KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के करीब आते ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 करने के निर्णय पर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी दलों, खासकर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव ने नीतीश कुमार पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने उनके वादों की नकल की है। वहीं, जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने भी इस कदम पर प्रतिक्रिया दी और दावा किया कि उनकी पार्टी के दबाव में यह निर्णय लिया गया। उन्होंने आगे कहा कि उनकी पार्टी सत्ता में आने पर पेंशन राशि ₹2000 तक बढ़ा दी जाएगी।
बिहार में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के तहत पेंशन बढ़ाने का निर्णय राज्य के राजनीतिक परिदृश्य को बदलने वाला हो सकता है। इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए, नीतीश कुमार की सरकार ने बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों की पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1100 करने का ऐलान किया है। इस कदम का उद्देश्य इन समाज के कमजोर वर्गों की आर्थिक स्थिति में सुधार लाना है, लेकिन विपक्ष इसे एक चुनावी रणनीति के रूप में देख रहा है।
तेजस्वी यादव, जो बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं, ने नीतीश सरकार के इस निर्णय को उनके द्वारा पहले से किए गए वादों की नकल बताया है। तेजस्वी ने कहा, “हमने पहले ही कहा था कि हमारी सरकार बनने पर हम सामाजिक सुरक्षा पेंशन को ₹400 से बढ़ाकर ₹1500 करेंगे। साथ ही, माई बहन योजना के तहत महिलाओं को ₹255 देने की भी घोषणा की थी। अब नीतीश कुमार ने हमारे वादों की नकल करना शुरू कर दिया है।”
वहीं, जन सुराज पार्टी के नेता प्रशांत किशोर ने भी इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पेंशन में यह बढ़ोतरी उनकी पार्टी की ताकत का परिणाम है। किशोर ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने जन सुराज पार्टी के दबाव में आकर यह कदम उठाया। प्रशांत किशोर ने आगामी विधानसभा चुनाव में अपनी पार्टी की सरकार बनने पर पेंशन राशि को ₹2000 तक बढ़ाने का वादा किया। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार बनने पर छठ के बाद पेंशन राशि ₹2000 प्रति महीना कर दी जाएगी। यह जन सुराज की जीत है।”
किशोर के बयान से यह स्पष्ट है कि वह चुनावी रणनीतियों में सक्रिय रूप से अपनी पार्टी को एक मजबूत विकल्प के रूप में प्रस्तुत करने का प्रयास कर रहे हैं। उनके अनुसार, यह पेंशन वृद्धि जनता के दबाव और उनकी पार्टी की ताकत का नतीजा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पेंशन वृद्धि के बारे में बोलते हुए कहा कि यह राज्य सरकार की तरफ से एक महत्वपूर्ण निर्णय है, जो बुजुर्गों, विधवाओं और दिव्यांगों के जीवन को बेहतर बनाने की दिशा में कदम है। उन्होंने बताया कि पेंशन राशि को ₹1100 तक बढ़ाया गया है, जो कि पहले ₹400 थी। नीतीश कुमार ने यह भी बताया कि पेंशन की राशि 10 जुलाई से लाभार्थियों के खाते में जमा कर दी जाएगी।
बिहार में सामाजिक पेंशन योजना के तहत करीब 1.09 करोड़ लोग लाभान्वित हो रहे हैं। पहले इन लाभार्थियों को ₹400 प्रति माह पेंशन दी जाती थी, लेकिन अब यह बढ़ाकर ₹1100 प्रति माह कर दी गई है। इस निर्णय से राज्य के लाखों परिवारों को सीधी मदद मिलेगी, जो गरीबी और आर्थिक संकट का सामना कर रहे हैं।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने बताया कि जुलाई महीने से पेंशन की राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में डाली जाएगी, जिससे उन्हें तुरंत फायदा पहुंचेगा। यह फैसला बिहार के राजनीतिक माहौल में हलचल मचा रहा है, खासकर चुनाव के मद्देनजर, जब सामाजिक सुरक्षा योजनाएं और सब्सिडी महत्वपूर्ण मुद्दे बन जाते हैं।
पेंशन में बढ़ोतरी को लेकर विपक्षी पार्टियां इसे नीतीश कुमार की चुनावी रणनीति का हिस्सा मान रही हैं। तेजस्वी यादव ने कहा, “नीतीश कुमार ने यह कदम हमारे वादों को देखकर उठाया है। उन्होंने हमारी घोषणाओं की नकल की है, और इसे चुनावी मुद्दा बनाने की कोशिश की है।” इस बयान से यह स्पष्ट है कि विपक्ष इस बढ़ोतरी को एक चुनावी चाल के रूप में देख रहा है, जिसका उद्देश्य वोटरों को लुभाना है।
वहीं, प्रशांत किशोर ने भी पेंशन बढ़ाने के निर्णय को अपनी पार्टी के दबाव का परिणाम बताया। उनका कहना था कि जब उनकी पार्टी सत्ता में आएगी, तो वह पेंशन राशि को और बढ़ाकर ₹2000 तक कर देंगे। यह वादा चुनावी माहौल को और गरम कर रहा है, क्योंकि जनता की नज़र अब इन वादों और बढ़ी हुई पेंशन राशि पर टिकी हुई है।
इस पेंशन वृद्धि का बिहार के राजनीतिक परिदृश्य पर गहरा असर पड़ने की संभावना है। इससे एक ओर जहां बिहार सरकार को जनता के बीच एक सकारात्मक संदेश मिलेगा, वहीं विपक्षी दलों के आरोप भी बढ़ सकते हैं। पेंशन वृद्धि से राज्य के गरीब और वंचित वर्ग को आर्थिक मदद मिलना तय है, लेकिन यह भी साफ है कि इस कदम का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश की जा रही है।
2025 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा केंद्रीय बिंदु बन सकता है, जहां चुनावी दल पेंशन योजनाओं और सामाजिक सुरक्षा पर अपनी-अपनी रणनीतियों को पेश करेंगे।
बिहार में पेंशन बढ़ाने का निर्णय नीतीश कुमार की सरकार द्वारा एक महत्वपूर्ण कदम है, लेकिन इस फैसले को लेकर राजनीति तेज हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे चुनावी चाल के रूप में देखा है, जबकि प्रशांत किशोर ने इसे अपनी पार्टी की दबाव की सफलता माना है। अब यह देखना होगा कि यह पेंशन वृद्धि बिहार के चुनावी नतीजों पर कितना असर डालती है और जनता इसे किस रूप में स्वीकार करती है।
इस मुद्दे पर और अधिक जानकारी प्राप्त करने के लिए आगामी विधानसभा चुनावों और राजनीतिक विमर्श का इंतजार किया जाएगा।
This post was published on जून 22, 2025 12:22
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