गंगा नदी के जलस्तर में लगातार वृद्धि हो रही है, और कई घाटों पर यह खतरनाक स्तर को पार कर चुका है। इस कारण पटना जिला प्रशासन ने हाई अलर्ट घोषित कर दिया है, क्योंकि निचले इलाकों में बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है।
अधिकारियों के अनुसार, गांधी घाट पर जलस्तर पहले ही खतरे के निशान को पार कर चुका है, जबकि दिग्घा घाट, दानापुर और मनेर में भी पानी के स्तर में निरंतर और चिंताजनक बढ़ोतरी हो रही है। अगर यही स्थिति जारी रही, तो कई नदी किनारे स्थित इलाके जलमग्न हो सकते हैं।
इस स्थिति से निपटने के लिए पटना जिला प्रशासन और राज्य आपदा प्रबंधन विभाग ने निगरानी और तैयारियों को बढ़ा दिया है। पानी के स्तर की लगातार निगरानी की जा रही है, और प्रभावित क्षेत्रों में रोकथाम के उपाय किए जा रहे हैं।
आपातकालीन राहत के लिए 119 ऊंचे स्थान चिन्हित
पटना जिला प्रशासन ने 119 उच्च-ऊंचाई वाले स्थानों की पहचान की है, जिनका उपयोग आपातकालीन राहत केंद्र, सामुदायिक रसोई या अस्थायी शरण स्थल के रूप में किया जाएगा, अगर बाढ़ के कारण लोगों को अपने घरों से विस्थापित होना पड़े। इन स्थानों पर राहत कार्यों के लिए जरूरी संसाधन मुहैया कराए जाएंगे।
245 नाविक तैयार, नावें और गोताखोर तैनात
राहत और बचाव कार्यों के लिए 245 प्रशिक्षित नाविकों को तैयार रखा गया है। नावों को रणनीतिक स्थानों पर रखा गया है, ताकि किसी भी आपात स्थिति में उन्हें तुरंत तैनात किया जा सके। इसके अतिरिक्त, गोताखोरों की भी व्यवस्था की गई है, जो पानी में उतरकर बचाव कार्यों में मदद कर सकते हैं।
एसडीआरएफ और एनडीआरएफ की टीमें तैनात
पटना में राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (SDRF) की दो टीमें सक्रिय रूप से तैनात की गई हैं। इसके अलावा, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की एक टीम को दीदारगंज में तैनात किया गया है, जो किसी भी आपात स्थिति में मदद करने के लिए तैयार है।
प्रशासनिक निगरानी बढ़ाई गई
पटना जिले में प्रशासनिक अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों की निगरानी और निरीक्षण के लिए तैनात किया गया है। उप-विभागीय अधिकारी, जोनल अधिकारी और स्थानीय अधिकारी लगातार प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रहे हैं, ताकि किसी भी समस्या का तुरंत समाधान किया जा सके। जल संसाधन विभाग की टीमें भी लगातार एनीकट्स का निरीक्षण कर रही हैं ताकि कोई रिसाव न हो और स्थिति को और बिगाड़ने से बचाया जा सके।
प्रभावित मवेशियों के लिए सहायता और अस्थायी शरण
पटना के ग्रामीण इलाकों में, जहां बाढ़ का खतरा ज्यादा है, मवेशियों के लिए चारा और अस्थायी शरण की व्यवस्था की गई है। इसके अलावा, ग्रामीण इलाकों में प्लास्टिक शीट्स भी वितरित की जा रही हैं ताकि लोगों को अस्थायी आवास मिल सके। यह कदम परिवारों की मदद करने के लिए उठाया गया है, जो बढ़ते जलस्तर के कारण अपने घरों को छोड़ने के लिए मजबूर हो सकते हैं।
24×7 जिला आपदा नियंत्रण केंद्र सक्रिय
पटना जिला आपदा नियंत्रण केंद्र 24 घंटे सक्रिय है और राहत और बचाव कार्यों का समन्वय कर रहा है। नागरिक आपात स्थितियों की सूचना देने या सहायता प्राप्त करने के लिए 0612-2210118 पर कॉल कर सकते हैं। यह केंद्र जलस्तर की वास्तविक समय की निगरानी कर रहा है और सभी संबंधित विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर रहा है।
जलस्तर की निगरानी और अधिकारियों के साथ समन्वय
आपदा नियंत्रण केंद्र लगातार जलस्तर की निगरानी कर रहा है और आवश्यक जानकारी समय पर सार्वजनिक कर रहा है। इसके अलावा, सभी प्रशासनिक अधिकारियों को घटनास्थल पर निर्देश दिए गए हैं ताकि जलस्तर के बारे में कोई भी जानकारी तुरंत प्राप्त की जा सके और उस पर उचित कार्रवाई की जा सके।
पटना में गंगा नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है, जिससे बाढ़ का खतरा बढ़ता जा रहा है। इस स्थिति से निपटने के लिए पटना जिला प्रशासन पूरी तरह से तैयार है। प्रशासन ने कई महत्वपूर्ण उपाय किए हैं, जैसे ऊंचे स्थानों की पहचान, नाविकों की तैनाती, और गोताखोरों की व्यवस्था, ताकि किसी भी आपात स्थिति में त्वरित राहत कार्य किया जा सके।
पटना के नागरिकों से अपील की जा रही है कि वे किसी भी आपात स्थिति में जिला आपदा नियंत्रण केंद्र से संपर्क करें और अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रशासन द्वारा जारी किए गए निर्देशों का पालन करें। उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन की तत्परता और उचित कदम इस बाढ़ के संकट से निपटने में मदद करेंगे, और कम से कम नुकसान होगा।
पटना के निवासी इस संकट से बचने के लिए सतर्क रहें और जरूरी उपायों का पालन करें, ताकि वे और उनका परिवार सुरक्षित रहें।