KKN गुरुग्राम डेस्क | बागेश्वर धाम के प्रमुख और प्रसिद्ध कथावाचक पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री, जिन्हें लोग बाबा बागेश्वर के नाम से जानते हैं, ने बिहार के मुजफ्फरपुर में एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। यह कार्यक्रम राधानगर पताही चौसीमा में आयोजित विष्णु महायज्ञ का हिस्सा था, जिसमें हजारों श्रद्धालु शामिल हुए।
बाबा ने कहा,
“बागेश्वर धाम के बाद अगर मुझे फिर जन्म लेना हो, तो वह जन्म मैं बिहार की पावन भूमि पर लेना चाहूंगा।”
भोजपुरी में की शुरुआत, बोले – ‘का हाल बा मुजफ्फरपुरवालों?’
अपने उद्बोधन की शुरुआत बाबा ने भोजपुरी भाषा में ‘का हाल बा’ कहकर की, जिससे श्रोताओं में उत्साह भर गया। उन्होंने कहा कि मुजफ्फरपुर आध्यात्मिक और सांस्कृतिक रूप से अद्भुत भूमि है। साथ ही उन्होंने मुजफ्फरपुर के श्रद्धालुओं के धैर्य और भक्ति भाव की प्रशंसा की।
पहलगाम पर दिया कड़ा बयान: धर्म पूछकर मारा गया, हमने घुसकर बदला लिया
बाबा बागेश्वर ने पहलगाम आतंकी हमले का उल्लेख करते हुए कहा कि
“आतंकियों ने धर्म पूछकर मारा। उन्होंने मेरी मां-बहनों के माथे का सिंदूर उजाड़ा। लेकिन हमारी सेना ने पाकिस्तान में घुसकर दुश्मनों को जवाब दिया।”
उन्होंने भारतीय सेना की वीरता की सराहना करते हुए कहा कि भारत अब कमजोर नहीं है और देश की सुरक्षा के लिए हर स्तर पर तैयारी और जवाब मौजूद है।
चीन-पाकिस्तान पर कटाक्ष: हम चार्जर नहीं लेते, उन्होंने मिसाइल ले ली
बाबा ने चीन-पाकिस्तान संबंधों पर कटाक्ष करते हुए कहा कि
“हमारे देश के लोग चाइना का मोबाइल चार्जर नहीं लेते, लेकिन पाकिस्तान ने चीन से मिसाइल खरीद ली। और परिणाम पूरी दुनिया ने देखा।”
इस व्यंग्य के जरिए उन्होंने कम गुणवत्ता वाले चीनी रक्षा उपकरणों पर तंज कसा, जिन्हें पाकिस्तान ने कई बार अपनाया है।
दरबार के माध्यम से श्रद्धालुओं से सीधा संवाद
बाबा बागेश्वर ने कार्यक्रम के दौरान 12 श्रद्धालुओं की व्यक्तिगत अर्जी सुनी, जिन्हें मंच से ही बुलाया गया था। उन्होंने कहा कि यह दरबार सिर्फ एक माध्यम है,
“हमें तो आप सबको हनुमान जी से मिलाना है। दरबार तो बहाना है।”
इस कार्यक्रम में बिहार के कोने-कोने से ही नहीं, बल्कि नेपाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे थे, जिससे बाबा की लोकप्रियता और प्रभाव का अंदाजा लगाया जा सकता है।
जाति जनगणना पर राय: जाति नहीं, अमीरी-गरीबी की गणना ज़रूरी
बाबा बागेश्वर ने जाति आधारित जनगणना के विषय पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा:
“जातिगत गणना ठीक है, लेकिन इससे ज्यादा जरूरी है अमीरी और गरीबी की गणना। जब तक समाज का गरीब तबका आगे नहीं बढ़ेगा, देश कैसे आगे बढ़ेगा?”
उन्होंने यह भी जोड़ा कि
“कंधे के ऊपर छाती नहीं होती और धर्म से बड़ी कोई जाति नहीं होती।”
इस बयान के जरिए उन्होंने धार्मिक और सामाजिक एकता की बात करते हुए वर्ग संघर्ष की राजनीति से ऊपर उठने का आह्वान किया।
हिंदू राष्ट्र की कामना दोहराई
बाबा बागेश्वर ने अपने संबोधन में एक बार फिर कहा कि वह भारत को हिंदू राष्ट्र के रूप में देखना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने यह बात राजनीतिक रूप से नहीं, बल्कि आध्यात्मिक दृष्टिकोण से कही और यह इच्छा बाला जी से प्रार्थना के रूप में व्यक्त की।
प्रशंसकों की भारी भीड़, नेपाल से भी पहुंचे श्रद्धालु
कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हजारों श्रद्धालु उपस्थित थे, जिनमें से कई नेपाल, उत्तर प्रदेश, झारखंड और अन्य राज्यों से आए थे। देर रात तक चले कार्यक्रम के बावजूद लोगों का उत्साह और श्रद्धा बरकरार रही।
धीरेन्द्र शास्त्री: आध्यात्मिक मंच से सामाजिक चेतना तक
बाबा बागेश्वर केवल धार्मिक प्रवचनकर्ता नहीं हैं, बल्कि उन्होंने समाज और राष्ट्र से जुड़े मुद्दों पर भी स्पष्ट राय दी है। उनके कार्यक्रमों में आध्यात्मिकता और सामाजिक चेतना का संगम देखा जाता है।
उनके समर्थक उन्हें एक सामाजिक सुधारक मानते हैं, जबकि कुछ आलोचक उन्हें विवादास्पद या राजनीतिक रूप से प्रेरित मानते हैं। बावजूद इसके, बाबा की लोकप्रियता उत्तर भारत के धार्मिक जनमानस में निरंतर बढ़ रही है।
मुजफ्फरपुर में बाबा बागेश्वर का प्रवचन केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं था। यह एक सामाजिक-सांस्कृतिक संवाद भी था, जिसमें उन्होंने राष्ट्रभक्ति, सामाजिक समानता और आध्यात्मिकता का संदेश दिया।
उनकी बातें दर्शाती हैं कि भारत में धर्म केवल पूजा-पाठ नहीं, बल्कि राष्ट्र और समाज के उत्थान का माध्यम भी है।
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