KKN गुरुग्राम डेस्क | अगर आप प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं लेकिन महंगे स्टडी मैटेरियल और किताबों की वजह से पढ़ाई में बाधा आ रही है, तो आपके लिए खुशखबरी है। अब मुजफ्फरपुर जिले के योग्य छात्रों को ₹5000 की फ्री स्टडी किट दी जाएगी, जिसमें तैयारी के लिए जरूरी सभी पुस्तकें और संसाधन शामिल होंगे।
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इस पहल का उद्देश्य आर्थिक रूप से कमजोर विद्यार्थियों को सरकारी नौकरियों की तैयारी में मदद देना है ताकि किसी भी प्रतिभावान छात्र को संसाधनों की कमी के कारण पीछे न हटना पड़े।
क्या है स्टडी किट में?
यह किट विशेष रूप से उन छात्रों के लिए तैयार की गई है जो निम्नलिखित प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं:
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UPSC प्रारंभिक परीक्षा
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SSC CGL, CHSL, MTS
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रेलवे भर्ती परीक्षा
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BPSC (बिहार लोक सेवा आयोग)
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बैंकिंग परीक्षा (IBPS, SBI)
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बिहार पुलिस एवं शिक्षक भर्ती परीक्षाएं
किट में शामिल सामग्री:
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NCERT आधारित विषयवार पुस्तकें
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पिछले वर्षों के हल प्रश्नपत्र
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मॉक टेस्ट पेपर
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स्टेशनरी आइटम
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कुछ डिजिटल संसाधनों का एक्सेस (यदि उपलब्ध हो)
इस स्टडी किट की कुल लागत लगभग ₹5000 है, जिसे छात्रों को बिना किसी शुल्क के उपलब्ध कराया जाएगा।
कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना का लाभ उन्हीं छात्रों को मिलेगा जो मुजफ्फरपुर जिले के निवासी हैं और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहे हैं। योजना विशेष रूप से आर्थिक रूप से पिछड़े छात्रों के लिए है।
आवश्यक पात्रता:
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आवेदक मुजफ्फरपुर का स्थायी निवासी होना चाहिए (प्रमाण आवश्यक)
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न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता – 12वीं पास
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पारिवारिक वार्षिक आय ₹2.5 लाख से कम होनी चाहिए
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छात्र सरकारी नौकरी या प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा हो
कैसे करें आवेदन?
इस योजना के लिए आवेदन प्रक्रिया ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यमों से संभव है।
ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया:
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आधिकारिक पोर्टल पर जाएं (जल्द उपलब्ध कराया जाएगा)
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आवेदन फॉर्म भरें – व्यक्तिगत, शैक्षणिक और आर्थिक जानकारी दें
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आवश्यक दस्तावेज अपलोड करें:
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आधार कार्ड
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आय प्रमाण पत्र
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शैक्षणिक प्रमाण पत्र
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पासपोर्ट आकार की फोटो
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फॉर्म सबमिट करें और रसीद डाउनलोड करें
आवेदन की अंतिम तिथि:
30 जून 2025
चयन प्रक्रिया और वितरण योजना
सभी आवेदनों की पात्रता की जांच के बाद एक चयन समिति द्वारा योग्य छात्रों की सूची तैयार की जाएगी।
डिस्ट्रीब्यूशन फेज़:
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फेज 1: 500 छात्रों को जुलाई के पहले सप्ताह में
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फेज 2: 1000 छात्रों को जुलाई के मध्य तक
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फेज 3: वेटलिस्ट के आधार पर जुलाई के अंत तक
सभी चयनित छात्रों को SMS या ईमेल के माध्यम से सूचना दी जाएगी और एक तय केंद्र पर किट का वितरण किया जाएगा।
कार्यक्रम के आयोजक क्या कहते हैं?
कार्यक्रम से जुड़े प्रमुख समन्वयक अनुपम झा ने बताया:
“मुजफ्फरपुर के कई होनहार छात्र सिर्फ इसलिए प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी नहीं कर पाते क्योंकि उनके पास किताबें खरीदने के पैसे नहीं होते। यह पहल उन्हें समान अवसर देने का प्रयास है।”
स्थानीय विधायक ने भी इस योजना की सराहना करते हुए कहा:
“शिक्षा सबका अधिकार है। यदि एक स्टडी किट से किसी छात्र का भविष्य बन सकता है, तो वह निवेश हमारे लिए मूल्यवान है।”
छात्रों की प्रतिक्रिया: उम्मीद और उत्साह
इस योजना को लेकर छात्रों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। प्रियंका कुमारी, जो SSC की तैयारी कर रही हैं, ने कहा:
“मैं महीनों से किताबें नहीं खरीद पाई थी। इस किट से मेरी तैयारी में बहुत मदद मिलेगी।”
बिहार में शिक्षा की स्थिति और इस योजना का महत्व
बिहार के कई जिलों में शैक्षणिक संसाधनों की भारी कमी है, खासकर ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में। प्रतियोगी परीक्षाएं गरीब और मध्यम वर्ग के युवाओं के लिए एकमात्र विकल्प होती हैं, लेकिन कोचिंग, किताबें और मॉक टेस्ट जैसे साधनों की लागत उन्हें पीछे कर देती है।
इस तरह की योजनाएं उन छात्रों के लिए नई उम्मीद की किरण बनकर आती हैं जो सिर्फ एक मौका चाहते हैं।
पूर्ववर्ती योजनाएं और उनका असर
बिहार में पहले भी कुछ उल्लेखनीय पहलें की गई हैं जैसे:
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आनंद कुमार का सुपर 30
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मुख्यमंत्री निशुल्क कोचिंग योजना
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ई-लाइब्रेरी प्रोजेक्ट्स (पटना और गया में)
हालांकि, यह योजना पहली बार जिले-स्तर पर प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी के लिए किट वितरित करने का काम कर रही है।
महत्वपूर्ण प्रश्न (FAQs)
प्र. क्या आवेदन के लिए कोई शुल्क है?
नहीं, आवेदन पूरी तरह निःशुल्क है।
प्र. क्या कोचिंग लेने वाले छात्र भी आवेदन कर सकते हैं?
हाँ, यदि वे सभी पात्रता मानदंडों को पूरा करते हैं।
प्र. क्या डिजिटल संसाधनों के लिए इंटरनेट की जरूरत होगी?
कुछ ऑनलाइन मॉक टेस्ट के लिए बुनियादी इंटरनेट कनेक्शन आवश्यक हो सकता है।
प्र. क्या यह सरकारी योजना है?
नहीं, यह एक गैर-सरकारी संगठन द्वारा शुरू की गई पहल है जिसे स्थानीय प्रशासन का समर्थन प्राप्त है।
मुजफ्फरपुर फ्री स्टडी किट योजना सिर्फ एक किताबों की वितरण योजना नहीं, बल्कि शिक्षा के लोकतंत्रीकरण की दिशा में एक मजबूत कदम है। यह योजना यह संदेश देती है कि योग्यता संसाधनों की मोहताज नहीं होनी चाहिए।
यदि यह मॉडल सफल होता है, तो अन्य जिलों में भी इसकी तर्ज पर योजनाएं शुरू हो सकती हैं—और इससे बिहार में प्रतियोगी परीक्षा के स्तर और परिणाम दोनों में सुधार देखने को मिलेगा।
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