KKN गुरुग्राम डेस्क | रेवाड़ी की रहने वाली खुशी ने हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) की 10वीं की परीक्षा में 495 में से 495 अंक प्राप्त कर पूरे प्रदेश में टॉप-3 स्थान हासिल किया है। यह उपलब्धि न केवल उनके लिए बल्कि पूरे रेवाड़ी जिले के लिए गर्व का विषय बन गई है।
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एक साधारण परिवार से आने वाली खुशी ने यह साबित कर दिया है कि मेहनत, अनुशासन और लगन से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। खुशी के पिता एक दुकानदार हैं और उनकी मां गृहिणी। सीमित संसाधनों के बावजूद इस परिवार ने अपनी बेटी की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी।
साधारण परिवार से असाधारण सफलता तक
खुशी का परिवार बेहद साधारण पृष्ठभूमि से आता है। उनके पिता स्थानीय बाजार में एक छोटी सी दुकान चलाते हैं और मां घर संभालती हैं। हालांकि आर्थिक रूप से परिवार बहुत सक्षम नहीं है, लेकिन शिक्षा के प्रति उनका नजरिया हमेशा सकारात्मक और प्रेरणादायक रहा है।
उनके पिता बताते हैं, “खुशी बचपन से ही पढ़ाई को लेकर गंभीर रही है। वह खुद टाइम टेबल बनाकर पढ़ाई करती थी और कभी हमें उसे पढ़ने के लिए कहना नहीं पड़ता था।”
स्कूल और एक्स्ट्रा क्लास ने दी उड़ान
खुशी की सफलता में स्कूल और अतिरिक्त कक्षाओं की भी बड़ी भूमिका रही है। स्कूल में नियमित रूप से एक्स्ट्रा क्लासेज आयोजित की जाती थीं, जिनमें खुशी ने नियमित उपस्थिति दर्ज की। खासकर गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों में उन्होंने गहराई से तैयारी की।
पढ़ाई का तरीका:
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रोजाना 5-6 घंटे की पढ़ाई
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समय प्रबंधन और स्मार्ट स्टडी तकनीक
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मॉक टेस्ट और पिछले वर्षों के पेपर का अभ्यास
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संदेह निवारण के लिए शिक्षकों और सहपाठियों की मदद
खुशी बताती हैं, “मेरे स्कूल के शिक्षक बहुत सहायक थे। उन्होंने पढ़ाई के हर स्टेज पर मार्गदर्शन दिया और लगातार मेरा आत्मविश्वास बढ़ाया।”
परिणाम के दिन का जश्न
जब बोर्ड परिणाम घोषित हुए, तो खुशी के परिवार और स्कूल में खुशियों का माहौल बन गया। 495 में से 495 अंक पाकर उन्होंने न केवल अपने स्कूल में टॉप किया, बल्कि प्रदेश की शीर्ष 3 छात्राओं में अपनी जगह बनाई।
खुशी के शिक्षकों और स्कूल के प्राचार्य ने उनकी मेहनत और अनुशासन की सराहना की। स्कूल प्रशासन जल्द ही एक सम्मान समारोह आयोजित करने की योजना बना रहा है।
शिक्षक और सहपाठियों की राय
खुशी के शिक्षक उन्हें एक आदर्श छात्रा बताते हैं – जो शांत स्वभाव की है लेकिन पढ़ाई में अव्वल। एक शिक्षक ने कहा, “खुशी हमेशा कक्षा की पहली बेंच पर बैठती थी, समय पर होमवर्क करती थी और एक्स्ट्रा सवाल पूछने से कभी पीछे नहीं हटती थी।”
साथ पढ़ने वाले छात्र भी कहते हैं कि खुशी दूसरों की मदद करने में पीछे नहीं रहती थी और अक्सर छोटे बच्चों को ट्यूशन जैसा मार्गदर्शन भी देती थी।
आगे की योजना: IAS अधिकारी बनने का सपना
खुशी की नजरें अब एक बड़ी मंजिल पर हैं। उन्होंने बताया कि वह आगे चलकर IAS अधिकारी बनना चाहती हैं ताकि समाज में बदलाव ला सकें। उन्होंने 11वीं में ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम लेने का संकेत दिया है, जिसमें राजनीति विज्ञान और अर्थशास्त्र जैसे विषय होंगे।
भविष्य की योजना:
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स्ट्रीम: ह्यूमैनिटीज
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लक्ष्य: सिविल सेवा परीक्षा (UPSC)
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प्रेरणा: टीना डाबी और स्मिता सभरवाल जैसी महिला IAS अधिकारी
खुशी कहती हैं, “मैं समाज की सेवा करना चाहती हूं और प्रशासनिक क्षेत्र में जाकर बदलाव लाना चाहती हूं।”
समाज में बढ़ा सम्मान
खुशी की सफलता ने न केवल परिवार बल्कि पूरे मोहल्ले और जिले में उन्हें एक पहचान दी है। स्थानीय नेताओं, जिला प्रशासन और सामाजिक संगठनों ने उनके घर पहुंचकर बधाई दी और सम्मानित किया।
स्कूल की ओर से जल्द ही एक कार्यक्रम में उन्हें गोल्ड मेडल और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया जाएगा।
मां-पिता की भूमिका अहम
खुशी अपनी सफलता का पूरा श्रेय अपने माता-पिता को देती हैं। उनकी मां ने उन्हें पढ़ाई के लिए एक शांत और व्यवस्थित माहौल दिया, जबकि पिता हमेशा उन्हें प्रेरित करते रहे।
“मेरे पापा चाहे जितना थके हों, वो रोज मुझसे पूछते थे – आज क्या नया सीखा? और यह बात मुझे हमेशा प्रेरित करती थी,” खुशी कहती हैं।
प्रेरणा बनी अन्य छात्रों के लिए
खुशी आज अन्य छात्रों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। उनका उदाहरण यह साबित करता है कि महंगे कोचिंग की नहीं, बल्कि लगन और अनुशासन की जरूरत होती है।
उनके शिक्षक अब उनकी कहानी को अगली कक्षा के छात्रों के बीच एक उदाहरण के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि वे भी मेहनत का महत्व समझ सकें।
खुशी की सलाह छात्रों के लिए
खुशी ने बोर्ड परीक्षा की तैयारी कर रहे छात्रों को कुछ महत्वपूर्ण सुझाव दिए हैं:
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समय का सही उपयोग करें
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रोजाना पढ़ाई करें, रातों-रात चमत्कार की उम्मीद न रखें
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स्वस्थ रहें, मानसिक तनाव न लें
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खुद पर विश्वास रखें
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जरूरत हो तो शिक्षकों और परिवार से मार्गदर्शन लें
“हर दिन की छोटी-छोटी कोशिशें ही बड़ी सफलता की नींव बनती हैं,” खुशी का कहना है।
खुशी की यह सफलता कहानी सिर्फ एक छात्रा के नंबरों की नहीं, बल्कि यह उन लाखों छात्रों के लिए प्रेरणा है, जो सीमित संसाधनों के बावजूद कुछ बड़ा करना चाहते हैं।
रेवाड़ी की यह बेटी अब न केवल अपने माता-पिता की, बल्कि पूरे हरियाणा की शान बन गई है। उनकी यह उपलब्धि बताती है कि अगर हौसले बुलंद हों, तो कोई भी मंज़िल दूर नहीं।
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