरों में वर्षा की स्थिति (मिमी में)
लखीसराय: 145.6 खगड़िया: 134.6 गयाजी: 128.6 पूर्णिया: 122.8 बांका: 117.0 भागलपुर: 107.4 बेगूसराय: 98.2 नालंदा: 90.8 किशनगंज: 82.4
प्रमुख शहरों का तापमान (डिग्री सेल्सियस में)
पटना: अधिकतम 32.0, न्यूनतम 29.1 गयाजी: अधिकतम 32.2, न्यूनतम 25.4 भागलपुर: अधिकतम 29.2, न्यूनतम 25.7 मुजफ्फरपुर: अधिकतम 31.4, न्यूनतम 29.1
रोहतास: सोन नदी में बाढ़ से तटीय क्षेत्र में तेजी से कटाव
सोन नदी में आने वाली बाढ़ के कारण कटाव हो रहा है. यह अनुमंडल क्षेत्र के तटीय इलाकों में है. हर साल दर्जनों एकड़ कृषि भूमि नदी में समा जाती है. इस साल बाढ़ के कारण सोन की तेज धारा ने कटाव बढ़ाया है. बेलौंजा, सिंहपुर, बांदू, रसूलपुर और कमरनगंज प्रभावित हुए हैं. नौहट्टा, रोहतास, तिलौथू और डेहरी प्रखंड की जमीन कटी है. दर्जनों एकड़ रैयती भूमि का कटाव हुआ है. इससे किसान चिंतित हैं.
कटाव निरोधी कार्यों का अभाव
पिछले सात वर्षों में कोई कटाव निरोधी कार्य नहीं हुआ है. जलसंसाधन विभाग ने कोई काम नहीं किया है. इसके कारण हर साल कटाव बढ़ रहा है. सोन नदी जगह-जगह पांच से दस फीट चौड़ी हो जाती है. यह 80 किलोमीटर में है. यह दूरी यदुनाथपुर से डेहरी तक है. ऐसे में किसानों की रैयती भूमि सोन में विलीन हो रही है. वर्ष 2003 से अब तक बाढ़ से एक हजार एकड़ से अधिक भूमि का कटाव हुआ है. यह बांदू, तियरा, कमरनगंज, रसूलपुर जैसे कई गांवों में हुआ. राजस्व विभाग आज भी उन किसानों से लगान वसूल रहा है.
कटाव से गांव पर खतरा
पहले बांदू गांव और सोन नदी के बीच 300 मीटर की दूरी थी. कटाव से अब यह दूरी दस मीटर भी नहीं बची. इस गंभीर स्थिति को देखते हुए जलसंसाधन विभाग ने काम किया. बांदू गांव को बचाने के लिए कार्य हुए. यह 2006 और 2018 में हुए. आवश्यकतानुसार बोल्डर पिचिंग और जिओ बैग से कटाव निरोधक कार्य कराए गए. हालांकि, वर्ष 2016 में ही कोयल नदी ने नई धारा बनाई थी. यह बांदू गांव के पास हुआ. यदि नई धारा बन जाती, तो बांदू गांव का अस्तित्व समाप्त हो जाता. इस गांव के पास कटाव से पंद्रह गांव खतरे में हैं. इनमें दारानगर, भदारा, खैरवा, शेखपुरा, सिंहपुर शामिल हैं.अन्य गांवों पर प्रभाव और नदियों का संगम
रसूलपुर गांव के पास सोन नदी से कटाव हो रहा है. यदुनाथपुर, मटियांव, नावाडीह कला, अमहुआ, नावाडीह खुर्द भी प्रभावित हैं. तिअरा कला, तिअरा खुर्द, परछा, पंडुका, पड़रिया, तिउरा भी प्रभावित हैं. नौहट्टा और उल्ली में भी सोन नदी की धारा का प्रभाव है. बांदू गांव के सामने ही सोन नदी में कोयल नदी मिलती है. दोनों नदियों के मिलन बिंदु के कारण तेज कटाव होता है. कोयल की धारा बहुत तेज होती है. सोन के साथ कोयल मिलकर बांदू, भदारा, दारानगर, बेलौंजा, सिंहपुर, बलिआरी में तेज कटाव करती है. इस कटाव को रोकने के लिए 2017 में तत्कालीन विधायक ललन पासवान ने मांग की थी. उन्होंने जलसंसाधन विभाग से मांग की थी.
कटाव निरोधक कार्यों की मांग
रसूलपुर गांव के पास सोन तट पर भीषण कटाव को लेकर कार्य हुआ था. 2018 में कटाव निरोधक कार्य किया गया. हाल के वर्षों में कोई तटबंध कटाव का काम नहीं हुआ. दोनों प्रखंडों में स्थिति विकराल हो रही है. रसूलपुर निवासी और पूर्व प्रमुख कामेश्वर सिंह कहते हैं कि इस साल कई किसानों की जमीन गई है. लगभग दस एकड़ भूमि सोन में समाहित हो गई है. उन्होंने कहा कि अगर कटाव निरोधक कार्य नहीं हुए, तो कई किसान भूमिहीन हो जाएंगे. इस संबंध में अंचलाधिकारी नौहट्टा, हिंदुजा भारती ने बताया. उन्होंने कहा कि कटाव का जायजा लिया जाएगा. जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों से बात की जाएगी. यह कटाव निरोधक कार्य कराने के लिए है.
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