KKN गुरुग्राम डेस्क | बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अब कुछ ही महीनों का समय बचा है, लेकिन भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने अपनी चुनावी तैयारियां पहले से ही तेज कर दी हैं। पार्टी के बड़े नेता लगातार बिहार का दौरा कर रहे हैं और खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पिछले 40 दिनों में दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं। इस बीच, सूत्रों से जानकारी मिली है कि बीजेपी ने चुनाव के लिए अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है और बिहार विधानसभा की सभी 243 सीटों पर सर्वे का काम पूरा कर लिया है।
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पार्टी के सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी इस बार अपने मौजूदा विधायकों के टिकट को बड़े पैमाने पर काटने की योजना बना रही है। पार्टी इस बार विधायकों की प्रदर्शन और क्षमता को आधार बनाकर टिकट बंटवारे का फैसला करेगी। जिन विधायकों का प्रदर्शन सर्वे में ठीक नहीं पाया गया है, उनके टिकट कटने की संभावना जताई जा रही है। यही नहीं, पार्टी ने यह भी स्पष्ट किया है कि व्यक्ति की बजाय विधायक के जीतने की क्षमता को टिकट बंटवारे का प्रमुख आधार बनाया जाएगा।
बीजेपी की सीट दर सीट रणनीति
बीजेपी इस बार अपने चुनावी अभियान को बहुत ही सटीक और योजनाबद्ध तरीके से चलाने की तैयारी में है। पार्टी ने सीट दर सीट रणनीति तैयार की है, जिसमें हर सीट पर अपनी ताकत और कमजोरियों का आकलन किया जा रहा है। इसके अलावा, पार्टी ने उन नेताओं पर भी नजर बनाए रखी है, जो किसी कारणवश बगावत कर सकते हैं, खासकर वे नेता जिन्हें टिकट नहीं मिलेगा या जिन्हें उनके मनमाफिक उम्मीदवार नहीं दिए जाएंगे।
बीजेपी के अंदरखाने में यह चर्चा हो रही है कि विपक्षी दलों और पाला बदलने वाले नेताओं का भी आकलन किया जा रहा है, ताकि उन्हें सही तरीके से जोड़ा जा सके। नवीनतम आंकड़ों और सर्वे के आधार पर बीजेपी की स्ट्रैटेजी हर सीट के लिए अलग-अलग होगी। इस रणनीति के तहत पार्टी उन नेताओं की पहचान कर रही है, जो किसी भी स्थिति में नहीं टिकने की संभावना से जुड़े हुए हैं।
एनडीए के लिए बिहार चुनाव में जीत का महत्व
बिहार चुनाव एनडीए (नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। बीजेपी की कोशिश है कि वह बिहार में फिर से मजबूत स्थिति बनाए रखें, क्योंकि बिहार में मजबूत विपक्षी गठबंधन है, जो बीजेपी के लिए चुनौती बन सकता है। अगर बीजेपी यहां हारती है तो विपक्षी एकता को मजबूती मिल सकती है, जैसा कि महाराष्ट्र में हुआ था।
बीजेपी को लगता है कि अगर एनडीए को बिहार में हार मिलती है तो इससे विपक्षी दलों का मनोबल बढ़ सकता है, जो 2024 के आम चुनाव में भी असर डाल सकता है। इसलिए, बिहार विधानसभा चुनाव में जीत बीजेपी और एनडीए के लिए अत्यंत जरूरी है।
बीजेपी की सीट शेयरिंग में जल्दबाजी नहीं
बीजेपी फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर किसी भी तरह की जल्दबाजी में नहीं है। सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है और सीटों का बंटवारा सहयोगी दलों के साथ बाद में किया जाएगा। इस समय बीजेपी और जेडीयू जैसे बड़े दलों के साथ ही एनडीए के सहयोगी दल अपनी-अपनी सीटों की डिमांड को सामने रख चुके हैं। हालांकि, सीटों का बंटवारा बाद में होगा ताकि बीजेपी अपने चुनावी फैसलों में ज्यादा लचीलापन रख सके और चुनावी गणित के अनुसार सही फैसले ले सके।
बीजेपी का यह कदम इस बात का संकेत है कि पार्टी अपनी ताकत बढ़ाने के लिए कोलैबोरेशन पर ज्यादा ध्यान दे रही है, और इस चुनाव में किसी प्रकार की जल्दबाजी नहीं करना चाहती। इस रणनीति से यह भी सुनिश्चित होगा कि पार्टी के सहयोगी दलों के बीच किसी भी प्रकार के मतभेद नहीं बढ़ें और एकजुटता बनी रहे।
मौजूदा विधायकों के टिकट पर विचार
सर्वे के बाद जिन विधायकों का प्रदर्शन ठीक नहीं पाया गया है, उनका टिकट कटना तय माना जा रहा है। पार्टी ने यह स्पष्ट किया है कि जिन विधायकों की जिम्मेदारी से चुनावी जीत की संभावना कम है, उन्हें अगले चुनावों के लिए खड़ा नहीं किया जाएगा। बीजेपी ने टिकट बंटवारे के दौरान सिर्फ जीतने की क्षमता को प्राथमिकता देने का फैसला किया है।
पार्टी के सूत्रों के अनुसार, टिकट बंटवारे की इस नीति के तहत सिर्फ स्थानीय नेतृत्व और चुनावी प्रदर्शन को ही महत्व दिया जाएगा। इस कदम से पार्टी के भीतर किसी प्रकार का असंतोष नहीं होगा और नए चेहरों को भी प्राथमिकता दी जाएगी, जो चुनावी दृष्टि से मजबूत और प्रभावी साबित हो सकते हैं।
विपक्षी गठबंधन की स्थिति
बिहार में विपक्षी दलों का गठबंधन बीजेपी के लिए एक बड़ी चुनौती बन सकता है। राजद (राश्ट्रिया जनता दल), कांग्रेस और अन्य छोटे दलों के गठबंधन ने बिहार में एक मजबूत विपक्ष खड़ा कर दिया है। इन दलों ने बीजेपी और एनडीए के खिलाफ एकजुट होकर 2025 के चुनाव के लिए अपनी रणनीति बनानी शुरू कर दी है।
विपक्षी दलों ने अपने वोट बैंक को मजबूत करने और राज्य में अपनी सामाजिक और जातिगत राजनीति को लेकर चुनावी अभियान तेज कर दिया है। इन दलों के गठबंधन का मुख्य उद्देश्य बीजेपी के मूल वोट बैंक को तोड़ना और अपनी स्थिति मजबूत करना है। बीजेपी के लिए यह चुनावी मुकाबला कठिन हो सकता है, क्योंकि विपक्षी एकता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।
बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए बीजेपी ने अपनी रणनीति को अंतिम रूप दे दिया है। इस बार पार्टी ने ज्यादा सीटों पर अच्छे उम्मीदवार को खड़ा करने की योजना बनाई है, ताकि 2024 के आम चुनावों से पहले बिहार में बीजेपी की स्थिति मजबूत हो सके। हालांकि, इस रणनीति में कुछ कठोर फैसले भी लिए गए हैं, जिसमें मौजूदा विधायकों के टिकट काटने का फैसला शामिल है।
बीजेपी की यह कोशिश होगी कि वह सीट दर सीट अपनी ताकत को बढ़ाए और स्थानीय मुद्दों के आधार पर नए चेहरों को चुनावी मैदान में उतारे। बिहार की राजनीति में यह बदलाव पार्टी के लिए अहम साबित हो सकता है, और बीजेपी की यह चुनावी रणनीति राज्य की राजनीतिक दिशा को प्रभावित कर सकती है।
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