KKN गुरुग्राम डेस्क | गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की हाल ही में एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के अहमदाबाद विमान हादसे में हुई मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया है। यह दुखद हादसा भारत के उन कई राजनेताओं की याद दिलाता है, जिनकी जिंदगी हवाई यात्रा के दौरान अचानक खत्म हो गई। भारत में अब तक कई ऐसे विमान हादसे हुए हैं जिनमें देश की राजनीति को दिशा देने वाले कई नेता असमय काल के गाल में समा गए।
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यह लेख भारत के उन प्रमुख नेताओं पर केंद्रित है जिनकी मृत्यु हवाई जहाज या हेलीकॉप्टर दुर्घटनाओं में हुई, जिनमें संजय गांधी, माधवराव सिंधिया, जीएमसी बालयोगी, ओम प्रकाश जिंदल जैसे बड़े नाम शामिल हैं।
विजय रूपाणी की मौत: एक और बड़ा राजनीतिक नुकसान
12 जून 2025 को अहमदाबाद एयरपोर्ट से लंदन के लिए रवाना हुई एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 दुर्घटनाग्रस्त हो गई। इस दर्दनाक हादसे में विजय रूपाणी, जो कि अपनी पत्नी और बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे, भी सवार थे और हादसे में उनकी मौत हो गई। इस हादसे में एक यात्री को छोड़कर बाकी सभी की मृत्यु हो गई।
विजय रूपाणी गुजरात के लोकप्रिय और अनुभवी नेताओं में गिने जाते थे। उन्होंने 2016 से 2021 तक गुजरात के मुख्यमंत्री के तौर पर कार्य किया। उनकी असामयिक मौत भारतीय राजनीति के लिए एक बहुत बड़ा नुकसान है।
भारत में हुए कुछ बड़े विमान हादसे और जान गंवाने वाले नेता
संजय गांधी (1980)
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तारीख: 23 जून 1980
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स्थान: नई दिल्ली, डिप्लोमैटिक एन्क्लेव
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घटना: स्टंट उड़ान के दौरान विमान क्रैश
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के छोटे बेटे संजय गांधी एक करिश्माई नेता थे और उन्हें कांग्रेस का भविष्य माना जाता था। 1980 में वे एक निजी विमान उड़ाते समय नियंत्रण खो बैठे, जिससे उनका विमान दिल्ली में दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में कैप्टन सुभाष सक्सेना की भी मौत हुई।
माधवराव सिंधिया (2001)
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तारीख: 30 सितंबर 2001
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स्थान: मैनपुरी, उत्तर प्रदेश
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घटना: खराब मौसम के कारण विमान हादसा
कांग्रेस नेता और पूर्व नागर विमानन मंत्री माधवराव सिंधिया का विमान उत्तर प्रदेश के मैनपुरी में रैली में जाते समय गिर गया। यह एक निजी दस-सीटर विमान था, जो खराब मौसम के कारण दुर्घटनाग्रस्त हो गया। इस हादसे में उनके साथ कई और लोग भी मारे गए।
जीएमसी बालयोगी (2002)
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तारीख: 3 मार्च 2002
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स्थान: कैकालूर, आंध्र प्रदेश
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घटना: हेलीकॉप्टर दुर्घटना
लोकसभा अध्यक्ष और तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के नेता जीएमसी बालयोगी की हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मौत हो गई। वे भिमावरम से हैदराबाद की यात्रा कर रहे थे, जब उनका हेलीकॉप्टर आंध्र प्रदेश के कैकालूर के पास एक तालाब में गिर गया।
साइप्रियन संगमा (2004)
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तारीख: 22 सितंबर 2004
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स्थान: बारापानी झील, मेघालय
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घटना: हेलीकॉप्टर क्रैश
मेघालय के ग्रामीण विकास मंत्री साइप्रियन संगमा और नौ अन्य लोग गुवाहाटी से शिलॉन्ग जा रहे थे, जब उनका पवन हंस हेलीकॉप्टर शिलॉन्ग से महज 20 किलोमीटर पहले बारापानी झील के पास दुर्घटनाग्रस्त हो गया।
ओम प्रकाश जिंदल (2005)
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तारीख: 31 मार्च 2005
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स्थान: सहारनपुर, उत्तर प्रदेश
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घटना: हेलीकॉप्टर तकनीकी खराबी
हरियाणा के वरिष्ठ नेता और जिंदल समूह के संस्थापक ओम प्रकाश जिंदल एक हेलीकॉप्टर में दिल्ली से चंडीगढ़ जा रहे थे। उनके साथ मंत्री सुरेंद्र सिंह भी थे। रास्ते में हेलीकॉप्टर सहारनपुर में गिर गया, जिसमें दोनों की मौत हो गई।
नेताओं की हवाई सुरक्षा पर लगातार उठते सवाल
हर बार जब किसी नेता की मौत किसी हवाई दुर्घटना में होती है, तो यह सवाल जरूर उठता है कि क्या वीआईपी उड़ानों के लिए पर्याप्त सुरक्षा उपाय किए जाते हैं?
विशेषज्ञों के अनुसार, भारत में वीआईपी हवाई यात्राओं के लिए पुराने हेलीकॉप्टर, निम्न गुणवत्ता की तकनीक, और मौसम से जुड़ी चेतावनी प्रणालियों की कमी जैसी कई समस्याएं हैं।
“बहुत सी दुर्घटनाएं टाली जा सकती थीं अगर सुरक्षा और तकनीक पर और अधिक ध्यान दिया जाता।”
– एक वरिष्ठ विमानन विशेषज्ञ
इन नेताओं की मौत का राजनीतिक असर
इन हादसों का केवल व्यक्तिगत नुकसान ही नहीं हुआ, बल्कि उन्होंने भारत की राजनीतिक दिशा को भी प्रभावित किया:
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संजय गांधी की मौत ने कांग्रेस की भविष्य की नेतृत्व योजना को बदल दिया।
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माधवराव सिंधिया की असमय मृत्यु ने मध्य प्रदेश की राजनीति में एक बड़ा शून्य छोड़ दिया।
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जीएमसी बालयोगी के निधन से संसद को झटका लगा, क्योंकि वे पहले लोकसभा अध्यक्ष थे जिनकी मौत एक दुर्घटना में हुई।
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अब विजय रूपाणी की मौत ने गुजरात की राजनीति में एक और शून्यता उत्पन्न कर दी है।
विजय रूपाणी की मौत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया है कि हवाई यात्रा कितनी भी आम क्यों न हो, सुरक्षा में जरा सी चूक एक पूरे राज्य या देश को दुख में डाल सकती है। भारतीय राजनीति को समय-समय पर ऐसी हवाई दुर्घटनाओं ने झकझोरा है।
हमें उम्मीद करनी चाहिए कि अब भारत सरकार और संबंधित एजेंसियां नेताओं और वीआईपी लोगों की हवाई यात्रा के लिए अधिक सख्त मानकों और आधुनिक तकनीकों को अपनाएंगी, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके।
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